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स्वच्छता अभियान को मुंह चिढ़ा रहा यह अस्पताल, गंदगी का अंबार मरीजों के लिए मुसीबत

अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से मेडिकल वेस्ट को परिसर में ही खुले में डंप किया जा रहा है. इससे मरीजों और परिजनों को बरसात में यहां कई बीमारियों का डर सता रहा है.

गोपालगंज
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Published : Jul 25, 2019, 7:03 PM IST

गोपालगंज: सरकार स्वच्छता अभियान पर पानी की तरह पैसा बहा रही है. लेकिन धरातल पर इन योजनाओं को लागू नहीं किया जा रहा है. जिले के सदर अस्पताल परिसर में गंदगी का अंबार लगा हुआ है. यह अस्पताल सफाई के मामले में फिसड्डी है.

जिले के सदर अस्पताल में प्रतिदिन हजारों मरीज इलाज के लिए आते हैं. लेकिन सफाई के मामले में यह अस्पताल खुद ही बीमार है. अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से मेडिकल वेस्ट को परिसर में ही खुले में डंप किया जा रहा है. इससे मरीजों को बरसात में यहां कई बीमारियों को डर सता रहा है.

मरीज और सिविल सर्जन नंदकिशोर सिंह का बयान

दुर्गंध से मरीज परेशान
इस अस्पताल में सफाई के नाम पर लाखों रुपये खर्च किए जाते हैं. यहां साफ-सफाई के लिए आउटसोर्सिंग की व्यवस्था है. इसके बाद भी यहां के मेडिकल वेस्ट को अस्पताल स्थित दवा वितरण केंद्र के पीछे डंप किया जा रहा है. इसके दुर्गंध से मरीजों को काफी परेशानी होती है. लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं है.

गोपालगंज
परिसर में गंदगी और जलजमाव

'जल्द होगा निदान'
इसको लेकर सिविल सर्जन नंदकिशोर सिंह का कहना था कि हम साफ- सफाई पर काफी ध्यान देते हैं. बरसात के दिनों में गंदगी को लेकर काफी ध्यान दिया जाता है. मेडिकल कचड़ा हटाने के लिए प्रबंधक और उपाधीक्षक को निर्देश दिया गया है. इसका निदान जल्द ही हो जाएगा.

मेडिकल वेस्ट को लेकर बना है कानून
बता दें कि मेडिकल वेस्ट को 48 घंटे के अंदर मानक के अनुसार नष्ट किया जाना चाहिए. इसे नष्ट नहीं किए जाने पर संक्रमण बीमारियों के फैलने का डर रहता है. वहीं, प्रदेश में 20 जुलाई 1986 से 'बिहार जीव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियम 1986' लागू है. इस कानून का उल्लंघन करने वालों पर 5 वर्ष का कारावास और एक लाख तक का जुर्माना अथवा दोनों की सजा का प्रावधान है.

गोपालगंज: सरकार स्वच्छता अभियान पर पानी की तरह पैसा बहा रही है. लेकिन धरातल पर इन योजनाओं को लागू नहीं किया जा रहा है. जिले के सदर अस्पताल परिसर में गंदगी का अंबार लगा हुआ है. यह अस्पताल सफाई के मामले में फिसड्डी है.

जिले के सदर अस्पताल में प्रतिदिन हजारों मरीज इलाज के लिए आते हैं. लेकिन सफाई के मामले में यह अस्पताल खुद ही बीमार है. अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से मेडिकल वेस्ट को परिसर में ही खुले में डंप किया जा रहा है. इससे मरीजों को बरसात में यहां कई बीमारियों को डर सता रहा है.

मरीज और सिविल सर्जन नंदकिशोर सिंह का बयान

दुर्गंध से मरीज परेशान
इस अस्पताल में सफाई के नाम पर लाखों रुपये खर्च किए जाते हैं. यहां साफ-सफाई के लिए आउटसोर्सिंग की व्यवस्था है. इसके बाद भी यहां के मेडिकल वेस्ट को अस्पताल स्थित दवा वितरण केंद्र के पीछे डंप किया जा रहा है. इसके दुर्गंध से मरीजों को काफी परेशानी होती है. लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं है.

गोपालगंज
परिसर में गंदगी और जलजमाव

'जल्द होगा निदान'
इसको लेकर सिविल सर्जन नंदकिशोर सिंह का कहना था कि हम साफ- सफाई पर काफी ध्यान देते हैं. बरसात के दिनों में गंदगी को लेकर काफी ध्यान दिया जाता है. मेडिकल कचड़ा हटाने के लिए प्रबंधक और उपाधीक्षक को निर्देश दिया गया है. इसका निदान जल्द ही हो जाएगा.

मेडिकल वेस्ट को लेकर बना है कानून
बता दें कि मेडिकल वेस्ट को 48 घंटे के अंदर मानक के अनुसार नष्ट किया जाना चाहिए. इसे नष्ट नहीं किए जाने पर संक्रमण बीमारियों के फैलने का डर रहता है. वहीं, प्रदेश में 20 जुलाई 1986 से 'बिहार जीव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियम 1986' लागू है. इस कानून का उल्लंघन करने वालों पर 5 वर्ष का कारावास और एक लाख तक का जुर्माना अथवा दोनों की सजा का प्रावधान है.

Intro:देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वस्थ्य भारत अभियान को बल देने के लिए कई योजनाओ की शुरुआत की ताकि पूरा देश स्वच्छ एवं स्वस्थ्य रह सके लेकिन गोपालगंज सदर अस्पताल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपना साकार करने में फिसड्डी साबित हो रही वही मरीजो को भी स्वस्थ्य करने के बाजाये अस्वस्थ्य करने पर तुली हुई है। इस सदर अस्पताल में नियमो को ताक पर रखकर मेडिकल वेस्ट को खुले में ही परिसर में डंप किया जाता है जिससे निकलने वाली दुर्गंध मरीजो के लिए मुशीबत बन बैठती है।





Body:जिन अस्पतालों में लोगों की नई जिंदगी मिलती है, बीमारियां दूर होती है, उन्हें अस्पताल में प्रबंधन की लापरवाही के कारण लोगों की सेहत पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। अस्पताल प्रबंधन महज कुछ रुपए बचाने के लिए नियम कानून की धज्जियां उड़ाते हुए अस्पताल से निकलने वाला मेडिकल वेस्ट खुले जगहों पर डंप कर क ई बीमारियों का निमंत्रण देता है। संक्रमण बीमारी फैलने की आशंका को नजरअंदाज कर दिया जा रहा है बड़ी मात्रा में प्लास्टिक के बोतल खून से सने तथा ऑपरेशन के बाद गाज पट्टी भी यत्र तत्र फेंक दिया जाता है।जिसे निकले दुर्गंध मरीजों को और बीमार बना देती है। इतना ही नही कचरे बीनने वाले वही कुछ बच्चे इन्हे उठाकर कबाड़ी को बेच देते हैं इसे कचरा बीनने वाले बच्चे भी गंभीर बीमारी के शिकार हो जाते हैं।
गोपालगंज जिले के सदर अस्पताल स्थित दवा वितरण केंद्र के पीछे आपको यह नजारा साफ तौर पर देखने को मिल सकता है। जहां हमेशा मेडिकल कचरा का ढेर लगा रहता है। इसे उठे दुर्गंध से मरीजों को परेशानी होती है। वही स्वास्थ्य कर्मियों के साथ दवा लेने वाले मरीजों को भी परेशानी होती है। बावजूद अस्पताल प्रबंधन लापरवाह बना है। यहां साफ सफाई के नाम पर लगभग एक लाख रूपय खर्च किए जाते हैं। अस्पताल की साफ सफाई के लिए आउटसोर्सिंग की व्यवस्था है। साफ सफाई कहां और कैसे की जा रही है। इसको कोई देखने वाला कोई नहीं है।

स्वास्थ्य के लिए घातक है मेडिकल कचरा

अस्पतालों से निकलने वाली पट्टी या खराब खून सिरिंज इंजेक्शन तथा अन्य सामग्री लोगों के लिए हानिकारक साबित हो सकती है बायोवेस्ट का समय पर नष्ट नहीं किए जाने पर इसमें अजीब सी गंध आने लगती है। इसके संक्रमण से बीमारियां फैलने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में इस बेस्ट को तुरंत नष्ट करना चाहिए। अगर मेडिकल स्टोरेज को 48 घंटे के अंदर मानक के अनुसार नष्ट नही किया जाता है तो यह मानव जीवन को नुकसान पहुंचा सकता है। जानकारों के माने तो 20 जुलाई 1986 से बिहार जीव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियम 1986 में लागू हुआ था । इसमें कानून का उल्लंघन करने वालों पर 5 वर्ष का कारावास या एक लाख तक का जुर्माना अथवा दोनों की सजा भुगतने का प्रधान है

क्या कहते है सिविल सर्जन

वही इस संदर्भ में जब सिविल सर्जन नंदकिशोर सिंह से बात की गई तो उन्होने गन्दगी से बचाव व स्वच्छता को लेकर अपने आपको काफी गम्भीर पेश आये लेकिन सिर्फ जुबान तक धरातल पर उनकी पहल कहि नजर नही आई। उन्होंने ईटीवी भारत के सवालों पर कहा कि हम लोग साफ सफाई पर काफी ध्यान देते है पूरा ध्यान साफ सफाई पर ही होता है। गंदगी से कई बीमारियां उतपन्न होती है। खाश कर बरसात के दिनों में हल लोग काफी ध्यान देते है। मेडिकल कचरा को हटाने के लिए प्रबंधक व उपाधीक्षक को निर्देश दिया जा चुका है जल्द ही समस्या का निदान हो जाएगा।

बाइट नंद किशोर सिंह, सीएस
मंटू कुमार मरीज के परिजन



Conclusion:
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