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गोपालगंज: 12 सूत्री मांगों को लेकर आशा कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन - Gopalganj

इनकी मांगों में मानदेय का निर्धारण करने, आशा को सरकारी सेवक घोषित करने, आशा को नर्सिंग स्कूलों में 50 प्रतिशत आरक्षण देने, उम्र सीमा में छूट देने, सामुदायिक समन्वयक पद पर 50 प्रतिशत छूट देना शामिल है.

आशा कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन
आशा कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन
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Published : Sep 24, 2020, 7:25 PM IST

गोपालगंज: अपनी 12 सूत्री मांगों को लेकर आशा कार्यकर्ताओं से सदर अस्पताल में जोरदार प्रदर्शन कर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. इस दौरान सदर अस्पताल में सीएस के साथ आशा कार्यकर्ताओं की नोकझोंक भी हो गई.

सीएस के समक्ष प्रदर्शन

अपनी मांगों के समर्थन में पूर्व नियोजित कार्यक्रम के तहत आशा कार्यकताओं ने सीएस के समक्ष प्रदर्शन किया. आशा कार्यकर्ताओं ने अस्पताल में जुलूस निकालकर सरकार के खिलाफ आवाजे बुलन्द की.

सीएस से आशा कार्यकर्ताओं की नोकझोंक

इसके बाद सदर अस्पताल के ओपीडी के मुख्य गेट पर ही हंगामा शुरू कर दिया. आशा कार्यकताओं ने कहा कि प्रदर्शन के दौरान सीएस टीएन सिंह ने आशा कार्यकर्ताओं को धक्का देकर भगा दिया, जिससे सभी लोग उग्र हो गए. इन लोगों ने सीएस के इस्तीफे की भी मांग की.

सरकार नहीं मान रही बात

आशा कार्यकर्ताओं की मानें तो साल 2015 में हुए समझौते के अनुसार सरकार मानदेय का निर्धारण नहीं कर रही है. उनकी मांगों की तरफ सरकार ध्यान नहीं दे रही है. प्रदर्शन के बाद स्वास्थ्य महकमा को 12 सूत्रीय मांग पत्र भी सौंपा गया.

गोपालगंज: अपनी 12 सूत्री मांगों को लेकर आशा कार्यकर्ताओं से सदर अस्पताल में जोरदार प्रदर्शन कर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. इस दौरान सदर अस्पताल में सीएस के साथ आशा कार्यकर्ताओं की नोकझोंक भी हो गई.

सीएस के समक्ष प्रदर्शन

अपनी मांगों के समर्थन में पूर्व नियोजित कार्यक्रम के तहत आशा कार्यकताओं ने सीएस के समक्ष प्रदर्शन किया. आशा कार्यकर्ताओं ने अस्पताल में जुलूस निकालकर सरकार के खिलाफ आवाजे बुलन्द की.

सीएस से आशा कार्यकर्ताओं की नोकझोंक

इसके बाद सदर अस्पताल के ओपीडी के मुख्य गेट पर ही हंगामा शुरू कर दिया. आशा कार्यकताओं ने कहा कि प्रदर्शन के दौरान सीएस टीएन सिंह ने आशा कार्यकर्ताओं को धक्का देकर भगा दिया, जिससे सभी लोग उग्र हो गए. इन लोगों ने सीएस के इस्तीफे की भी मांग की.

सरकार नहीं मान रही बात

आशा कार्यकर्ताओं की मानें तो साल 2015 में हुए समझौते के अनुसार सरकार मानदेय का निर्धारण नहीं कर रही है. उनकी मांगों की तरफ सरकार ध्यान नहीं दे रही है. प्रदर्शन के बाद स्वास्थ्य महकमा को 12 सूत्रीय मांग पत्र भी सौंपा गया.

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