गया: सनातन आस्था की सबसे पवित्र नदी फल्गु को माना जाता है. पिंडदानियों के लिए मोक्षदायिनी है और शहर के लोगों के लिए जीवनदायिनी भी है, लेकिन पिछले कुछ सालों से नदी का पानी इस कदर दूषित हो गया है कि अब यह पीने लायक नहीं रह गया है. वहीं गर्मी के मौसम में जलस्तर भी लगातार गिर रहा है.
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दरअसल पिछले कई दशकों से फल्गु नदी में नाले का गंदा पानी गिराने से शहर का पानी दूषित हो गया है. जिस वजह से नदी के तट पर भी पानी पीने लायक नहीं है. नगर निगम को जब हर जगह पानी पीने लायक नहीं मिला तो फल्गु नदी के बीचों बीच बोरिंग कर पानी निकाल रहा है.
फल्गु मैन से विख्यात समाजसेवी बृजनंदन पाठक बताते हैं कि डेढ़ दशक पहले गया शहर और फल्गु नदी के तट का पानी पीने लायक था. शहर की बढ़ती आबादी और अधिक से अधिक नालों का निर्माण होने के बाद गंदा पानी फल्गु में गिराया गया, जिस वजह से ऐसी स्तिथ उत्पन्न हुई है.
बृजनंदन पाठक कहते हैं कि शहर और फल्गु तट का पानी इतना दूषित हो गया है कि कोई उस पानी से स्नान करना नहीं चाहता है. नगर निगम ने फल्गु नदी के बीच मे जाकर दर्जनों बोरिंग करवा दी. जिस कारण फल्गु के भूमिगत जलस्त्रोत पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है. वे कहते हैं कि अभी भी वक्त है कि गया नगर निगम नाले के पानी को ट्रीटमेंट करके गिराए ताकि फल्गु का भूमगित पानी पीने लायक हो सके.
वहीं, पूर्व वार्ड पार्षद लालजी प्रसाद ने बताया कि मैं जब पार्षद था, तब मेरे वार्ड से पिता महेश्वर घाट से फल्गु नदी के तट से आगे बोरिंग करके निकाला गया, लेकिन दो साल में गंदा पानी आने लगा. उसके बाद बीच नदी में बोरिंग की गई है. वे कहते हैं कि पिछले 8 सालों से वहां से स्वच्छ पानी मिल रहा है. उस पानी का टीडीएस ठीक रहता है.
लालजी प्रसाद कहते हैं कि अब तो हमलोग के घर में भी बोरिंग से गंदा पानी आने लगा है, उसमें वाटर आरओ मशीन भी काम नहीं करती है. वे कहते हैं कि अगर गया शहर का पानी दूषित हुआ इसमें सिर्फ दोष नगर निगम का है, क्योंकि उसने भविष्य के बारे में सोचकर कभी कार्य नहीं किया.
हालांकि नगर निगम नगर आयुक्त सावन कुमार ने बताया कि गया शहर का सभी नालों के लिए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने का प्रस्ताव सरकार के पास भेजा गया है, जोकि अभी तक विचाराधीन है. वे दावा करते हैं कि शहरवासियों को नगर निगम स्वच्छ पानी देने के लिए प्रतिबद्ध है.
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साथ ही कहते हैं कि जो बोरिंग बीच नदी में करवायी गई है, इसको अभी हटा नहीं सकते हैं, लेकिन गंगा उद्धव योजना चालू होने पर इसकी उपयोगिता खत्म हो जाएगी. उसके बाद सभी बोरिंग को हटा दिया जाएगा.
आपको बताएं कि पिछले पांच साल में फल्गु नदी का पानी दूषित होने के साथ जलस्तर में काफी गिरावट आयी है. साल 2015 में 35 फीट, 2016 में 40 फीट, 2017 में 40 फीट, 2018 में 42 फीट, 2019 में 45 फीट और 2020 में 30 फीट पानी की आपूर्ति को लेकर फल्गु नदी में कई बोरिंग करवाई गई. जिसमें से मुख्य रूप से दंडीबाग में 5, ब्राह्मणी घाट में एक, पिता महेश्वर घाट में एक, पंचायती आखा़ड़ा में एक और धोबिया घाट में दो बोरिंग करवायी गई है.