गया: जिले के बोधगया प्रखंड के जमुने नदी पर दशकों पहले वली बांध का निर्माण किया गया था. इस बांध से गर्मी के दिनों में हजारो एकड़ भूमि पर सिंचाई होता था. 2011 में बांध टूट जाने के बाद से हजारो एकड़ खेत में सिंचाई नहीं हो रहा है. जिससे हजारो एकड़ भूमि बंजर हो गया है. वहीं, लोग बड़े स्तर पर इस क्षेत्र से पलायन भी कर चुके हैं. हालांकि, लघु सिंचाई विभाग के मंत्री ने इस बांध का पुर्ननिर्माण के लिए हामी भरी है.
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सन 1920 में हुआ था वली बांध का निर्माण
दरअसल, वली बांध का निर्माण 1920 ई में नस्का गांव के जमींदार स्वर्गीय वली मुहम्मद खान ने करवाया था. वली मुहम्मद खान ने उस समय मिट्टी की दीवार बनाकर बांध बनवाया था. 1920 के बाद ये मिट्टी का बांध 1960 में टूट गया था. जिसके बाद सरकार ने 1965 इस बांध को बनवाया, लेकिन पानी की तेज बहाव ने इस बांध को बहा दिया. 2011 में एक एनजीओ ने इस बांध को पुननिर्माण करवाया, लेकिन वो भी पानी की तेज बहाव के आगे टिक नहीं सका. इस बांध से लाभुक लोगों का मांग हमेशा से रही है. राज्य सरकार मजबूती से बांध को बनाए जिससे खेतो में साल भर खेती हो सके.
खेत होने के बावजूद काम करने शहर जाते
ग्रामीण साधु ठाकुर बताते हैं कि इस बांध से चेरकी तक के गांव के लोग लाभ लेते है. इस बांध होने से भूमिगत जल स्त्रोत भी ठीक रहता है. हजारो एकड़ में खेत में धान की खेती करना मुश्किल हो गया है. कोई इधर धान की खेती नहीं करते है. हमलोगों का खेत होने के बावजूद शहर में काम करने जाते है.
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सरकार की उदासीनता, बांध हुआ ध्वस्त
वली खान के पोते तंजील उर रहमान खान ने बताया कि मेरे पूर्वजों ने बांध बनवाया था. आजादी से पहले बांध कई दशकों तक हजारों एकड़ जमीन को सिंचित किया करता था. अब राज्य सरकार के उदासीनता के कारण बांध ध्वस्त हो गया है. इस क्षेत्र छोटे किसान पलायन कर चुके हैं. इस बांध को पुननिर्माण करवाने के लिए पटना के संबंधित विभाग के मंत्री और अधिकारियों से मिले, लेकिन कुछ पहल नहीं हुआ.
बता दें कि बिहार सरकार के लघु सिंचाई विभाग के मंत्री संतोष सुमन ने बांध का निरीक्षण किया है. उन्होंने ग्रामीणों को आश्वासन दिया है कि इस बांध का निर्माण जल्द से जल्द करवाया जाएगा.