गयाः चीन में इंटरनेशल बिजनेस स्टडी (International Business Study) की पढ़ाई करने गए गया के छात्र नागसेन अमन (Nagsen Aman) का आज परैया प्रखंड के मंगरावां पंचायत स्थित पैतृक गांव कष्ठुआ में अंतिम संस्कार किया गआ. मृतक के चाचा पंकज पासवान ने मुखाग्नि दी. इस दौरान हजारों की संख्या में आसपास के लोग और जनप्रतिनिधि मौजूद रहे. वहीं, परिजनों ने सरकार से न्याय की गुहार लगाने के साथ ही मृतक को शहीद का दर्जा देने की भी मांग की.
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21 दिनों के बाद शुक्रवार को नागसेन अमन का शव परैया प्रखण्ड के कष्ठुआ गांव लाया गया था. रात होने के कारण तब अंतिम संस्कार नहीं किया जा सका. शनिवार को गांव के पास मोरहर नदी के तट पर अंतिम संस्कार किया गया. इस दौरान लोगों ने नागसेन अमर रहे का जमकर नारा लगाया. अंतिम संस्कार के दौरान भारी संख्या में स्थानीय लोग, समाजसेवी, विधायक विनय कुमार (MLA Vinay Kumar) और मखदुमपुर से आरजेडी विधायक सतीश दास उपस्थिति रहे.
मृतक के चाचा रामकिशोर ने केंद्र सरकार को धन्यवाद दिया और कहा कि इस कोविड-19 (COVID-19) महामारी में भी मेरे बच्चे के शव को सरकार की मदद से लाया गया. मेरे बच्चे की हत्या चीन में साजिशन की गई है. उसका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कराना था लेकिन केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने हमारी इस मांग को नहीं माना. हम चाहते हैं कि नागसेन अमन को शहीद का दर्जा दिया जाए. मुझे आज के जनसैलाब को देखकर यकीन हो गया कि मेरे पुत्र को सरकार शहीद का दर्जा देगी.
इस दौरान आरजेडी विधायक सतीश दास (RJD MLA Satish Das) ने कहा कि सरकार नागसेन अमन की हत्या की जांच की रिपोर्ट उपलब्ध कराये. सरकार नागसेन को सम्मान देने के लिए विदेश में पढ़ने जाने वाले छात्रों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति का नामकरण छात्र नागसेन अमन के नाम पर करे. छात्र की हत्या हो जाने से परिजनों को काफी आर्थिक नुकसान हुआ है. इसलिए परिजनों को 5 करोड़ का मुआवजा दिया जाए.
बता दें कि गया का रहने वाला छात्र अमन नागसेन चीन की यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी (University of Technology) में इंटरनेशनल बिजनेस स्टडी की पढ़ाई करने के लिए गया हुआ था. जहां 23 जुलाई को उसकी हत्या कर दी गई थी. मृतक छात्र के परिजनों को 30 जुलाई को इसकी सूचना दी गई थी. इसके बाद से ही परिजन अमन के शव को स्वदेश लाने की गुहार लगा रहे थे. 21 दिनों बाद 13 अगस्त को देर शाम उसका शव पैतृक गांव कष्ठुआ पहुंचा और 22वें दिन मोरहर नदी के तट पर अंतिम संस्कार किया गया.
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