गयाः जिले का महाबोधि मंदिर शांति, सौहार्द और भाईचारे की मिसाल है. सावन महीने में इसका प्रमाण भी दिख जाता है. मंदिर में एक तरफ बौद्ध अनुयायी भगवान बुद्ध की आराधना करते हैं. वहीं, दूसरी ओर मंदिर के गर्भगृह में शिव भक्त शिवलिंग का दर्शन कर मन्नत मांगते हैं. सौहार्द का यह दृश्य देखकर हर कोई रोमांचित हो जाता है.
सावन में कांवरियों की भीड़
महाबोधि मंदिर में यूं तो चीवर धारण किये और सफेद कपड़ों में बौद्ध अनुयायी दिखते हैं. लेकिन सावन महीने में नजारा बदला हुआ है. सावन में मंदिर में कांवरियों की भीड़ लगी रहती है. कांवरिया देवघर में शिवलिंग पर जल चढ़ाकर महाबोधि मंदिर के गर्भगृह में विराजमान शिवलिंग का दर्शन करने आते हैं.
बुद्धम शरणम गच्छामि के साथ बोलबम की गूंज
महाबोधि मंदिर के गर्भ गृह में भगवान बुद्ध की प्रतिमा के साथ शिवलिंग भी स्थापित है. सावन महीने में शिवलिंग की विशेष पूजा होती है. बुद्धम शरणम गच्छामि के साथ बोल बम के नारे भी गूंजते हैं. मंदिर में बौद्ध पुजारी और हिंदू पुजारी साथ-साथ रहते हैं.
पूरी होती है मन्नत
झारखंड से आई एक 85 वर्षीय श्रद्धालु ने बताया कि मैं पहली बार महाबोधि मंदिर आयी हूं. भगवान बुद्ध के साथ-साथ शिवलिंग के भी दर्शन हो गये. उन्होंने कहा कि हमलोग भगवान बुद्ध को विष्णु का अवतार मानते हैं. वहीं, एक अन्य श्रद्धालु ने कहा कि मैं बाबा धाम से जल चढ़ाकर बासुकीनाथ, तारापीठ में भोले नाथ का दर्शन करते हुए महाबोधि मंदिर पहुंचा हूं, सुना है कि यहां हर मन्नत पूरी होती है.