गयाः बिहार के गया में मशरूम अब आइसक्रीम की तरह ठेले पर शहर, बाजार और गांव गलियों में बेचे (Sale of Fresh Mushrooms on Handcart in Gaya) जाएंगे. अब कानों में आइसक्रीम ले लो के साथ-साथ ताजा मशरूम ले लो की भी आवाज सुनाई देगी. बर्फ वाले ठेले की तर्ज पर मशरूम को ताजा और स्वच्छ रखने के लिए भी तकनीक इजाद किए गए हैं. संभवत राज्य में गया पहला जिला है जहां से मशरूम ठेले की शुरुआत हुई है.
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बिहार की गलियों में अब कुछ इस तरह बिकेगी Mushroom : गया में मशरूम ठेला का शुभारंभ कर दिया गया है. आधुनिक तकनीक से बनाए गए मशरूम ठेला तैयार है. इसे बड़े पैमाने पर बाजारों में उतारने की तैयारी सरकार और संबंधित कृषि विभाग आत्मा के सहयोग से कर रहा है. वर्तमान में गया कृषि विभाग के पास आधा दर्जन के करीब मशरूम ठेले आ भी चुके हैं. इसे एक अच्छा प्रयोग माना जा रहा है और सरकार की यह योजना यदि धरातल पर रही तो लोगों को सालों भर ताजा उत्पादित मशरूम खाने को मिलता रहेगा.
गया में मशरूम ठेल की शुरुआत: गया को मशरूम का हब बनाने की कोशिश हो रही है. जिले के कई प्रखंडों में मशरूम का उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जा रहा है. वहीं अब कृषि विभाग आत्मा के प्रयास से इस कोशिश में है कि गरीब तबके के लोग भी मशरूम रोजगार से जुड़ें. उससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी. संबंधित विभाग मशरूम ठेले के लिए गरीब तबके के लोगों को चिह्नित करेगा और इसमें से इस कार्य के लिए उपयुक्त पाए जाने वाले व्यक्ति को ठेला सौंपा जाएगा. इसके एवज में इन्हें उचित मजदूरी के तौर पर राशि दी जाएगी.
मशरूम मित्र और मशरूम सखी की भूमिका अहमः बड़ी बात यह है कि मशरूम ठेला चलाने वाले लोगों को मशरूम मित्र का नाम दिया जाएगा. वहीं जो महिलाएं मशरूम के उत्पादन से जुड़ेंगी, उन्हें मशरूम सखी का नाम दिया जाएगा. इस तरह से मशरूम ठेला को चलाने वाले को सम्मानीय भाषा से ही पुकारा जाएगा, जो कि मशरूम मित्र के रूप में होगा. कृषि विभाग और आत्मा की मदद से मशरूम ठेला की पहल अच्छा रंग ला सकती है और गरीबों को एक तरह से रोजगार भी मिल जाएगा. अच्छे मजदूर मशरूम ठेला के व्यवसाय से सीधे जुड़ कर अपनी आर्थिक स्थिति बेहतर कर सकते हैं.
"गया में हाथ ठेला की शुरुआत हुई है. यह आइस पैड से युक्त रहेगी. इससे लोगों को ताजा मशरूम मिल सकेगा. जानकारी के अनुसार आइसक्रीम के ठेले की तर्ज पर ही मशरूम ठेला बनाया गया है. मशरूम ठेला में आईस पैड चारों ओर से लगा रहेगा. इस आईस पैड को रात में फ्रीज में डाल दिया जाएगा और सुबह में उसे फिर से मशरूम ठेले में चारों ओर से लगाया जाएगा. इस तरह मशरूम एक परफेक्ट तापमान में रहेगा. इससे उसकी ताजगी और शुद्धता बनी रहेगी" - राजेश सिंह, संस्थापक महात्मा बुद्ध एग्री किलनिक व एग्री सेंटर
आईस पैड से युक्त रहेगी हाथ ठेलाः आत्मा से जुड़े राजेश सिंह बताते हैं कि गया में हाथ ठेला की शुरुआत हुई है. यह आइस पैड से युक्त रहेगी. इससे लोगों को ताजा मशरूम मिल सकेगा. जानकारी के अनुसार आइसक्रीम के ठेले की तर्ज पर ही मशरूम ठेला बनाया गया है. मशरूम ठेला में आईस पैड चारों ओर से लगा रहेगा. इस आईस पैड को रात में फ्रीज में डाल दिया जाएगा और सुबह में उसे फिर से मशरूम ठेले में चारों ओर से लगाया जाएगा. इस तरह मशरूम एक परफेक्ट तापमान में रहेगा. इससे उसकी ताजगी और शुद्धता बनी रहेगी. मशरूम के लिए 8 डिग्री से 20 डिग्री का तापमान उपयुक्त माना जाता है. इस तरह अब आइसक्रीम वाले ठेले की तरह मशरूम वाले ठेले भी बाजारों में दिखेंगे. ये मशरूम ठेला आत्मा गया के नवोन्मेषी मद से तैयार होगा.
मशरूम से किसानों को होगी अधिक आमदनीः सरकार की प्राथमिकता में धान और गेहूं के उत्पादन से आगे बढ़कर किसानों को और अधिक आमदनी दिलाने की है. इसके लिए सरकार और कृषि विभाग विभिन्न कृषि उत्पादों जैसे मशरूम, मखाना का समुचित मूल्य दिलाने के लिये योजनाबद्ध तरीके से कार्य कर रहे हैं. मशरूम का उत्पादन गया में अब हर इलाकों में किया जाने लगा है. ऐसे में मशरूम उत्पादन को लेकर कृषि विभाग आत्मा और जीविका संस्था के सहयोग से इस उत्पादन को बड़े हब के रूप में देख रहा है.
"अभी गया में मशरूम का उत्पादन बढ़ाना चाह रहे हैं. साथ ही प्रत्येक प्रखंड में एक मशरूम गांव चिह्नित कर रहे हैं. इसमें करीब-करीब घरों में महिला मशरूम का उत्पादन करेंगी. साथ ही ताजा मशरूम लोगों को उपलब्ध कराने के लिए आत्मा के सहयोग से मशरूम ठेला की शुरुआत की है. इसके डीप फ्रीजर में मशरूम फ्रेश रहेगा" - सुदामा महतो, जिला कृषि पदाधिकारी, गया