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गया के इस धर्मशाला में मामूली मेंटेनेंस में मिलता है AC कमरा, लंच FREE - swami pranwanand ji maharaj

गया के स्वराजपुरी रोड स्थित भारत सेवाश्रम संघ के धर्मशाला में काफी कम कीमत पर एसी कमरा मिलता है. यहां रहने वालों को लंच फ्री में मिलता है. पढ़ें पूरी खबर...

Bharat Sevashram Sangh Dharamshala
भारत सेवाश्रम संघ धर्मशाला
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Published : Aug 27, 2021, 9:28 PM IST

Updated : Aug 31, 2021, 6:15 PM IST

गया: बिहार की धार्मिक नगरी गया (Gaya) में मामूली मेंटेनेंस में एसी रूम और लंच मुफ्त मिलता है. यह सुविधा गया शहर के स्वराजपुरी रोड स्थित भारत सेवाश्रम संघ (Bharat Sevashram Sangh) के धर्मशाला में मिलता है. यहां रहने के लिए 170 कमरे हैं. जहां किसी भी धर्म को मानने वाले लोग रह सकते हैं.

यह भी पढ़ें- मैट्रिक पास छात्रों के लिए शिक्षा मंत्री ने लांच किया पोर्टल, छात्रवृत्ति लेना होगा आसान

भारत सेवाश्रम संघ 1930 में बना था. तब से गयाजी में आनेवाले तीर्थयात्रियों को रहने की सुविधाएं उपलब्ध करवा रहा है. यहां रहने के बदले कोई राशी तय नहीं है, लेकिन लोग कम से कम दस रुपए और अधिक से अधिक राशि अपने इच्छानुसार देते हैं.

देखें वीडियो

भारत सेवाश्रम संघ बनाने के पीछे भी एक घटनात्मक कहानी है. स्वामी प्रणवानन्द जी महाराज 1924 में अपने पिता का पिंडदान करने आए थे. जब वे गया स्टेशन पर ट्रेन से उतरे तो पंडा लोग मेरा यजमान-मेरा यजमान कहकर इनके साथ खींचातानी करने लगे. स्वामी प्रणवानन्द जी महाराज शरीर से बलिष्ठ थे. उन्होंने दो चार पंडा को पटक दिया. उन्होंने पिंडदान करने के बाद सोचा कि साधु-संत का काम सिर्फ प्रवचन करना नहीं है. तब उन्होंने प्रण लिया कि गयाजी तीर्थक्षेत्र में आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए कुछ करेंगे.

गया से लौटने के बाद दान इकट्ठा कर वह फिर गया आये. उन्होंने भारत सेवाश्रम संघ का धर्मशाला बनाया. इस धर्मशाला में रहने के लिए कोई शुल्क निर्धारित नहीं है. ठहरने वाले को एक वक्त का भोजन भी मुफ्त दिया जाता है. यह सुविधा 1930 से मिल रही है. यहां एसी रूम में रहनेवाले भी दस रुपए देकर बिना किसी शिकायत और दबाव से जा सकते हैं.

भारत सेवाश्रम संघ गया के स्वामी सौरवानन्द जी महाराज ने कहा, 'यह आश्रम लोगों के लिए है. यहां किसी भी धर्म के मानने वाले लोग आकर रह सकते हैं. यहां रहने के लिए कोई शुल्क नहीं है. रूम छोड़ते वक्त यात्री की इच्छा पर है कि वह कितना देते हैं, संघ इसमें किसी तरह का दबाव नहीं देता है. स्वामी प्रणवानन्द जी महाराज ने इस धर्मशाला को तीर्थयात्रियों के रहने के लिए बनाया था.'

"पहले तीर्थयात्री पंडा के घर में रहते थे तो उनपर पैसे देने का दबाव रहता था. 1924 में यहां कोई होटल नहीं था. ऐसे में स्वामी प्रणवानन्द जी महाराज द्वारा बनवाया गया यह आश्रम तीर्थयात्रियों को बड़ी राहत देता था. आज भी पितृपक्ष मेला या सामान्य दिनों में पिंडदानी पता पूछकर यहां आते हैं."- स्वामी सौरवानन्द जी महाराज, भारत सेवाश्रम संघ, गया

भारत सेवाश्रम संघ के कमरे में ठहरे एक व्यक्ति ने बताया कि मैं कोलकाता से यहां का पता लेकर आया था. मुझे विश्वास नहीं था कि यहां इतनी सुसज्जित व्यवस्था होगी. यहां सभी तरह की सुविधाएं हैं. इनका कमरा भी काफी अच्छा है. हर कमरा में अटैच शौचालय भी है.

यह भी पढ़ें- 'तेज प्रताप के आकाश' बने युवा LJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष, कहा- 'पूरे बिहार में पार्टी को करूंगा मजबूत'

गया: बिहार की धार्मिक नगरी गया (Gaya) में मामूली मेंटेनेंस में एसी रूम और लंच मुफ्त मिलता है. यह सुविधा गया शहर के स्वराजपुरी रोड स्थित भारत सेवाश्रम संघ (Bharat Sevashram Sangh) के धर्मशाला में मिलता है. यहां रहने के लिए 170 कमरे हैं. जहां किसी भी धर्म को मानने वाले लोग रह सकते हैं.

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भारत सेवाश्रम संघ 1930 में बना था. तब से गयाजी में आनेवाले तीर्थयात्रियों को रहने की सुविधाएं उपलब्ध करवा रहा है. यहां रहने के बदले कोई राशी तय नहीं है, लेकिन लोग कम से कम दस रुपए और अधिक से अधिक राशि अपने इच्छानुसार देते हैं.

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भारत सेवाश्रम संघ बनाने के पीछे भी एक घटनात्मक कहानी है. स्वामी प्रणवानन्द जी महाराज 1924 में अपने पिता का पिंडदान करने आए थे. जब वे गया स्टेशन पर ट्रेन से उतरे तो पंडा लोग मेरा यजमान-मेरा यजमान कहकर इनके साथ खींचातानी करने लगे. स्वामी प्रणवानन्द जी महाराज शरीर से बलिष्ठ थे. उन्होंने दो चार पंडा को पटक दिया. उन्होंने पिंडदान करने के बाद सोचा कि साधु-संत का काम सिर्फ प्रवचन करना नहीं है. तब उन्होंने प्रण लिया कि गयाजी तीर्थक्षेत्र में आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए कुछ करेंगे.

गया से लौटने के बाद दान इकट्ठा कर वह फिर गया आये. उन्होंने भारत सेवाश्रम संघ का धर्मशाला बनाया. इस धर्मशाला में रहने के लिए कोई शुल्क निर्धारित नहीं है. ठहरने वाले को एक वक्त का भोजन भी मुफ्त दिया जाता है. यह सुविधा 1930 से मिल रही है. यहां एसी रूम में रहनेवाले भी दस रुपए देकर बिना किसी शिकायत और दबाव से जा सकते हैं.

भारत सेवाश्रम संघ गया के स्वामी सौरवानन्द जी महाराज ने कहा, 'यह आश्रम लोगों के लिए है. यहां किसी भी धर्म के मानने वाले लोग आकर रह सकते हैं. यहां रहने के लिए कोई शुल्क नहीं है. रूम छोड़ते वक्त यात्री की इच्छा पर है कि वह कितना देते हैं, संघ इसमें किसी तरह का दबाव नहीं देता है. स्वामी प्रणवानन्द जी महाराज ने इस धर्मशाला को तीर्थयात्रियों के रहने के लिए बनाया था.'

"पहले तीर्थयात्री पंडा के घर में रहते थे तो उनपर पैसे देने का दबाव रहता था. 1924 में यहां कोई होटल नहीं था. ऐसे में स्वामी प्रणवानन्द जी महाराज द्वारा बनवाया गया यह आश्रम तीर्थयात्रियों को बड़ी राहत देता था. आज भी पितृपक्ष मेला या सामान्य दिनों में पिंडदानी पता पूछकर यहां आते हैं."- स्वामी सौरवानन्द जी महाराज, भारत सेवाश्रम संघ, गया

भारत सेवाश्रम संघ के कमरे में ठहरे एक व्यक्ति ने बताया कि मैं कोलकाता से यहां का पता लेकर आया था. मुझे विश्वास नहीं था कि यहां इतनी सुसज्जित व्यवस्था होगी. यहां सभी तरह की सुविधाएं हैं. इनका कमरा भी काफी अच्छा है. हर कमरा में अटैच शौचालय भी है.

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Last Updated : Aug 31, 2021, 6:15 PM IST
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