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गया के जंगलों में 'सफेद फूलों' का काला कारोबार, 8 राज्यों में होती है सप्लाई - मादक पदार्थों की खेती

खेत से जीटी रोड तक अफीम पहुंचाने में बच्चे और महिलाओं का उपयोग किया जाता है. उसके बाद जीटी रोड पर बने होटलों से ट्रक पर लोड कर दिया जाता है.

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Published : Aug 18, 2020, 6:19 PM IST

गयाः विश्व प्रसिद्ध मोक्ष और ज्ञान की धरती गया नशे की खेती के लिए भी राष्ट्रीय स्तर पर पहचानी जाती है. यहां के नक्सल प्रभावित क्षेत्रो के जंगल में नक्सली अफीम उपजाते हैं. जिसकी जीटी रोड के होटल संचालक अन्य राज्यों में सप्लाई करते हैं. हालांकि, पुलिस की दबिश से इधर के सालों में अफीम माफियाओं की कमर टूट गई है.

100 गांवों में होती है खेती
दरअसल गया जिले के 24 में से 13 प्रखंड नक्सल प्रभावित क्षेत्र माने जाते हैं. इन क्षेत्रों में नक्सली घटना का अंजाम देते रहते है. वे अपना जीवनयापन चलाने के लिए लेवी मांगने के साथ ही जंगली इलाकों में अफीम की खेती करते हैं. जिले के बाराचट्टी प्रखंड में सबसे ज्यादा अफीम की खेती की जाती है. जंगली इलाके के लगभग 100 गांवों में इसकी खेती की जाती है.

देखें रिपोर्ट

डर से किसान दे देते हैं अपनी जमीन
बताया जाता है कि नक्सली नवंबर महीने से जंगली इलाकों में अफीम की खेती करने के लिए सुरक्षित जमीन खोजने लगते है. खेत के मालिक नक्सलियों के डर से उन्हें जमीन दे देते हैं या खुद मजदूर की तरह खेती करने लगते है. इन खेत के मालिकों या किसानों को नक्सली गेहूं के खेत के बराबर राशि देते हैं.

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अफीम की खेती

आठ राज्यों में होती है सप्लाई
बाराचट्टी प्रखंड से आठ राज्यों में अफीम भेजा जाता है. इनमें पश्चिम बंगाल, पंजाब, ओड़िसा, उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान शामिल हैं. इस संबंध में सिटी एसपी राकेश कुमार ने बताया कि अफीम की खेती रोकने में जिला पुलिस अभियान और एसएसबी लगी रहती है.

23 लोगों की गिरफ्तारी
एसपी ने बताया कि पिछले साल 2018 में 24 कांड अफीम की खेती करने के मामले दर्ज हुए थे, जिसमें 397 किलो गांजा, साढ़े सात किलो तरल अफीम, 23 किलो अफीम और 161 किलो डोडा जब्त हुए थे. वहीं 86.5 एकड़ जमीन में लगे अफीम की फसल को नष्ट किया गया था. इस 24 कांड में 23 लोगों की गिरफ्तारी की गई थी.

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सिटी एसपी राकेश कुमार

दर्ज हुए 49 कांड
सिटी एसपी राकेश कुमार ने बताया कि 2019 में 49 कांड दर्ज हुए हैं, इसमें 518.55 किलो गांजा, दो किलो चरस, 48 किलो अफीम तरल, 2648 किलो डोडा, 12.5 किलो अफीम, 29 किलो पोस्ता जब्त किया गया था. इस साल तीन वर्षों में सबसे अधिक 47 गिरफ्तारी हुई.

नष्ट की गई अफीम की फसल
राकेश कुमार ने बताया कि 2020 में अबतक 61 हजार 760 किलो गांजा, 825 ग्राम चरस, 23 हजार 400 किलो अफीम तरल, 146.272 किलो डोडा, 9300 किलो अफीम और10 किलो पोस्ता जब्त किया गया है. इस साल पांच लोगों की गिरफ्तारी हुई है. 2019 और 2020 मिलाकर 375.6 एकड़ जमीन से अफीम की फसल को नष्ट किया गया है.

मादक पदार्थों की खेती
सिटी एसपी ने बताया कि पहले अफीम की खेती का विनष्टीकरण मार्च महीने में किया जाता था. इस साल यह जनवरी से शुरू कर दिया गया है. उन्होंने बताया कि हमलोग अवैध रूप से मादक पदार्थों की खेती रोकने में लगे हुए हैं, इसमें किसी तरह की कोताही नहीं बरती जाती है.

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पुलिस की दबिश

जीटी रोड है मुख्य रास्ता
बाराचट्टी इलाके में भारी मात्रा में अफीम की खेती होने का मुख्य कारण जीटी रोड है. इसके जरिए अफीम और अन्य मादक पदार्थ आसानी से आठ राज्यो में सप्लाई हो जाते हैं. खेत से जीटी रोड तक अफीम पहुंचाने में बच्चे और महिलाओं का उपयोग किया जाता है. उसके बाद जीटी रोड पर बने होटलों से ट्रक पर लोड कर दिया जाता है.

पुलिस की दबिश
अफीम का गोरखधंधा कोई नया नहीं है यह सालों पुराना है. इधर के तीन से चार सालों में पुलिस दबिश ने अफीम माफिया की कमर तोड़ दिया है. पुलिस हर संभव प्रयास कर रही है कि ज्यादा से ज्यादा मात्रा अफीम की खेती को खत्म कर दिया जाए. अब देखने वाली बात है कि पुलिस को इसमें कितनी सफलता मिलती है.

गयाः विश्व प्रसिद्ध मोक्ष और ज्ञान की धरती गया नशे की खेती के लिए भी राष्ट्रीय स्तर पर पहचानी जाती है. यहां के नक्सल प्रभावित क्षेत्रो के जंगल में नक्सली अफीम उपजाते हैं. जिसकी जीटी रोड के होटल संचालक अन्य राज्यों में सप्लाई करते हैं. हालांकि, पुलिस की दबिश से इधर के सालों में अफीम माफियाओं की कमर टूट गई है.

100 गांवों में होती है खेती
दरअसल गया जिले के 24 में से 13 प्रखंड नक्सल प्रभावित क्षेत्र माने जाते हैं. इन क्षेत्रों में नक्सली घटना का अंजाम देते रहते है. वे अपना जीवनयापन चलाने के लिए लेवी मांगने के साथ ही जंगली इलाकों में अफीम की खेती करते हैं. जिले के बाराचट्टी प्रखंड में सबसे ज्यादा अफीम की खेती की जाती है. जंगली इलाके के लगभग 100 गांवों में इसकी खेती की जाती है.

देखें रिपोर्ट

डर से किसान दे देते हैं अपनी जमीन
बताया जाता है कि नक्सली नवंबर महीने से जंगली इलाकों में अफीम की खेती करने के लिए सुरक्षित जमीन खोजने लगते है. खेत के मालिक नक्सलियों के डर से उन्हें जमीन दे देते हैं या खुद मजदूर की तरह खेती करने लगते है. इन खेत के मालिकों या किसानों को नक्सली गेहूं के खेत के बराबर राशि देते हैं.

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अफीम की खेती

आठ राज्यों में होती है सप्लाई
बाराचट्टी प्रखंड से आठ राज्यों में अफीम भेजा जाता है. इनमें पश्चिम बंगाल, पंजाब, ओड़िसा, उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान शामिल हैं. इस संबंध में सिटी एसपी राकेश कुमार ने बताया कि अफीम की खेती रोकने में जिला पुलिस अभियान और एसएसबी लगी रहती है.

23 लोगों की गिरफ्तारी
एसपी ने बताया कि पिछले साल 2018 में 24 कांड अफीम की खेती करने के मामले दर्ज हुए थे, जिसमें 397 किलो गांजा, साढ़े सात किलो तरल अफीम, 23 किलो अफीम और 161 किलो डोडा जब्त हुए थे. वहीं 86.5 एकड़ जमीन में लगे अफीम की फसल को नष्ट किया गया था. इस 24 कांड में 23 लोगों की गिरफ्तारी की गई थी.

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सिटी एसपी राकेश कुमार

दर्ज हुए 49 कांड
सिटी एसपी राकेश कुमार ने बताया कि 2019 में 49 कांड दर्ज हुए हैं, इसमें 518.55 किलो गांजा, दो किलो चरस, 48 किलो अफीम तरल, 2648 किलो डोडा, 12.5 किलो अफीम, 29 किलो पोस्ता जब्त किया गया था. इस साल तीन वर्षों में सबसे अधिक 47 गिरफ्तारी हुई.

नष्ट की गई अफीम की फसल
राकेश कुमार ने बताया कि 2020 में अबतक 61 हजार 760 किलो गांजा, 825 ग्राम चरस, 23 हजार 400 किलो अफीम तरल, 146.272 किलो डोडा, 9300 किलो अफीम और10 किलो पोस्ता जब्त किया गया है. इस साल पांच लोगों की गिरफ्तारी हुई है. 2019 और 2020 मिलाकर 375.6 एकड़ जमीन से अफीम की फसल को नष्ट किया गया है.

मादक पदार्थों की खेती
सिटी एसपी ने बताया कि पहले अफीम की खेती का विनष्टीकरण मार्च महीने में किया जाता था. इस साल यह जनवरी से शुरू कर दिया गया है. उन्होंने बताया कि हमलोग अवैध रूप से मादक पदार्थों की खेती रोकने में लगे हुए हैं, इसमें किसी तरह की कोताही नहीं बरती जाती है.

gaya
पुलिस की दबिश

जीटी रोड है मुख्य रास्ता
बाराचट्टी इलाके में भारी मात्रा में अफीम की खेती होने का मुख्य कारण जीटी रोड है. इसके जरिए अफीम और अन्य मादक पदार्थ आसानी से आठ राज्यो में सप्लाई हो जाते हैं. खेत से जीटी रोड तक अफीम पहुंचाने में बच्चे और महिलाओं का उपयोग किया जाता है. उसके बाद जीटी रोड पर बने होटलों से ट्रक पर लोड कर दिया जाता है.

पुलिस की दबिश
अफीम का गोरखधंधा कोई नया नहीं है यह सालों पुराना है. इधर के तीन से चार सालों में पुलिस दबिश ने अफीम माफिया की कमर तोड़ दिया है. पुलिस हर संभव प्रयास कर रही है कि ज्यादा से ज्यादा मात्रा अफीम की खेती को खत्म कर दिया जाए. अब देखने वाली बात है कि पुलिस को इसमें कितनी सफलता मिलती है.

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