गया: बिहार के गया में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला 2023 इस वर्ष 28 सितंबर से प्रारंभ होकर 14 अक्टूबर तक चलेगा. महालया (पितृपक्ष) मेले में लाखों श्रद्धालुओं का आगमन होता है. देश के अलावा विदेशों से भी पिंडदानी यहां पूर्वजों के मोक्ष की कामना को लेकर पहुंचते हैं. इस वर्ष आश्विन कृष्ण पक्ष जो महालया है, इसमें सूर्य कन्या राशि में प्रवेश करते हैं. इसे महालया पक्ष (पितृपक्ष) कहा जाता है. यह गया क्षेत्र में त्रैपाक्षिक श्राद्ध के रूप में किया जाता है. यह भाद्रपद कृष्ण पक्ष अनंत चतुर्दशी से प्रारंभ होकर आश्विन कृष्ण पक्ष अमावस्या एवं आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तक चलता है. इसे 17 दिवसीय श्राद्ध कहते हैं.
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28 सितंबर से 14 अक्टूबर तक रहेगा मेलाः मंत्रालय वैदिक पाठशाला विष्णुपद के पंडित राजा आचार्य बताते हैं कि इस वर्ष यह महालया (पितृपक्ष) 28 सितंबर से प्रारंभ होकर 14 अक्टूबर तक चलेगा. जो महालया में विभिन्न तिथियां में श्राद्ध करना चाहते हैं, वह प्रतिपदा तिथि से अमावस्या तक आ सकते हैं. जो महालया में विभिन्न तिथियां में श्राद्ध करना चाहते हैं, वह 30 सितंबर से 14 अक्टूबर तक है. इस महालया में विशेष तिथि में श्राद्ध की जाती है, तो पितृ प्रसन्न हो जाते हैं. पितृ तृप्त हो जाते हैं और आशीर्वाद देकर चले जाते हैं.
"गया जी में श्राद्ध का बड़ा महत्व है. पितृ गया जी में इंतजार करते हैं. तीर्थयात्री महालया पक्ष में श्राद्ध कर सकते हैं. गया तीर्थ क्षेत्र में यात्रा करने के लिए त्रैपाक्षिक 17 दिवसीय शश्राद्ध होता है, जिनके पास समय नहीं है, वह 8 दिन रहकर सभी वेेदियों में श्राद्ध कर सकते हैं. इसके अलावा 5 दिन, 3 दिन या 1 दिन कम से कम रहकर भी पितरों का उद्धार कर सकते हैं." -पंडित राजा आचार्य, मंत्रालय वैदिक पाठशाला, विष्णुपद मंदिर
महालया में है यह विशेष तिथियांः 2 अक्टूबर को भरणीय नक्षत्र है. यह भरणीय श्राद्ध है, जिसमें पितृ लोग तृप्त हो तुरंत चले जाते हैं. इसी प्रकार 6 अक्टूबर के दिन महालयाष्टमी है. इसमें अष्टक श्राद्ध होता है. 7 अक्टूबर को मातृ नवमी कहते हैं. माता के निमित्त श्राद्ध करने का विशेष फल बताया जाता है. 8 अक्टूबर को पुषयार्क योग है. 11 अक्टूबर को यति सन्यासी, स्वामी के लिए विशेष श्राद्ध का दिन है. 12 अक्टूबर को मगहा त्रयोदशी तिथि श्राद्ध है. खातू चतुर्दशी श्राद्ध जो अस्त्र शस्त्र से गुजरे, अकाल मृत्यु, सांप, बिजली करंट, आत्महत्या वाले पितरों के लिए है, वह चतुर्दशी के दिन 13 अक्टूबर को श्राद्ध कर सकते हैं.
मंदिर का इतिहारः पंडित राजा आचार्य बताते हैं कि गया विष्णुपद मंदिर विश्व प्रसिद्ध है. इस मंदिर में भगवान गदाधर स्वयं आकर अपना दायां पैर उठाकर गयासुर राक्षस पर रखा था, वह विराजमान है. वहीं वरदान दिया था, कि गया तीर्थ में पिंडदान करने वाले को पितृ ऋण से मुक्ति मिलेगी.