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Gaya News: 40 से अधिक जानवर की मौत के बाद बुखार की चपेट में भूपनगर गांव, 139 लोग बीमार, दिव्यांगता से त्रस्त है गांव - Drinking Fluoridated Water

गया के भूपनगर गांव में 40 से अधिक मवेशियों की मौत हो गई है. मवेशियों की मौत के बाद पूरा गांव बुखार की चपेट में हैं. स्वास्थ्य विभाग की टीम ने जब कैंप लगाकर लोगों की जांच की तो 140 लोगों में से 139 लोग बीमार निकले. फिलहाल मेडिकल टीम जांच कर रही है. पढ़ें पूरी खबर..

भूपनगर गांव में विकलांगता
भूपनगर गांव में विकलांगता
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 6, 2023, 11:01 AM IST

गया: बिहार के गया के भूपनगर गांव में दिव्यांग समय-समय पर अभिशाप के रूप में सामने आती रहती है. फ्लोराइड युक्त पानी इसका मुख्य कारण है. यही वजह है कि जब भी यहां पानी की समस्या होती है तो लोग बोरिंग का पानी पीते हैं. जिसके चलते लोग 45-50 की उम्र के होते-होते दिव्यांगता के शिकार हो जाते हैं. उनके शरीर टेढ़े-मेढ़े होने लगते हैं या फिर शरीर के कई अंग एक समय बाद काम करना बंद कर देता है.

ये भी पढ़ें- बिहार का बीमार गांव : 60 परिवारों में फ्लोरोसिस का कहर, बच्चे से लेकर बूढ़े हुए दिव्यांग

फ्लोराइड युक्त पानी से गांव में परेशानी: जिला प्रशासन के द्वारा इलाके में वाटर प्लांट लगाया गया है और लोगों को दिव्यांगता से बचाने की कोशिश की गई है. गया के जंगल और पहाड़ी इलाकों में से एक आमस प्रखंड का भूपनगर गांव है. यह गांव दिव्यांगता के अभिशाप से त्रस्त रहा है. यहां पानी में फ्लोराइड की ज्यादा मात्रा होने के कारण विकलांगता ने दर्जनों को चपेटे में लिया. 45-50 की उम्र होते ही शरीर टेढ़े मिले होने लगते हैं.

गांव में हो रही मवेशियों की मौत: अब एक बार फिर से यह गांव डरा हुआ है, क्योंकि पहले इस गांव में मवेशियों की मौत हो रही थी. 40 से अधिक मवेशियों बकरी -गाय की मौत हुई, अब ग्रामीण पर भी कहर शुरू हो गया है. यह पूरा गांव बीमार बताया जाता है. यहां अभी तक 140 लोगों की जांच की गई, जिसमें 139 लोग बुखार, सर्दी, खांसी से ग्रस्त पाए गए. इस तरह यह भूपनगर गांव पूरी तरह से बीमार हो रखा है.

पिछड़ा इलाका होने के कारण भय का माहौल: भूपनगर गांव पिछड़ा इलाका है. यह विनोबा भावे के भूदान की जमीन में बसा हुआ सघन आबादी वाला क्षेत्र है. किंतु यहां बेरोजगारी, अशिक्षा का दंश देखने को मिलता है. एक अदद सड़क से भी यह गांव महरूम हुआ है. ऐसे में यहां दर्जनों मवेशियों की मौत के बाद पूरे गांव के लोगों का बीमार होना एक भय का वातावरण बना हुआ है. भूपनगर गांव के लोग पहले ही विकलांगता के कोप से डरे हुए हैं और अब इस नई बीमारी के कारण उनमें भय व्याप्त हो गया है.

मेडिकल टीम ने की लोगों की जांच: गांव के लोगों के बीमार होने की जानकारी के बाद आमस सरकारी अस्पताल के चिकित्सकों की एक टीम भूपनगर गांव को पहुंची. भूपनगर गांव पहुंचने के बाद यहां मेडिकल टीम ने कैंप किया और जांच शुरू की. इस क्रम में 140 लोगों की जांच की गई. 140 लोगों की जांच में सामने आया कि इसमें एक सिर्फ एक महिला को छोड़कर 139 लोग बुखार, सर्दी, खांसी से त्रस्त हैं. मेडिकल टीम पूरे गांव पर नजर रख रही है.

मवेशियों की मौत से संक्रमण का डर: गांव के लोगों का कहना है कि पहले मवेशी की मौत हुई. दर्जनों बकरी-गाय जैसे मवेशियों की मौत हुई. अब यहां ग्रामीण बीमार हो रहे हैं. उन्हें डर है कि अज्ञात बीमारी के कारण पहले मवेशियों की मौत हुई और इसका संक्रमण यहां रहने वाले लोगों में फैल गया है, जिससे यह पूरा गांव बीमार हो गया है. ग्रामीणों ने मांग किया कि गांव में मेडिकल टीम रखी जाए. ताकि, किसी प्रकार का संक्रमण हो तो उसपर काबू पाया जा सके. फिलहाल भूपनगर गांव के लोग मवेशियों की मौत के बाद लोगों के बीमार होने को लेकर डरे हुए हैं.

"भूपनगर गांव में 140 लोगों की जांच की गई है, जिसमें 139 लोग बीमार पाए गए हैं. इनमें बुखार, सर्दी-खांसी के लक्षण मिले हैं. मेडिकल टीम के द्वारा उन्हें दवाइयां दी गई है. गांव में फैले इस बीमारी पर नजर रखी जा रही है. यहां के लोगों ने बताया है कि पहले मवेशियों की मौत हुई, उसके बाद लोग बीमार होने लगे."- डॉ. महेश प्रसाद, चिकित्सा प्रभारी, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, आमस

गया: बिहार के गया के भूपनगर गांव में दिव्यांग समय-समय पर अभिशाप के रूप में सामने आती रहती है. फ्लोराइड युक्त पानी इसका मुख्य कारण है. यही वजह है कि जब भी यहां पानी की समस्या होती है तो लोग बोरिंग का पानी पीते हैं. जिसके चलते लोग 45-50 की उम्र के होते-होते दिव्यांगता के शिकार हो जाते हैं. उनके शरीर टेढ़े-मेढ़े होने लगते हैं या फिर शरीर के कई अंग एक समय बाद काम करना बंद कर देता है.

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फ्लोराइड युक्त पानी से गांव में परेशानी: जिला प्रशासन के द्वारा इलाके में वाटर प्लांट लगाया गया है और लोगों को दिव्यांगता से बचाने की कोशिश की गई है. गया के जंगल और पहाड़ी इलाकों में से एक आमस प्रखंड का भूपनगर गांव है. यह गांव दिव्यांगता के अभिशाप से त्रस्त रहा है. यहां पानी में फ्लोराइड की ज्यादा मात्रा होने के कारण विकलांगता ने दर्जनों को चपेटे में लिया. 45-50 की उम्र होते ही शरीर टेढ़े मिले होने लगते हैं.

गांव में हो रही मवेशियों की मौत: अब एक बार फिर से यह गांव डरा हुआ है, क्योंकि पहले इस गांव में मवेशियों की मौत हो रही थी. 40 से अधिक मवेशियों बकरी -गाय की मौत हुई, अब ग्रामीण पर भी कहर शुरू हो गया है. यह पूरा गांव बीमार बताया जाता है. यहां अभी तक 140 लोगों की जांच की गई, जिसमें 139 लोग बुखार, सर्दी, खांसी से ग्रस्त पाए गए. इस तरह यह भूपनगर गांव पूरी तरह से बीमार हो रखा है.

पिछड़ा इलाका होने के कारण भय का माहौल: भूपनगर गांव पिछड़ा इलाका है. यह विनोबा भावे के भूदान की जमीन में बसा हुआ सघन आबादी वाला क्षेत्र है. किंतु यहां बेरोजगारी, अशिक्षा का दंश देखने को मिलता है. एक अदद सड़क से भी यह गांव महरूम हुआ है. ऐसे में यहां दर्जनों मवेशियों की मौत के बाद पूरे गांव के लोगों का बीमार होना एक भय का वातावरण बना हुआ है. भूपनगर गांव के लोग पहले ही विकलांगता के कोप से डरे हुए हैं और अब इस नई बीमारी के कारण उनमें भय व्याप्त हो गया है.

मेडिकल टीम ने की लोगों की जांच: गांव के लोगों के बीमार होने की जानकारी के बाद आमस सरकारी अस्पताल के चिकित्सकों की एक टीम भूपनगर गांव को पहुंची. भूपनगर गांव पहुंचने के बाद यहां मेडिकल टीम ने कैंप किया और जांच शुरू की. इस क्रम में 140 लोगों की जांच की गई. 140 लोगों की जांच में सामने आया कि इसमें एक सिर्फ एक महिला को छोड़कर 139 लोग बुखार, सर्दी, खांसी से त्रस्त हैं. मेडिकल टीम पूरे गांव पर नजर रख रही है.

मवेशियों की मौत से संक्रमण का डर: गांव के लोगों का कहना है कि पहले मवेशी की मौत हुई. दर्जनों बकरी-गाय जैसे मवेशियों की मौत हुई. अब यहां ग्रामीण बीमार हो रहे हैं. उन्हें डर है कि अज्ञात बीमारी के कारण पहले मवेशियों की मौत हुई और इसका संक्रमण यहां रहने वाले लोगों में फैल गया है, जिससे यह पूरा गांव बीमार हो गया है. ग्रामीणों ने मांग किया कि गांव में मेडिकल टीम रखी जाए. ताकि, किसी प्रकार का संक्रमण हो तो उसपर काबू पाया जा सके. फिलहाल भूपनगर गांव के लोग मवेशियों की मौत के बाद लोगों के बीमार होने को लेकर डरे हुए हैं.

"भूपनगर गांव में 140 लोगों की जांच की गई है, जिसमें 139 लोग बीमार पाए गए हैं. इनमें बुखार, सर्दी-खांसी के लक्षण मिले हैं. मेडिकल टीम के द्वारा उन्हें दवाइयां दी गई है. गांव में फैले इस बीमारी पर नजर रखी जा रही है. यहां के लोगों ने बताया है कि पहले मवेशियों की मौत हुई, उसके बाद लोग बीमार होने लगे."- डॉ. महेश प्रसाद, चिकित्सा प्रभारी, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, आमस

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