गया: पवित्र रमजान के आखिरी जुमे की नमाज के बाद रोजेदारों ने ईद की तैयारी शुरू कर दी है. शाम ढ़लते ही नमाज अदा करने के बाद बाजारों में रोजेदार खरीदारी कर रहे हैं. शहर में सेवई, कपड़े, जूते और इत्र की दुकानों में भारी भीड़ देखी जा रही है. ईद को लेकर गया भी पूरी तरह फेस्टिवल के मूड में है. गया शहर सहित जिले के सभी प्रमुख बाजारों में चहल पहल है.
पाक रमजान महीने के आखिरी जुमे की नमाज अदा के बाद ईद की तैयारी तेज हो गई है. ईद को लेकर रोजेदारों में उत्साह चरम पर है. घर के साथ-साथ मस्जिद और मोहल्लों की सफाई का काम शुरू हो गया है. इधर ईद की तैयारी में जुटे रोजेदार अपने परिवार के लिए नए-नए कपड़े, रंग-बिरंगी टोपियां, तरह-तरह की सेवई के लच्छे और इत्र की खरीदारी कर रहे हैं. गया के बाजारों में शाम से देर रात तक दुकानों पर भीड़ लगी रहती है. बाजारों में चहल-पहल और रौनक बढ़ गई है.
80 से 500 रुपये तक लच्छा और सेवई उपलब्ध
गया शहर में छत्ता मस्जिद, जामा मस्जिद, जीबी रोड, के.पी रोड, समेत कई इलाकों में लच्छा और सेवई का बाजार लगा है. यहां गया, बनारस, कोलकाता और पटना में बना लच्छा मौजूद है. दुकानदार ने बताया कि 80 रुपये से लेकर 500 रुपये तक का लच्छा और सेवई बाजार में है. पटना के लच्छा और सेवई की मांग लोगों में अधिक है. लोगों का मानना है कि ये सस्ता और अच्छा है. शहर के ब्रांडेड कंपनी का भी लच्छा मार्केट में अपलब्ध है. इस बार गर्मी की वजह से बाजार में लोगों की थोड़ी कमी आयी है.
इत्र और शूरमा का है विशेष महत्व
गया शहर में इत्र की दुकानों में भीड़ देखी जा रही है. रोजेदार एक से एक इत्र को पसंद कर खरीद रहे हैं. ईद में इत्र और शूरमा का विशेष महत्व है. छत्ता मस्जिद स्थित इत्र के दुकानदार ने बताया कि ईद को लेकर विशेष तरह के इत्र मंगवाए गये हैं. दर्जनों प्रकार के खुशबुओं की इत्र मेरे पास उपलब्ध है. मेरे पास कम से कम 50 से लेकर 5 हजार की कीमत का इत्र है.
गरारा, शरारा कपड़ों का है मार्केट में क्रेज
कपड़ों की खरीदारी को लेकर बच्चों और युवाओं में काफी उमंग देखी जा रही है. कुछ लोग रेडीमेड कपड़ों की खरीदारी कर रहे हैं तो कुछ मनपसंद तरीके से दर्जी से सिलाई करवा रहे हैं. बाजार में ईद को लेकर ब्रांडेड और नॉन ब्रांडेड कपड़े मौजूद हैं. ईद को लेकर महिलाओं में गरारा, शरारा कपड़ों का खासा क्रेज है. युवा पठान सूट-कुर्ता, कुर्ता-पायजामा की खरीदारी कर रहे हैं. तो वहीं, बच्चे डिजाइनदार रंग-बिरंगे शेरवानी पसंद कर रहे हैं. बुजुर्ग कुर्ता और परंपरागत लूंगी को तरजीह दे रहे हैं. कपड़ों की दुकान के साथ ही श्रृंगार और आभूषणों की दुकानों पर भी भीड़ देखी जा रही है.