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महाबोधी मंदिर के वृक्ष पर भी लॉकडाउन की मार, वैज्ञानिकों के नहीं पहुंचने से पेड़ का हो रहा ऑनलाइन उपचार

वैज्ञानिक डॉ.अमित पांडेय वीडियो कॉल के माध्यम से बोधि वृक्ष की सेहत का ख्याल रख रहे हैं. इस ऐतिहासिक वृक्ष पर वैज्ञानिक पद्धति से जरूरत के अनुसार पानी और दवाइयों का छिड़काव किया जा रहा है.

पवित्र बोधि वृक्ष
पवित्र बोधि वृक्ष
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Published : Jun 21, 2020, 2:33 AM IST

गया: महाबोधी मंदिर स्थित पवित्र बोधि वृक्ष की देखभाल इनदिनों ऑनलाइन तरीके से हो रही है. बता दें कि देहरादून एफआरआई इस ऐतिहासिक वृक्ष की देखभाल करता है. लॉकडाउन के कारण वहां से विशेषज्ञ गया नहीं पहुंच पाए थे. जिसके बाद बिटीएमसी की देखरेख में वृक्ष की ऑनलाइन गाइडलाइन के अनुसार देखभाल की जा रही है.

'पेड़ के बीमार हिस्से का किया जा रहा उपचार'
बता दें कि पवित्र बोधि वृक्ष की देखभाल के लिए मंदिर प्रबंधन कमेटी और देहरादून एफआरआई के बीच एक समझौता हुआ था. समझौते के बाद से एफआरआई के वैज्ञानिक हर छह महीने में पेड़ की जांच के लिए यहां पहुंचते थे. कोरोना संकट के कराण एफआरआई के वैज्ञानिक इस बार गया नहीं पहुंच पाए. जिसके बाद वृक्ष की देखभाल बिटीएमसी कौ सौंपा गया. बिटीएमसी के सचिव महाबोधी मंदिर के केयरटेकर को वृक्ष को दवाओं का छिड़काव और अन्य निर्देश दे रहे हैं.

ये भी पढ़े- सूर्य ग्रहण का क्या प्रभाव पड़ेगा मानव जाति पर, बता रहे हैं ज्योतिषाचार्य उमेश चंद्र

बिटीएमसी कार्यलय से मिली जानकारी के अनुसार वैज्ञानिक डॉ. अमित पांडेय वीडियो कॉल के माध्यम से बोधि वृक्ष की सेहत का ख्याल रख रहे हैं. इस ऐतिहासिक वृक्ष पर वैज्ञानिक पद्धति से जरूरत के अनुसार पानी और दवाइयों का छिड़काव किया जा रहा है. बोधि वृक्ष की सेहत देखभाल के लिए साल 2008 में देहरादून एफआरआई और मंदिर प्रबंधन के बीच समझौता हुआ था.

पेड़ की छंटाई-कटाई भी की जा रही
मंदिर प्रबंधन कमेटी और देहरादून एफआरआई के बीच समझौता होने के बाद वहां के वैज्ञानिक हर छह महीने में पेड़ की जांच के लिए यहां पहुंचते हैं. हालांकि, कोरोना काल में इस पिछले 2 माह से वैज्ञानिक गया नहीं पहुंच पा रहे हैं. वैज्ञानिक इस पेड़ में लगे फंगस और पेड़ के बीमार हिस्सों पर औषधीय पेस्ट लगाकर उपचार भी किया करते थे. बता दें कि बोधि वृक्ष अपनी पीढ़ी का चौथा वृक्ष है, जो 2650 वर्ष पुराना माना जाता है.

गया: महाबोधी मंदिर स्थित पवित्र बोधि वृक्ष की देखभाल इनदिनों ऑनलाइन तरीके से हो रही है. बता दें कि देहरादून एफआरआई इस ऐतिहासिक वृक्ष की देखभाल करता है. लॉकडाउन के कारण वहां से विशेषज्ञ गया नहीं पहुंच पाए थे. जिसके बाद बिटीएमसी की देखरेख में वृक्ष की ऑनलाइन गाइडलाइन के अनुसार देखभाल की जा रही है.

'पेड़ के बीमार हिस्से का किया जा रहा उपचार'
बता दें कि पवित्र बोधि वृक्ष की देखभाल के लिए मंदिर प्रबंधन कमेटी और देहरादून एफआरआई के बीच एक समझौता हुआ था. समझौते के बाद से एफआरआई के वैज्ञानिक हर छह महीने में पेड़ की जांच के लिए यहां पहुंचते थे. कोरोना संकट के कराण एफआरआई के वैज्ञानिक इस बार गया नहीं पहुंच पाए. जिसके बाद वृक्ष की देखभाल बिटीएमसी कौ सौंपा गया. बिटीएमसी के सचिव महाबोधी मंदिर के केयरटेकर को वृक्ष को दवाओं का छिड़काव और अन्य निर्देश दे रहे हैं.

ये भी पढ़े- सूर्य ग्रहण का क्या प्रभाव पड़ेगा मानव जाति पर, बता रहे हैं ज्योतिषाचार्य उमेश चंद्र

बिटीएमसी कार्यलय से मिली जानकारी के अनुसार वैज्ञानिक डॉ. अमित पांडेय वीडियो कॉल के माध्यम से बोधि वृक्ष की सेहत का ख्याल रख रहे हैं. इस ऐतिहासिक वृक्ष पर वैज्ञानिक पद्धति से जरूरत के अनुसार पानी और दवाइयों का छिड़काव किया जा रहा है. बोधि वृक्ष की सेहत देखभाल के लिए साल 2008 में देहरादून एफआरआई और मंदिर प्रबंधन के बीच समझौता हुआ था.

पेड़ की छंटाई-कटाई भी की जा रही
मंदिर प्रबंधन कमेटी और देहरादून एफआरआई के बीच समझौता होने के बाद वहां के वैज्ञानिक हर छह महीने में पेड़ की जांच के लिए यहां पहुंचते हैं. हालांकि, कोरोना काल में इस पिछले 2 माह से वैज्ञानिक गया नहीं पहुंच पा रहे हैं. वैज्ञानिक इस पेड़ में लगे फंगस और पेड़ के बीमार हिस्सों पर औषधीय पेस्ट लगाकर उपचार भी किया करते थे. बता दें कि बोधि वृक्ष अपनी पीढ़ी का चौथा वृक्ष है, जो 2650 वर्ष पुराना माना जाता है.

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