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देखिए नीतीश जी... आपकी बेटियों को शिक्षा के लिए कैसे जान हथेली पर रखकर नदी पार करना पड़ता है - Students cross the river and go school

पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के विधानसभा क्षेत्र के मोरहर, सोरहर व लबजी नदी के संगम पर पुल नहीं होने से छात्रों को जान जोखिम में डालकर स्कूल जाना पड़ रहा है. सभी से गुहार लगाने के बाद भी पुल नहीं बनने पर स्थानीय लोग आंदोलन की चेतावनी दे रहे हैं.

नदी
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Published : Aug 28, 2021, 5:06 PM IST

गया: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कहते हैं बेटियां पढ़ेंगी तभी बिहार आगे बढ़ेगा. पर जिस बिहार में बेटियों को पढ़ने के लिए नदी पार करना पड़े, जान जोखिम में डालना पड़े तो इसे आप क्या कहेंगे. जी हां कुछ ऐसा ही नजारा गया में देखने को मिला.

ये भी पढ़ें- जनसंख्या नियंत्रण नहीं हुआ तो अफगानिस्तान बन जाएगा देश: नीरज कुमार बबलू

बिहार के गया जिले की इमामगंज विधानसभा (Imamganj Assembly) सीट से लगातार दो बार विधायक चुने गये हम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष (National President of HAM) जीतनराम मांझी (Jitan Ram Manjhi) प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. लेकिन इनकी विधानसभा में विकास की ऐसी गंगा बह रही है कि छात्र और छात्राओं को जान-जोखिम में डालकर स्कूल जाना पड़ रहा है. मोरहर, सोरहर व लबजी नदी के संगम पर पुल नहीं होने से छात्रों को पानी में घुसकर जाना पड़ता है. जिससे कभी भी बड़ी घटना घट सकती है. ग्रामीण इस संबंध में पूर्व सीएम समेत स्थानीय प्रशासन से कई बार गुहार लगा चुके हैं. लेकिन समस्या जस की तस बनी है.

देखें वीडियो

बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की इमामगंज विधानसभा क्षेत्र मोरहर-सोरहर नदी पर पुल नहीं होने से लोगों को 4 महीने खासी दिक्कत का सामना करना पड़ता है. खासकर चुआवार पंचायत के रहने वाले छात्रों को बारिश और बाढ़ के समय जान हथेली पर रखकर नदी पार करके पढ़ाई के लिए जाना पड़ रहा है. दशकों से यहां के रहने वाले लोग शासन से लेकर, सांसद, विधायक और जिला प्रशासन से पुल बनवाने की मांग कर चुके हैं. लेकिन पुल बनवाने के नाम पर किसी के कान में जूं तक नहीं रेंगी.

छात्रा सपना कुमारी ने बताया कि यह समस्या हर साल चार महीने रहती है. मेरे गांव के बच्चे इस नदी को पारकर ही स्कूल और कॉलेज में पढ़ाई करने जाते है. स्कूल जाने के लिए सिर्फ एक यही रास्ता है. चार महीने हमलोग जान हथेली पर रखकर नदी पार करते हैं. हर दिन भींगे कपड़े पहनकर पढ़ाई करते है. बारिश के दौरान कई बार क्लास बीच में छोड़ आना पड़ता है. नदी पार करने के दौरान अक्सर हमारी किताबें और कॉपिया भींग जाती है. हमारी मांग है कि सरकार एक पुल बना दे जिससे हम बिना किसी डर के स्कूल जा सकें.

ये भी पढ़ें- भागलपुर में गंगा और कोसी उफान पर, बाढ़ के पानी में डूबे 459 स्कूल, अब कैसे होगी पढ़ाई?

चुआवार गांव निवासी देवकुमार प्रसाद ने बताया कि चार माह के लिए विकट स्थिति रहती है. नदी पार करो तो जान जाएगी नही पार करो तो पढ़ाई छूट जाएगी. गांव के लोग काम-काज छोड़कर टोली बनाकर बच्चों को नदी पार करवाते हैं. यहां तीनों नदियों का संगम स्थल है और तीनों नदी बारिश में लबालब भर जाती हैं. बच्चे पढ़े इसके लिए उनके साथ हम लोग कष्ट उठाते हैं. इस स्थान पर पुल बनाने के लिए सैकड़ो बार पूर्व मुख्यमंत्री सह विधायक जीतनराम मांझी के पास गुहार लगाए हैं. मुख्यमंत्री से भी मिलकर इस समस्या के बारे में अवगत कराया गया है. दशकों की मांग अब तक किसी ने नहीं सुनी. अब हम लोगों के सब्र का बांध टूट रहा है. हम लोग पुल की मांग के लिए लोकतांत्रिक तरीके से प्रदर्शन करेंगे.

बता दें कि चुआवार व पकरी गुरिया पंचायत को जोड़ने वाली सोरहर, मोरहर व लबजी नदी के संगम पर एक पुल बनने से हजारों लोगों को रहात मिलेगी. बच्चों को जान को जोखिम में डालकर नदी नहीं पार करना पड़ेगा. इसके अलावा रांची और जाने के लिए कम दूरी तय करना पड़ेगा. अब देखना है कि सरकार यहां के लोगों की समस्या का कब तक समाधान करेगी.

गया: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कहते हैं बेटियां पढ़ेंगी तभी बिहार आगे बढ़ेगा. पर जिस बिहार में बेटियों को पढ़ने के लिए नदी पार करना पड़े, जान जोखिम में डालना पड़े तो इसे आप क्या कहेंगे. जी हां कुछ ऐसा ही नजारा गया में देखने को मिला.

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बिहार के गया जिले की इमामगंज विधानसभा (Imamganj Assembly) सीट से लगातार दो बार विधायक चुने गये हम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष (National President of HAM) जीतनराम मांझी (Jitan Ram Manjhi) प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. लेकिन इनकी विधानसभा में विकास की ऐसी गंगा बह रही है कि छात्र और छात्राओं को जान-जोखिम में डालकर स्कूल जाना पड़ रहा है. मोरहर, सोरहर व लबजी नदी के संगम पर पुल नहीं होने से छात्रों को पानी में घुसकर जाना पड़ता है. जिससे कभी भी बड़ी घटना घट सकती है. ग्रामीण इस संबंध में पूर्व सीएम समेत स्थानीय प्रशासन से कई बार गुहार लगा चुके हैं. लेकिन समस्या जस की तस बनी है.

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बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की इमामगंज विधानसभा क्षेत्र मोरहर-सोरहर नदी पर पुल नहीं होने से लोगों को 4 महीने खासी दिक्कत का सामना करना पड़ता है. खासकर चुआवार पंचायत के रहने वाले छात्रों को बारिश और बाढ़ के समय जान हथेली पर रखकर नदी पार करके पढ़ाई के लिए जाना पड़ रहा है. दशकों से यहां के रहने वाले लोग शासन से लेकर, सांसद, विधायक और जिला प्रशासन से पुल बनवाने की मांग कर चुके हैं. लेकिन पुल बनवाने के नाम पर किसी के कान में जूं तक नहीं रेंगी.

छात्रा सपना कुमारी ने बताया कि यह समस्या हर साल चार महीने रहती है. मेरे गांव के बच्चे इस नदी को पारकर ही स्कूल और कॉलेज में पढ़ाई करने जाते है. स्कूल जाने के लिए सिर्फ एक यही रास्ता है. चार महीने हमलोग जान हथेली पर रखकर नदी पार करते हैं. हर दिन भींगे कपड़े पहनकर पढ़ाई करते है. बारिश के दौरान कई बार क्लास बीच में छोड़ आना पड़ता है. नदी पार करने के दौरान अक्सर हमारी किताबें और कॉपिया भींग जाती है. हमारी मांग है कि सरकार एक पुल बना दे जिससे हम बिना किसी डर के स्कूल जा सकें.

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चुआवार गांव निवासी देवकुमार प्रसाद ने बताया कि चार माह के लिए विकट स्थिति रहती है. नदी पार करो तो जान जाएगी नही पार करो तो पढ़ाई छूट जाएगी. गांव के लोग काम-काज छोड़कर टोली बनाकर बच्चों को नदी पार करवाते हैं. यहां तीनों नदियों का संगम स्थल है और तीनों नदी बारिश में लबालब भर जाती हैं. बच्चे पढ़े इसके लिए उनके साथ हम लोग कष्ट उठाते हैं. इस स्थान पर पुल बनाने के लिए सैकड़ो बार पूर्व मुख्यमंत्री सह विधायक जीतनराम मांझी के पास गुहार लगाए हैं. मुख्यमंत्री से भी मिलकर इस समस्या के बारे में अवगत कराया गया है. दशकों की मांग अब तक किसी ने नहीं सुनी. अब हम लोगों के सब्र का बांध टूट रहा है. हम लोग पुल की मांग के लिए लोकतांत्रिक तरीके से प्रदर्शन करेंगे.

बता दें कि चुआवार व पकरी गुरिया पंचायत को जोड़ने वाली सोरहर, मोरहर व लबजी नदी के संगम पर एक पुल बनने से हजारों लोगों को रहात मिलेगी. बच्चों को जान को जोखिम में डालकर नदी नहीं पार करना पड़ेगा. इसके अलावा रांची और जाने के लिए कम दूरी तय करना पड़ेगा. अब देखना है कि सरकार यहां के लोगों की समस्या का कब तक समाधान करेगी.

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