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गया: कोविड अस्पताल में मरीजों के परिजनों के रहने की कोई व्यवस्था नहीं, आवास के नाम पर है एक तंबू - gaya news

बिहार में कोरोना के बढ़ते मामलों की वजह से अस्पतालों में बेड फुल हैं. कोविड अस्पताल में आलम यह है कि परिजन मरीज को बेड किसी तरह दिला देते हैं. लेकिन उनके रहने की कोई व्यवस्था नहीं है.

कोविड अस्पताल में परिजनों के लिए नहीं है कोई व्यवस्था
कोविड अस्पताल में परिजनों के लिए नहीं है कोई व्यवस्था
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Published : May 8, 2021, 8:56 AM IST

गया: कोविड अस्पताल में मरीज के परिजनों के रहने के लिए एक तंबू के सिवा कोई व्यवस्था नहीं है. दरअसल, मगध क्षेत्र का कोविड अस्पताल अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल को बनाया गया है. इस अस्पताल में कोविड वार्ड मरीजों से भर गया है. एक मरीज के लिए कम से कम दो अटेंडेंट हैं. इसी तरह सौ की संख्या में मरीजों के परिजन अस्पताल में हैं. लेकिन अस्पताल प्रशासन ने उनके रहने के लिए एक तंबू के सिवा कोई व्यवस्था नहीं की है.

मरीज के परिजन तपती दोपहर में पेड़ के छांव में दिन काट रहे हैं. वहीं जमीन पर लेटकर या बैठकर रात बिताते हैं. यहां तक कि परिजनों के लिए शौचालय की भी व्यवस्था नहीं है.

ये भी पढ़ें- गया: कोविड अस्पताल में कोरोना मरीज की मौत पर परिजनों ने किया हंगामा

परिजनों के रहने की नहीं है व्यवस्था
नवादा के रहने वाले आकाश कुमार ने बताया कि पिछले 15 दिनों से इस अस्पताल में हैं. लॉकडाउन के पूर्व तक खाना मिलता था, अब नहीं मिल रहा है. हम लोगों घर से सामान लाकर खुद खाना बना रहे हैं. शौचालय और नहाने की कोई व्यवस्था नहीं है. बाहर में पैसे देकर शौचालय का उपयोग करते हैं.

नवादा के रहने वाले नवरंगी प्रसाद ने बताया कि यहां रहना मतलब सिर्फ तकलीफ ही तकलीफ है. इस तंबू में कचरे का अंबार पड़ा था. बहुत आग्रह करने पर सफाईकर्मी ने कचरे को हटाया.

औरंगाबाद की रहने वाली कुरैशा खातून ने बताया कि इस अस्पताल में उनका बेटा भर्ती है. चार दिनों से रोजा और गर्मी में इस तंबू में रहते हैं. यहां कम से कम 100 लोग रहते हैं. दिन में धूप की वजह से लोग नजर नहीं आते है. परिजनों के लिए खाने की बात तो दूर, शौचालय की व्यवस्था भी नारकीय है.

ये भी पढ़ें- सीवान: महाराजगंज कोविड अस्पताल में महिला की हुई मौत, परिजनों ने किया हंगामा

युवा शक्ति कर रही है मदद
बहरहाल, इनकी मुश्किलों को कम करने के लिए जन अधिकार पार्टी के युथ विंग युवा शक्ति के जिलाध्यक्ष ओम यादव ने इन परिजनों के बीच बिस्किट, दालमोट, पानी, डब्ल्यूएचओ, एसएचओ का पैकेट दिया है.

ओम यादव ने बताया कि पप्पू यादव के आह्वान पर आज से हम लोग ने ब्रेक फास्ट से शुरुआत की है. रविवार से सभी परिजनों के लिए एक टाइम का भोजन दिया जाएगा. जो काम जिला प्रशासन और अस्पताल प्रशासन को करना चाहिए, उसे हम लोग कर रहे हैं.

गया: कोविड अस्पताल में मरीज के परिजनों के रहने के लिए एक तंबू के सिवा कोई व्यवस्था नहीं है. दरअसल, मगध क्षेत्र का कोविड अस्पताल अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल को बनाया गया है. इस अस्पताल में कोविड वार्ड मरीजों से भर गया है. एक मरीज के लिए कम से कम दो अटेंडेंट हैं. इसी तरह सौ की संख्या में मरीजों के परिजन अस्पताल में हैं. लेकिन अस्पताल प्रशासन ने उनके रहने के लिए एक तंबू के सिवा कोई व्यवस्था नहीं की है.

मरीज के परिजन तपती दोपहर में पेड़ के छांव में दिन काट रहे हैं. वहीं जमीन पर लेटकर या बैठकर रात बिताते हैं. यहां तक कि परिजनों के लिए शौचालय की भी व्यवस्था नहीं है.

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परिजनों के रहने की नहीं है व्यवस्था
नवादा के रहने वाले आकाश कुमार ने बताया कि पिछले 15 दिनों से इस अस्पताल में हैं. लॉकडाउन के पूर्व तक खाना मिलता था, अब नहीं मिल रहा है. हम लोगों घर से सामान लाकर खुद खाना बना रहे हैं. शौचालय और नहाने की कोई व्यवस्था नहीं है. बाहर में पैसे देकर शौचालय का उपयोग करते हैं.

नवादा के रहने वाले नवरंगी प्रसाद ने बताया कि यहां रहना मतलब सिर्फ तकलीफ ही तकलीफ है. इस तंबू में कचरे का अंबार पड़ा था. बहुत आग्रह करने पर सफाईकर्मी ने कचरे को हटाया.

औरंगाबाद की रहने वाली कुरैशा खातून ने बताया कि इस अस्पताल में उनका बेटा भर्ती है. चार दिनों से रोजा और गर्मी में इस तंबू में रहते हैं. यहां कम से कम 100 लोग रहते हैं. दिन में धूप की वजह से लोग नजर नहीं आते है. परिजनों के लिए खाने की बात तो दूर, शौचालय की व्यवस्था भी नारकीय है.

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युवा शक्ति कर रही है मदद
बहरहाल, इनकी मुश्किलों को कम करने के लिए जन अधिकार पार्टी के युथ विंग युवा शक्ति के जिलाध्यक्ष ओम यादव ने इन परिजनों के बीच बिस्किट, दालमोट, पानी, डब्ल्यूएचओ, एसएचओ का पैकेट दिया है.

ओम यादव ने बताया कि पप्पू यादव के आह्वान पर आज से हम लोग ने ब्रेक फास्ट से शुरुआत की है. रविवार से सभी परिजनों के लिए एक टाइम का भोजन दिया जाएगा. जो काम जिला प्रशासन और अस्पताल प्रशासन को करना चाहिए, उसे हम लोग कर रहे हैं.

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