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गया: वर्षाकाल समाप्त होते ही पर्यटकों से गुलजार हुआ महाबोधि मंदिर - bodhgaya latest news

अक्टूबर से लेकर मार्च तक पर्यटकों से बोधगया गुलजार रहता है. वर्षावास समाप्त होते ही यहां बौद्ध अनुयायियों की संख्या में बढ़ोतरी हो गई है. बौद्ध धर्म में वर्षावास का काफी महत्व है.

वर्षाकाल समाप्त होते ही पर्यटकों से गुलजार हुआ महाबोधी मंदिर
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Published : Oct 13, 2019, 9:32 PM IST

गया: बुद्ध की नगरी गया में वर्षावास समाप्त होने के बाद पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है. वैसे तो यहां साल भर पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है. लेकिन, अक्टूबर से बौद्ध अनुयायियों के साथ-साथ पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी होती है.

अक्टूबर से लेकर मार्च तक पर्यटकों से बोधगया गुलजार रहता है. 13 अक्टूबर यानी शरद पूर्णिमा से यहां बौद्ध अनुयायियों की संख्या में बढ़ोतरी हो गई है. बौद्ध धर्म में वर्षावास का काफी महत्व है. महाबोधि मंदिर में बीटीएमसी की ओर से चीवर दान समारोह आयोजित किया जाता है. इसके बाद विभिन्न मोनेस्ट्री में इसका आयोजन किया जाता है.

वर्षाकाल समाप्त होते ही पर्यटकों से गुलजार हुआ महाबोधि मंदिर

'बौद्ध भिक्षुओं के लिए वर्षावास अहम'
बंगलादेश मोनेस्ट्री के सचिव भन्ते कल्याण प्रिय ने बताया कि बौद्ध भिक्षुओं के लिए वर्षावास बहुत महत्वपूर्ण है. वर्षावास में बौद्ध कुटिया या बौद्ध विहार में आषाढ़ पूर्णिमा से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक रहते हैं. जहां वो पूरे तीन महीने तक एक वक्त भोजन कर साधना और अध्ययन में लगे रहते हैं.

gaya
मंदिर परिसर में बौद्ध अनुयायी

कठिन चीवर दान
मोनेस्ट्री सचिव ने कहा कि इस अवधि में बौद्ध भिक्षु न तो किसी से ज्यादा मिलते हैं और न ही कहीं घूमते हैं. बौद्ध धर्म ग्रंथों में वर्णित है कि भगवान बुद्ध ने भी विभिन्न स्थानों पर वर्षावास काल में समय व्यतीत किया था. वर्षावास समापन के बाद बौद्ध उपासक एक महीने तक बौद्ध भिक्षुओं को कठिन चीवर दान करते हैं.

गया: बुद्ध की नगरी गया में वर्षावास समाप्त होने के बाद पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है. वैसे तो यहां साल भर पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है. लेकिन, अक्टूबर से बौद्ध अनुयायियों के साथ-साथ पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी होती है.

अक्टूबर से लेकर मार्च तक पर्यटकों से बोधगया गुलजार रहता है. 13 अक्टूबर यानी शरद पूर्णिमा से यहां बौद्ध अनुयायियों की संख्या में बढ़ोतरी हो गई है. बौद्ध धर्म में वर्षावास का काफी महत्व है. महाबोधि मंदिर में बीटीएमसी की ओर से चीवर दान समारोह आयोजित किया जाता है. इसके बाद विभिन्न मोनेस्ट्री में इसका आयोजन किया जाता है.

वर्षाकाल समाप्त होते ही पर्यटकों से गुलजार हुआ महाबोधि मंदिर

'बौद्ध भिक्षुओं के लिए वर्षावास अहम'
बंगलादेश मोनेस्ट्री के सचिव भन्ते कल्याण प्रिय ने बताया कि बौद्ध भिक्षुओं के लिए वर्षावास बहुत महत्वपूर्ण है. वर्षावास में बौद्ध कुटिया या बौद्ध विहार में आषाढ़ पूर्णिमा से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक रहते हैं. जहां वो पूरे तीन महीने तक एक वक्त भोजन कर साधना और अध्ययन में लगे रहते हैं.

gaya
मंदिर परिसर में बौद्ध अनुयायी

कठिन चीवर दान
मोनेस्ट्री सचिव ने कहा कि इस अवधि में बौद्ध भिक्षु न तो किसी से ज्यादा मिलते हैं और न ही कहीं घूमते हैं. बौद्ध धर्म ग्रंथों में वर्णित है कि भगवान बुद्ध ने भी विभिन्न स्थानों पर वर्षावास काल में समय व्यतीत किया था. वर्षावास समापन के बाद बौद्ध उपासक एक महीने तक बौद्ध भिक्षुओं को कठिन चीवर दान करते हैं.

Intro:Body:गया बोधगया बौद्ध धर्म के लिए पवित्र महत्वपूर्ण स्थान है.
बौद्ध अनुयाई अपने जीवन में एक बार बोधगया जरूर आते हैं.
ऐसे तो पूरे वर्ष देशी विदेशी पर्यटकों से गुलजार रहता है
लेकिन वर्षावास समाप्त होने पर बोधगया महाबोधी मंदिर में पर्यटको की संख्या में काफी बृद्धि हो गई है
अक्टूबर माह से लेकर मार्च तक विदेशी पर्यटकों से बोधगया गुलजार रहता है. 13 अक्टूबर यानि कार्तिक पूर्णिमा से देशी विदेशी पर्यटकों का बोधगया आने का सिलसिला शुरू हो गया है
विश्व धरोहर महाबोधि मंदिर में पूजा अर्चना करने के लिये बौद्ध भिक्षुओं का आना जाना सुरु हो गया
बंगलादेश मोनेस्ट्री के सचिव भन्ते कल्याण प्रिय ने बताया कि बौद्ध भिक्षुओं के लिये वर्षावास बहुत महत्वपूर्ण है. बौद्ध भिक्षु वर्षावास में बौद्ध कुटिया या बौद्ध विहार में आषाढ़ पूर्णिमा से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक रहते हैं. पूरे तीन माह तक एक वक्त भोजन कर साधना और अध्ययन में लगे रहते हैं. इस अवधि में बौद्ध भिक्षु ना तो किसी से ज्यादा मिलते हैं और ना ही विचरण करते हैं. भगवान बुद्ध ने भी विभिन्न स्थानों पर वर्षावास काल में समय व्यतीत किया था. यह बौद्ध धर्म ग्रंथों में वर्णित है. वर्षावास समापन के बाद एक माह तक बौद्ध उपासकों द्वारा बौद्ध भिक्षुओं को को कठिन चीवर दान किया जाता है
महाबोधि मंदिर में बीटीएमसी की ओर से चीवर दान समारोह आयोजित किया जाता है. जिसके बाद विभिन्न मोनेस्ट्री में इसका आयोजन किया जाता है.
आपको बता दें कि पूरे विश्व के बौद्ध भिक्षुओं के अलावे देश विदेश के पर्यटक बोधगया के विश्व प्रसिद्ध महाबोधी मंदिर पूजा अर्चना करने आते हैं महाबोधी मंदिर परिसर में पवित्र बोधि वृक्ष को भी नमन करते हैं
यही बोधि वृक्ष के नीचे सिद्धार्थ को कठिन तपस्या के बाद ज्ञान की प्रप्ति हुई थी इस वजह से बोधगया विश्व विख्यात स्थान माना जाता है
यहा से ही पूरे देश के बौद्ध भिक्षु विश्व शांति के संदेश देते हैं
यहा अलग अलग धर्म व अलग अलग बौद्ध धर्म के बौद्ध मठ मंदिर बनाया गया है
Conclusion:
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