गया: बुद्ध की नगरी गया में वर्षावास समाप्त होने के बाद पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है. वैसे तो यहां साल भर पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है. लेकिन, अक्टूबर से बौद्ध अनुयायियों के साथ-साथ पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी होती है.
अक्टूबर से लेकर मार्च तक पर्यटकों से बोधगया गुलजार रहता है. 13 अक्टूबर यानी शरद पूर्णिमा से यहां बौद्ध अनुयायियों की संख्या में बढ़ोतरी हो गई है. बौद्ध धर्म में वर्षावास का काफी महत्व है. महाबोधि मंदिर में बीटीएमसी की ओर से चीवर दान समारोह आयोजित किया जाता है. इसके बाद विभिन्न मोनेस्ट्री में इसका आयोजन किया जाता है.
'बौद्ध भिक्षुओं के लिए वर्षावास अहम'
बंगलादेश मोनेस्ट्री के सचिव भन्ते कल्याण प्रिय ने बताया कि बौद्ध भिक्षुओं के लिए वर्षावास बहुत महत्वपूर्ण है. वर्षावास में बौद्ध कुटिया या बौद्ध विहार में आषाढ़ पूर्णिमा से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक रहते हैं. जहां वो पूरे तीन महीने तक एक वक्त भोजन कर साधना और अध्ययन में लगे रहते हैं.
कठिन चीवर दान
मोनेस्ट्री सचिव ने कहा कि इस अवधि में बौद्ध भिक्षु न तो किसी से ज्यादा मिलते हैं और न ही कहीं घूमते हैं. बौद्ध धर्म ग्रंथों में वर्णित है कि भगवान बुद्ध ने भी विभिन्न स्थानों पर वर्षावास काल में समय व्यतीत किया था. वर्षावास समापन के बाद बौद्ध उपासक एक महीने तक बौद्ध भिक्षुओं को कठिन चीवर दान करते हैं.