गया: मगध विश्वविद्यालय ने स्नातक की द्वितीय और तृतीय वर्ष की परीक्षा लॉकडाउन के दौरान शॉर्ट नोटिस पर ली थी. जिसके कारण हजारों छात्र परीक्षा से वंचित रह गए हैं. गुरुवार को छात्रों की इस समस्या को लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने कुलपति और परीक्षा नियंत्रक से मुलाकात की है.
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"वार्षिक परीक्षा में हर साल लगभग 3 हजार के करीब छात्र परीक्षा से वंचित रह जाते हैं. इस साल लगभग 10 हजार के करीब छात्र परीक्षा देने से वंचित रह गए हैं. इसी को लेकर आज कुलपति से हम लोग मिले है."- अभिषेक निराला, छात्र नेता, एबीवीपी
छात्रों का आरोप
दरअसल, राज्य सरकार के निर्देश के बाद साल 2020 में लॉकडाउन की अवधि में मगध विश्वविद्यालय ने स्नातक स्तर की परीक्षा लेना शुरू कर दी थी, लेकिन महाविद्यालय बंद होने के कारण और शॉर्ट नोटिस के कारण हजारों की संख्या में छात्रों की परीक्षा छूट गयी है. छात्रों का आरोप है कि विश्विद्यालय और महाविद्यालय ने उचित समय पर हमलोग तक सूचना नहीं पहुंचाई, इसलिए वह परीक्षा देने से वंचित रह गए हैं. वहीं, विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि अगर अधिक संख्या में छात्र परीक्षा से वंचित होंगे तो उनकी परीक्षा दुबारा ली जा सकती है.
"महाविद्यालयों की ओर से अभी तक परीक्षा से वंचित छात्रों की कितनी संख्या है इसकी कोई लिस्ट नहीं आई है अगर महाविद्यालय आग्रह करते हैं की हमारे यहां अधिक संख्या में छात्रों की परीक्षा छूट गई है तो विश्वविद्यालय फिर से परीक्षा ले सकता है, लेकिन अभी तक ऐसी कोई सूचना किसी महाविद्यालय से नहीं मिली है."- भिरगू नाथ, परीक्षा नियंत्रक, मगध विश्वविद्यालय
बता दें कि मगध विश्वविद्यालय का बंटवारा करके पाटलिपुत्रा विश्वविद्यालय बनाया गया है, लेकिन 2017-20 सत्र के छात्रों की परीक्षा मगध विश्वविद्यालय ले रहा है, ऐसे में विश्वविद्यालय के 40 कॉलेज के अलावा सैकड़ो संबंधित कॉलेजों में परीक्षा मगध विश्विद्यालय ने ली है. वहीं, इन सभी महाविद्यालय में काफी संख्या में छात्र परीक्षा से वंचित रह गए हैं.