गया: यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के बैनर तले बैंकों के निजीकरण के विरोध में बैंक कर्मियों ने जमकर प्रदर्शन किया. बैंक कर्मियों ने सड़क पर विरोध मार्च निकालकर केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की. यह विरोध मार्च गया शहर के केदारनाथ मार्केट एसबीआई बैंक से निकलकर समाहरणालय, व्यवहार न्यायालय, काशीनाथ होते हुए गांधी मैदान पहुंचा.
पढ़ें: दरभंगा: बैंक कर्मियों की सरकार को चेतावनी- मांगे नहीं मानी तो करेंगे अनिश्चितकालीन हड़ताल
बैंकों के निजीकरण के खिलाफ 15 व 16 मार्च को होंगे प्रदर्शन
इस मौके पर बैंक कर्मी विनोद मिश्रा ने कहा कि बैंकों के निजीकरण के खिलाफ प्रदर्शन किया जा रहा है. 15 और 16 मार्च देश भर के 10 लाख बैंक कर्मचारी व अधिकारी हड़ताल पर रहेंगे.
बैंक का इतिहास
साल 1969 में 14 एवं 1980 में 6 बैंकों का राष्ट्रीयकरण हुआ था. इससे पहले बैंक बड़े पूंजीपतियों जैसे टाटा, बिरला के हाथों में थे. बैंकों की जमा पूंजी का उपयोग पूंजीपतियों ने जनता के हित में ना करके अपने हित में किया जाता था. ग्रामीण क्षेत्र में बैंकों की संख्यानग्न थी. तत्कालीन सरकार ने जनहित में बैंकों के उपयोग के लिए राष्ट्रीयकरण का फैसला लिया गया. फलस्वरूप बैंक शाखाओं का ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से फैलाव हुआ. कृषि ऋण प्राथमिकता के आधार पर उपलब्ध कराया गया और गरीब से गरीब जनता को छोटे-छोटे काम के लिए ऋण मुहैया कराए गए. करोड़ों जनता की पहुंच बैंक तक हुई.
पढ़ें: गया: मांगों को लेकर दो दिवसीय हड़ताल पर बैंक कर्मचारी
बैंक के प्राइटेशन से लोगों को मिलने वाला ऋण हो जाएगा समाप्त
बैंक कर्मी ने कहा कि साल 1991 के बाद से उदारीकरण के प्रभाव में बैंकों के शेयर बेचे जाने लगे. बैंकों का विलय किया गया. जिसका एकमात्र उद्देश्य उनका निजीकरण था. इसके अलावा रेल, बीमा, एयर इंडिया जैसे क्षेत्र को भी निजी हाथों में सौंपा जा रहा है. इस प्रकार बैंकों का राष्ट्रीयकरण का उद्देश्य खतरे में पड़ गए हैं. इसका सीधा प्रभाव जनता को मिलने वाले लाभ पर पड़ेगा. छोटे-छोटे लाभ जैसे बकरी पालन, सूअर पालन, छोटे घरेलू उद्योग को मिलने वाले ऋण समाप्त हो जाएगा.
इन्ही सब बातों को लेकर 15 और 16 मार्च को पूरे 10 लाख बैंक कर्मी हड़ताल पर रहेंगे.