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जिस शहर में लगाती थीं झाड़ू, वहां की जनता ने बनाया डिप्टी मेयर.. गया की चिंता देवी से मिलिए - गया न्यूज

Gaya Municipal Election Results बिहार नगर निकाय चुनाव में गया के मतदाताओं ने अभूतपूर्व फैसला सुनाते 40 वर्षों तक गया नगर निगम क्षेत्र में झाड़ू लगाने वाली महिला को डिप्टी मेयर की कुर्सी पर बैठा दिया. चिंता देवी ने निकिता रजक को 27 हजार से अधिक मतों से पराजित किया है. कहा जाता है कि पूरे गया में स्वच्छता का संदेश देने वाली चिंता देवी अपने सिर पर मैला ढ़ोने का भी कार्य किया है. पढ़ें पूरी खबर

गया की डिप्टी मेयर चिंता देवी
गया की डिप्टी मेयर चिंता देवी
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Published : Dec 31, 2022, 2:33 PM IST

गया: चिंता देवी भले पढ़ी लिखी नहीं हों, लेकिन पूरे क्षेत्र को स्वच्छता का ऐसा पाठ पढ़ाया कि लोग उनके मुरीद हो गए. चिंता पिछले 40 सालों से गया नगर निगम के सफाई कर्मी के रूप में काम कर रही थी (Gaya Nagar Nigam Election Result ). चिंता देवी रोजाना कचरा उठाने और झाडू़ लगाने का काम करती थीं. अब वे सब्जी बेचने का काम करती थीं, लेकिन इस बार गया नगर निगम का डिप्टी मेयर का पद आरक्षित होने के कारण चिंता देवी चुनावी मैदान में ताल ठोका (sweeper chinta devi became deputy mayor) और जनता का भरपूर समर्थन के साथ रिकॉर्ड मतों से सफाईकर्मी चिंता देवी डिप्टी मेयर बनीं.

ये भी पढ़ें: मैला ढोने वाली महिला बनीं गया की डिप्टी मेयर, पूर्व सीएम मांंझी की बेटी को मिली मात

'2020 तक चिंता देवी झाडू लगाती रहीं' : चिंता देवी के पति का स्वर्गवास हो चुका है, लेकिन शहर को स्वच्छ रखने का अपना कार्य कभी नहीं छोड़ा. उन्होंने अपने दायित्व का ईमानदारी से पालन किया और लोगों के दिलों में अपना स्थान बना लिया. आज इसी का परिणाम है कि लोगों ने डिप्टी मेयर की कुर्सी तक पहुंचा कर यह भी संदेश दे दिया कि लोकतंत्र में सफाई कर्मचारी भी सर्वोच्च पद तक पहुंच सकता है. वर्ष 2020 तक चिंता देवी झाडू लगाती रहीं, उसके बाद जब वे सेवानिवृत्त हुईं तो सब्जी बेचने लगीं, लेकिन स्वच्छता को लेकर वे सजग रही.

'सोचा था कि यहां तक की यात्रा भी कभी तय करूंगी' : चिंता देवी ने निकिता रजक को 27 हजार से अधिक मतों से पराजित किया है. जीत दर्ज करने के बाद डिप्टी मेयर चिन्ता देवी ने कहा है कि वह सरकार से लड़कर गया को नया बनाएगी. ऐसा काम करेगी कि गया को पूरी दुनिया देखेगी. चुनाव में मिले समर्थन से भावविभोर चिंता कहती हैं कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि यहां तक की यात्रा भी कभी तय करूंगी.

''लोग इतना मान देंगे, नहीं सोचा था. अपना काम करते रहें तो जनता भी सम्मान देती है. जिस कार्यालय में झाडू लगाने वाली के रूप में कार्यरत थीं, अब वहीं से बैठकर शहर की स्वच्छता के लिए योजनाएं बनाएंगे.'' - चिंता देवी, डिप्टी मेयर उम्मीदवार, गया (विजयी)

''चिंता देवी ने गया में मैला ढोने का काम भी किया था. मैला ढोने वाली महिला ने डिप्टी मेयर के पद का चुनाव जीतकर इतिहास रचा है. शहरवासियों ने दबे कुचले का समर्थन कर उन्हें समाज में आगे बढ़ाने का काम करते हैं. जिस तरह भगवती देवी भी सिर पर टोकरी ढोकर सांसद बनी थी, अब चिंता देवी जो कि मैला ढोने वाली महिला के रूप में जानी जाती थी, अब डिप्टी मेयर के रूप में जानी जाएंगी.'' - मोहन श्रीवास्तव, पूर्व डिप्टी मेयर, गया

गया: चिंता देवी भले पढ़ी लिखी नहीं हों, लेकिन पूरे क्षेत्र को स्वच्छता का ऐसा पाठ पढ़ाया कि लोग उनके मुरीद हो गए. चिंता पिछले 40 सालों से गया नगर निगम के सफाई कर्मी के रूप में काम कर रही थी (Gaya Nagar Nigam Election Result ). चिंता देवी रोजाना कचरा उठाने और झाडू़ लगाने का काम करती थीं. अब वे सब्जी बेचने का काम करती थीं, लेकिन इस बार गया नगर निगम का डिप्टी मेयर का पद आरक्षित होने के कारण चिंता देवी चुनावी मैदान में ताल ठोका (sweeper chinta devi became deputy mayor) और जनता का भरपूर समर्थन के साथ रिकॉर्ड मतों से सफाईकर्मी चिंता देवी डिप्टी मेयर बनीं.

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'2020 तक चिंता देवी झाडू लगाती रहीं' : चिंता देवी के पति का स्वर्गवास हो चुका है, लेकिन शहर को स्वच्छ रखने का अपना कार्य कभी नहीं छोड़ा. उन्होंने अपने दायित्व का ईमानदारी से पालन किया और लोगों के दिलों में अपना स्थान बना लिया. आज इसी का परिणाम है कि लोगों ने डिप्टी मेयर की कुर्सी तक पहुंचा कर यह भी संदेश दे दिया कि लोकतंत्र में सफाई कर्मचारी भी सर्वोच्च पद तक पहुंच सकता है. वर्ष 2020 तक चिंता देवी झाडू लगाती रहीं, उसके बाद जब वे सेवानिवृत्त हुईं तो सब्जी बेचने लगीं, लेकिन स्वच्छता को लेकर वे सजग रही.

'सोचा था कि यहां तक की यात्रा भी कभी तय करूंगी' : चिंता देवी ने निकिता रजक को 27 हजार से अधिक मतों से पराजित किया है. जीत दर्ज करने के बाद डिप्टी मेयर चिन्ता देवी ने कहा है कि वह सरकार से लड़कर गया को नया बनाएगी. ऐसा काम करेगी कि गया को पूरी दुनिया देखेगी. चुनाव में मिले समर्थन से भावविभोर चिंता कहती हैं कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि यहां तक की यात्रा भी कभी तय करूंगी.

''लोग इतना मान देंगे, नहीं सोचा था. अपना काम करते रहें तो जनता भी सम्मान देती है. जिस कार्यालय में झाडू लगाने वाली के रूप में कार्यरत थीं, अब वहीं से बैठकर शहर की स्वच्छता के लिए योजनाएं बनाएंगे.'' - चिंता देवी, डिप्टी मेयर उम्मीदवार, गया (विजयी)

''चिंता देवी ने गया में मैला ढोने का काम भी किया था. मैला ढोने वाली महिला ने डिप्टी मेयर के पद का चुनाव जीतकर इतिहास रचा है. शहरवासियों ने दबे कुचले का समर्थन कर उन्हें समाज में आगे बढ़ाने का काम करते हैं. जिस तरह भगवती देवी भी सिर पर टोकरी ढोकर सांसद बनी थी, अब चिंता देवी जो कि मैला ढोने वाली महिला के रूप में जानी जाती थी, अब डिप्टी मेयर के रूप में जानी जाएंगी.'' - मोहन श्रीवास्तव, पूर्व डिप्टी मेयर, गया

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