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70 साल बाद मिली सफलता, गया के चिरियावां में पहली बार बनेगी सड़क

चिरियावां गांव के युवा पंकज कुमार सिंह कहते हैं कि सड़क बनवाने के लिए गया जिला मुख्यालय, पटना सहित दिल्ली के मंत्रियों के कार्यालय तक का चक्कर काटा. सरकारी दफ्तरों में महीनों दौड़ता रहा, तब जाकर सड़क बनने का रास्ता साफ हुआ.

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Published : Dec 13, 2019, 2:35 PM IST

गया: जिला मुख्यालय से लगभग 45 किलोमीटर दूर अतरी प्रखंड के पहाड़ों की तलहटी में चिरियावां गांव बसा है. जहां के 75% घरों के लोग सेना और पुलिस में देश की सुरक्षा में तैनात हैं. इसके बावजूद आजादी के 70 वर्ष बीत जाने के बाद भी यहां सड़क नहीं बनी. लेकिन अब गांव के ही युवा पंकज कुमार सिंह के भागीरथी प्रयास के बाद यहां सड़क बनने वाली है. सड़क बनने की खबर सुनकर लोग खुश हैं.

70 साल के बाद भी नहीं बनी पक्की सड़क
चिरियावां गांव निवासी सेना में सूबेदार के पद पर पदस्थापित राम प्रताप सिंह बताते हैं कि उन्होंने कभी भी अपने गांव में सड़क नहीं देखी. मंत्री से लेकर विधायक, सांसद तक लोग वोट के समय गांव में आए और सड़क बनाने का आश्वासन दिया. लेकिन जीतने के बाद किसी ने भी सड़क के लिए इस गांव की सुधि नहीं ली. उन्होंने कहा कि मात्र 600 मीटर पहाड़ का पथरीली भूमि होने के कारण वन विभाग की ओर से एनओसी नहीं दिया गया. जिस कारण सड़क नहीं बनी. अब गांव के ही युवा पंकज कुमार सिंह के अथक प्रयास के बाद यहां सड़क बनने वाली है.

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पथरीली सड़कों पर चलते लोग

सड़क बनने की खबर से लोग खुश
वहीं, चिरियावां उत्क्रमित मध्य विद्यालय में पढ़ाने वाले शिक्षक वीरेंद्र कुमार बताते हैं कि वे दूर शाहबाजपुर गांव से यहां पढ़ाने के लिए आते है. मात्र 1.7 किलोमीटर सड़क नहीं रहने के कारण उन्हें 10 किलोमीटर दूर घूम कर आना पड़ता है. अब सड़क बन जाने से वे आसानी से गांव में आकर बच्चों को पढ़ा सकेंगे. सड़क बन जाने से न सिर्फ गांव वालों को बल्कि यहां दूसरे गांव से भी आने वाले लोगों को काफी सुविधा होगी.

देखें पूरी रिपोर्ट

कैसे साफ हुआ सड़क बनाने का रास्ता
वहीं, चिरियावां गांव के युवा पंकज कुमार सिंह कहते हैं कि सड़क बनवाने के लिए गया जिला मुख्यालय, पटना सहित दिल्ली के मंत्रियों के कार्यालय तक का चक्कर काटा. सरकारी दफ्तरों में महीनों दौड़ते रहे तब जाकर सड़क बनने का रास्ता साफ हुआ. इतना ही नहीं 5 वर्षों तक एनओसी लेने के लिए वन विभाग का भी चक्कर काटा, तब वन विभाग और स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी संयुक्त रूप से यहां निरीक्षण करने आए और इसके बाद सड़क बनने का रास्ता साफ हुआ. अब 1.7 किलोमीटर सड़क बनाने के लिए ग्रामीण कार्य विभाग से 98 लाख रुपये की राशि का टेंडर किया गया है. आज हमारी मेहनत रंग ला रही है. हमारे गांव में सड़क बनने का सपना पूरा होगा. इससे हमें बहुत ज्यादा ही खुशी हो रही है.

गया: जिला मुख्यालय से लगभग 45 किलोमीटर दूर अतरी प्रखंड के पहाड़ों की तलहटी में चिरियावां गांव बसा है. जहां के 75% घरों के लोग सेना और पुलिस में देश की सुरक्षा में तैनात हैं. इसके बावजूद आजादी के 70 वर्ष बीत जाने के बाद भी यहां सड़क नहीं बनी. लेकिन अब गांव के ही युवा पंकज कुमार सिंह के भागीरथी प्रयास के बाद यहां सड़क बनने वाली है. सड़क बनने की खबर सुनकर लोग खुश हैं.

70 साल के बाद भी नहीं बनी पक्की सड़क
चिरियावां गांव निवासी सेना में सूबेदार के पद पर पदस्थापित राम प्रताप सिंह बताते हैं कि उन्होंने कभी भी अपने गांव में सड़क नहीं देखी. मंत्री से लेकर विधायक, सांसद तक लोग वोट के समय गांव में आए और सड़क बनाने का आश्वासन दिया. लेकिन जीतने के बाद किसी ने भी सड़क के लिए इस गांव की सुधि नहीं ली. उन्होंने कहा कि मात्र 600 मीटर पहाड़ का पथरीली भूमि होने के कारण वन विभाग की ओर से एनओसी नहीं दिया गया. जिस कारण सड़क नहीं बनी. अब गांव के ही युवा पंकज कुमार सिंह के अथक प्रयास के बाद यहां सड़क बनने वाली है.

gaya
पथरीली सड़कों पर चलते लोग

सड़क बनने की खबर से लोग खुश
वहीं, चिरियावां उत्क्रमित मध्य विद्यालय में पढ़ाने वाले शिक्षक वीरेंद्र कुमार बताते हैं कि वे दूर शाहबाजपुर गांव से यहां पढ़ाने के लिए आते है. मात्र 1.7 किलोमीटर सड़क नहीं रहने के कारण उन्हें 10 किलोमीटर दूर घूम कर आना पड़ता है. अब सड़क बन जाने से वे आसानी से गांव में आकर बच्चों को पढ़ा सकेंगे. सड़क बन जाने से न सिर्फ गांव वालों को बल्कि यहां दूसरे गांव से भी आने वाले लोगों को काफी सुविधा होगी.

देखें पूरी रिपोर्ट

कैसे साफ हुआ सड़क बनाने का रास्ता
वहीं, चिरियावां गांव के युवा पंकज कुमार सिंह कहते हैं कि सड़क बनवाने के लिए गया जिला मुख्यालय, पटना सहित दिल्ली के मंत्रियों के कार्यालय तक का चक्कर काटा. सरकारी दफ्तरों में महीनों दौड़ते रहे तब जाकर सड़क बनने का रास्ता साफ हुआ. इतना ही नहीं 5 वर्षों तक एनओसी लेने के लिए वन विभाग का भी चक्कर काटा, तब वन विभाग और स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी संयुक्त रूप से यहां निरीक्षण करने आए और इसके बाद सड़क बनने का रास्ता साफ हुआ. अब 1.7 किलोमीटर सड़क बनाने के लिए ग्रामीण कार्य विभाग से 98 लाख रुपये की राशि का टेंडर किया गया है. आज हमारी मेहनत रंग ला रही है. हमारे गांव में सड़क बनने का सपना पूरा होगा. इससे हमें बहुत ज्यादा ही खुशी हो रही है.

Intro:फौजियों के इस गांव में सड़क बनते-बनते बीत गए 70 साल,
वन विभाग द्वारा 600 मीटर के लिए एनओसी ना देने के कारण आजादी के बाद अब तक नहीं बन सकी सड़क,
गांव के ही युवा पंकज कुमार के भागीरथी प्रयास के बाद अब गांव में बनेगी सड़क,
फौजियों के इस गांव में सड़क बनने से जश्न का माहौल।



Body:गया: जिला मुख्यालय से लगभग 45 किलोमीटर दूर अतरी प्रखंड के पहाड़ों की तलहटी में बसा है चिरियावां गांव। जहां की 75% घरों के लोग सेना और पुलिस में देश की सुरक्षा में तैनात हैं। बावजूद इसके आजादी के 70 वर्ष बीत जाने के बाद भी यहां सड़क नहीं बनी। अब गांव के ही युवा पंकज कुमार सिंह के भागीरथी प्रयास के बाद यहां सड़क बनने वाली है। सड़क बनने की खबर सुनकर लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई। इस गांव में कई लोग ऐसे हैं जो अपना पूरा जीवन देश की सुरक्षा में गुजार दिए और अब उम्र के अंतिम पड़ाव पर हैं। इन लोगों ने अपने गांव में आज तक पक्की सड़क नहीं देखी। हालांकि मुख्य पहुंच पथ से इस गांव की दूरी मात्र 1.7 किलोमीटर है। यानी कि 1.7 किलोमीटर कच्ची सड़क है। जिसमें पहाड़ सबसे बड़ा बाधक है। 600 मीटर का पहाड़ का यह दायरा वन विभाग के अंदर आता है। वन विभाग द्वारा एनओसी नहीं दिए जाने के कारण इस गांव में अब तक सड़क नहीं बन सकी।
चिरियावां गांव निवासी सेना में सूबेदार के पद पर पदस्थापित राम प्रताप सिंह बताते हैं कि उन्होंने कभी भी अपने गांव में सड़क नहीं देखी। मंत्री से लेकर विधायक, सांसद तक लोग वोट के समय गांव में आए और सड़क बनाने का आश्वासन दिया। लेकिन जीतने के बाद किसी ने भी सड़क के लिए इस गांव की सुधि नहीं ली। बरसात के मौसम में स्थिति और भी भयावह हो जाती है। मरीजों को खाट पर लादकर ले जाना पड़ता है। तब जाकर वे इलाज करा पाते हैं। उन्होंने कहा कि मात्र 600 मीटर पहाड़ का पथरीली भूमि होने के कारण वन विभाग द्वारा एनओसी नहीं दिया गया। जिस कारण सड़क नहीं बनी। अब गांव के ही युवा पंकज कुमार सिंह के अथक प्रयास के बाद यहां सड़क बनने वाली है। ऐसे में लोगों में खुशी का माहौल है। उन्होंने कहा कि पंकज के भागीरथी प्रयास के बाद अब इस गांव में सड़क बनेगी और लोगों को आने-जाने में सुविधा होगी।
वहीं चिरियावां गांव निवासी अरविंद कुमार सिंह बताते हैं कि हमेशा चुनाव के समय विधायक, सांसद यहां वोट मांगने के लिए आते हैं। उनसे कई बार गांव में सड़क बनाने का आग्रह किया गया। आश्वासन भी देते हैं। लेकिन जीतने के बाद फिर यहां कोई नहीं आता। चुनाव में कई बार वोट बहिष्कार भी किया गया। लेकिन फिर भी सड़क नहीं बन सकी। सिर्फ नेताओं के द्वारा आश्वासन दिया गया। इस गांव के युवा पंकज कुमार के अथक प्रयास के बाद विभाग ने अब एनओसी दिया है। सड़क बनने की भी बात हमने सुनी है। ऐसे में अब हमें खुशी हो रही है।
वही चिरियावां उत्क्रमित मध्य विद्यालय में पढ़ाने वाले शिक्षक वीरेंद्र कुमार बताते हैं कि वे दूर शाहबाजपुर गांव से यहां पढ़ाने के लिए आते है। मात्र 1.7 किलोमीटर सड़क नहीं रहने के कारण उन्हें 10 किलोमीटर दूर घूम कर आना पड़ता है। अब सड़क बन जाने से वे आसानी से गांव में आकर बच्चों को पढ़ा सकेंगे। सड़क बन जाने से न सिर्फ गांव वालों को बल्कि यहां दूसरे गांव से भी आने वाले लोगों को काफी सुविधा होगी।
वही चिरियावां गांव के युवा पंकज कुमार सिंह कहते हैं कि जब वे छोटे थे तब इसी रास्ते से होकर आते-जाते थे। तब उन्हें सड़क को लेकर कोई फिक्र नहीं थी। लेकिन जैसे-जैसे बड़े होते गए। दूर के रिश्तेदार और आस-पास के गांव वाले मजाक उड़ाने लगे कि तुम्हारे गांव में तो एक सड़क तक नहीं है, तुम लोग आदिवासी का जीवन जीते हो। तुम हमारे सामने क्या बात करोगे? तब बहुत तकलीफ हुई। तब हमने यह निर्णय लिया कि चाहे जो कुछ हो,इस गांव में सड़क बनवा कर रहेंगे। इसके लिए गया जिला मुख्यालय, पटना सहित दिल्ली के मंत्रियों के कार्यालय का चक्कर काटा। सरकारी दफ्तरों में महीनों दौड़ते रहे। तब जाकर सड़क बनने का रास्ता साफ हुआ। इतना ही नहीं 5 वर्षों तक एनओसी लेने के लिए वन विभाग का चक्कर काटा। तब वन विभाग और स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी संयुक्त रूप से यहां निरीक्षण करने आए और इसके बाद सड़क बनने का रास्ता साफ हुआ। इस बीच डेढ़ वर्षों से हमारी नौकरी भी छूट गई। किसी तरह पैसे के अभाव में कर्ज लेकर घर से पैसे लेकर प्रयास करते रहे। अब 1.7 किलोमीटर सड़क बनाने के लिए ग्रामीण कार्य विभाग से 98 लाख रुपए की राशि का टेंडर किया गया है। आज हमारी मेहनत रंग ला रही है। हमारे गांव में सड़क बनने का सपना पूरा होगा। इससे हमें बहुत ज्यादा ही खुशी हो रही है।

बाइट- राम प्रताप सिंह, सूबेदार, चिरियावां गांव निवासी।
बाइट- अरविंद कुमार सिंह, चिरियावां गांव निवासी।
बाइट- वीरेंद्र कुमार, स्थानीय शिक्षक।
बाइट- पंकज कुमार सिंह, युवा चिरियावां गांव निवासी।

रिपोर्ट- प्रदीप कुमार सिंह
गया।




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