गया: जिला मुख्यालय से लगभग 45 किलोमीटर दूर अतरी प्रखंड के पहाड़ों की तलहटी में चिरियावां गांव बसा है. जहां के 75% घरों के लोग सेना और पुलिस में देश की सुरक्षा में तैनात हैं. इसके बावजूद आजादी के 70 वर्ष बीत जाने के बाद भी यहां सड़क नहीं बनी. लेकिन अब गांव के ही युवा पंकज कुमार सिंह के भागीरथी प्रयास के बाद यहां सड़क बनने वाली है. सड़क बनने की खबर सुनकर लोग खुश हैं.
70 साल के बाद भी नहीं बनी पक्की सड़क
चिरियावां गांव निवासी सेना में सूबेदार के पद पर पदस्थापित राम प्रताप सिंह बताते हैं कि उन्होंने कभी भी अपने गांव में सड़क नहीं देखी. मंत्री से लेकर विधायक, सांसद तक लोग वोट के समय गांव में आए और सड़क बनाने का आश्वासन दिया. लेकिन जीतने के बाद किसी ने भी सड़क के लिए इस गांव की सुधि नहीं ली. उन्होंने कहा कि मात्र 600 मीटर पहाड़ का पथरीली भूमि होने के कारण वन विभाग की ओर से एनओसी नहीं दिया गया. जिस कारण सड़क नहीं बनी. अब गांव के ही युवा पंकज कुमार सिंह के अथक प्रयास के बाद यहां सड़क बनने वाली है.
सड़क बनने की खबर से लोग खुश
वहीं, चिरियावां उत्क्रमित मध्य विद्यालय में पढ़ाने वाले शिक्षक वीरेंद्र कुमार बताते हैं कि वे दूर शाहबाजपुर गांव से यहां पढ़ाने के लिए आते है. मात्र 1.7 किलोमीटर सड़क नहीं रहने के कारण उन्हें 10 किलोमीटर दूर घूम कर आना पड़ता है. अब सड़क बन जाने से वे आसानी से गांव में आकर बच्चों को पढ़ा सकेंगे. सड़क बन जाने से न सिर्फ गांव वालों को बल्कि यहां दूसरे गांव से भी आने वाले लोगों को काफी सुविधा होगी.
कैसे साफ हुआ सड़क बनाने का रास्ता
वहीं, चिरियावां गांव के युवा पंकज कुमार सिंह कहते हैं कि सड़क बनवाने के लिए गया जिला मुख्यालय, पटना सहित दिल्ली के मंत्रियों के कार्यालय तक का चक्कर काटा. सरकारी दफ्तरों में महीनों दौड़ते रहे तब जाकर सड़क बनने का रास्ता साफ हुआ. इतना ही नहीं 5 वर्षों तक एनओसी लेने के लिए वन विभाग का भी चक्कर काटा, तब वन विभाग और स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी संयुक्त रूप से यहां निरीक्षण करने आए और इसके बाद सड़क बनने का रास्ता साफ हुआ. अब 1.7 किलोमीटर सड़क बनाने के लिए ग्रामीण कार्य विभाग से 98 लाख रुपये की राशि का टेंडर किया गया है. आज हमारी मेहनत रंग ला रही है. हमारे गांव में सड़क बनने का सपना पूरा होगा. इससे हमें बहुत ज्यादा ही खुशी हो रही है.