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गया: जर्जर हालत में है ब्रिटिशकालीन ये डाकबंगला, लाखों खर्च होने के बाद भी नहीं हुआ कोई काम

ब्रिटिशकालीन इतिहास का साक्ष्य रहा गया जिला के टिकारी अनुमण्डल मुख्यालय स्थित डाकबंगला भवन वर्षों से जर्जर अवस्था में है.

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Published : Aug 26, 2020, 5:20 PM IST

Updated : Aug 27, 2020, 7:56 PM IST

गया: ब्रिटिश कालीन इतिहास का साक्ष्य रहा गया जिला के टिकारी अनुमण्डल मुख्यालय स्थित डाकबंगला भवन वर्षों से जर्जर अवस्था में है. डेढ़ साल पहले भवन के जीर्णोद्धार को लेकर जिला परिषद द्वारा 91 लाख की राशि प्राक्कलित कर कार्य का शिलान्यास किया गया था. लेकिन अब तक इसका जीर्णोद्धार नहीं हो पाया है.

डाकबंगला भवन की बदहाली को लेकर राजद के जिला उपाध्यक्ष सुरेश यादव ने भवन जीर्णोद्वार के नाम पर करोड़ो रूपये गबन करने का आरोप लगाते हुए कहा कि डाकबंगला को बचाने का हरसंभव प्रयास किया जाएगा. ब्रिटिश काल में बाहर से अतिथियों और पदाधिकारियों के आवासन के लिए बनाये गए डाकबंगला भवन एक समय में अपनी आकर्षक नक्काशी और सुंदरता के लिए क्षेत्र में पहचाना जाता था.

वर्ष 2019 में जीर्णोद्वार कार्य का हुआ था शिलान्यास
ब्रिटिश काल में डाकबंगले का निर्माण लगभग 2.5 एकड़ भूभाग में किया गया था. आजादी के बाद जिला परिषद के अधीन आए इस भवन को राम भरोसे छोड़ दिया गया. जो अबतक जर्जर अवस्था में है. टिकारी डाकबंगला के जीर्णोद्धार के लिए बिहार सरकार के पंचायती राज विभाग द्वारा 8 मार्च 2019 को कार्य का शिलान्यास किया गया था. टिकारी विधायक अभय कुमार सिन्हा ने इसका शिलान्यास किया था. जीर्णोद्वार कार्य की कुल लागत 91 लाख 35 हजार प्राक्कलित की गई थी.

नाम मात्र हुआ काम
जीर्णोद्वार कार्य के तहत डाकबंगला भवन की मरम्मती, रंग रोगन, चारो ओर चहारदीवारी निर्माण, बागीचे में पौधारोपण और पेवर ब्लॉक लगा पैदल पथ बनाने की योजना थी. लगभग डेढ़ साल पूरा हो जाने के बाद भी परिसर में नाम मात्र का कार्य हुआ है. संवेदक ने भवन के कमरों की सीलिंग तोड़कर हटा दी. जिसका अबतक मरम्मत नहीं किया जा सका.

देखें रिपोर्ट

वर्ष 1995 में 40 दुकानों के लिए दी गई थी लीज पर जमीन
डाकबंगला परिसर से आय के स्त्रोत बनाने के लिए जिला परिषद द्वारा वर्ष 1995 में ही 40 दुकानों के लिए भूमि चिन्हित की गई थी. साथ ही विभागीय कार्रवाई कर इसे लीज पर दिया गया था. लेकिन अबतक परिसर में दुकान नहीं बन सका है. वर्तमान में महज एक दुकान न्यायालय के आदेश पर निर्मित की गई है. जिसका परिषद द्वारा किराया वसूली किया जा रहा है.

राजनीतिक और सामाजिक गतिविधियों का रहा है केंद्र बिन्दु
बता दें कि शहर के प्रवेश सीमा के पास स्थित यह डाकबंगला भवन क्षेत्र के कई आंदोलन, राजनीतिक और सामाजिक गतिविधियों का केंद्र बिंदु रहा है. डाकबंगला परिसर में लगातार गतिविधियां होती रहती है. फिर भी विभाग द्वारा अबतक इसके जीर्णोद्वार को लेकर माकूल उपाय नहीं किए गए हैं. डाकबंगला की बदहाली पर क्षेत्र के लोगो ने अपना आक्रोश प्रकट किया है.

गया: ब्रिटिश कालीन इतिहास का साक्ष्य रहा गया जिला के टिकारी अनुमण्डल मुख्यालय स्थित डाकबंगला भवन वर्षों से जर्जर अवस्था में है. डेढ़ साल पहले भवन के जीर्णोद्धार को लेकर जिला परिषद द्वारा 91 लाख की राशि प्राक्कलित कर कार्य का शिलान्यास किया गया था. लेकिन अब तक इसका जीर्णोद्धार नहीं हो पाया है.

डाकबंगला भवन की बदहाली को लेकर राजद के जिला उपाध्यक्ष सुरेश यादव ने भवन जीर्णोद्वार के नाम पर करोड़ो रूपये गबन करने का आरोप लगाते हुए कहा कि डाकबंगला को बचाने का हरसंभव प्रयास किया जाएगा. ब्रिटिश काल में बाहर से अतिथियों और पदाधिकारियों के आवासन के लिए बनाये गए डाकबंगला भवन एक समय में अपनी आकर्षक नक्काशी और सुंदरता के लिए क्षेत्र में पहचाना जाता था.

वर्ष 2019 में जीर्णोद्वार कार्य का हुआ था शिलान्यास
ब्रिटिश काल में डाकबंगले का निर्माण लगभग 2.5 एकड़ भूभाग में किया गया था. आजादी के बाद जिला परिषद के अधीन आए इस भवन को राम भरोसे छोड़ दिया गया. जो अबतक जर्जर अवस्था में है. टिकारी डाकबंगला के जीर्णोद्धार के लिए बिहार सरकार के पंचायती राज विभाग द्वारा 8 मार्च 2019 को कार्य का शिलान्यास किया गया था. टिकारी विधायक अभय कुमार सिन्हा ने इसका शिलान्यास किया था. जीर्णोद्वार कार्य की कुल लागत 91 लाख 35 हजार प्राक्कलित की गई थी.

नाम मात्र हुआ काम
जीर्णोद्वार कार्य के तहत डाकबंगला भवन की मरम्मती, रंग रोगन, चारो ओर चहारदीवारी निर्माण, बागीचे में पौधारोपण और पेवर ब्लॉक लगा पैदल पथ बनाने की योजना थी. लगभग डेढ़ साल पूरा हो जाने के बाद भी परिसर में नाम मात्र का कार्य हुआ है. संवेदक ने भवन के कमरों की सीलिंग तोड़कर हटा दी. जिसका अबतक मरम्मत नहीं किया जा सका.

देखें रिपोर्ट

वर्ष 1995 में 40 दुकानों के लिए दी गई थी लीज पर जमीन
डाकबंगला परिसर से आय के स्त्रोत बनाने के लिए जिला परिषद द्वारा वर्ष 1995 में ही 40 दुकानों के लिए भूमि चिन्हित की गई थी. साथ ही विभागीय कार्रवाई कर इसे लीज पर दिया गया था. लेकिन अबतक परिसर में दुकान नहीं बन सका है. वर्तमान में महज एक दुकान न्यायालय के आदेश पर निर्मित की गई है. जिसका परिषद द्वारा किराया वसूली किया जा रहा है.

राजनीतिक और सामाजिक गतिविधियों का रहा है केंद्र बिन्दु
बता दें कि शहर के प्रवेश सीमा के पास स्थित यह डाकबंगला भवन क्षेत्र के कई आंदोलन, राजनीतिक और सामाजिक गतिविधियों का केंद्र बिंदु रहा है. डाकबंगला परिसर में लगातार गतिविधियां होती रहती है. फिर भी विभाग द्वारा अबतक इसके जीर्णोद्वार को लेकर माकूल उपाय नहीं किए गए हैं. डाकबंगला की बदहाली पर क्षेत्र के लोगो ने अपना आक्रोश प्रकट किया है.

Last Updated : Aug 27, 2020, 7:56 PM IST
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