ETV Bharat / state

ठंड को करो बाय बाय, मार्केट में आ गया रजाई बनाने का ये देसी जुगाड़, देखें VIDEO - Cotton is prepared from waste clothes

Gaya News : गया में पुराने कपड़ों से रजाई और गद्दा बनाने की जुगाड़ू टेक्नीक ने जरूरतमंद लोगों की ठंड को आनंददायी बना दिया है. महंगी रुई के चलते रजाई बनवाना कभी सपने की तरह था लेकिन जुगाड़ टेक्नॉलोजी के चलते अब कम कीमत में ही रुई से गद्दा बनने लगा है. देखें गया से आई ये रिपोर्ट-

इसी जुगाड़ मशीन में तैयार होती है बेकार कपड़े से रुई
इसी जुगाड़ मशीन में तैयार होती है बेकार कपड़े से रुई
author img

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Nov 25, 2023, 6:02 AM IST

बेकार कपड़ों से रजाई बनाती जुगाड़ मशीन

गया : यदि आपके पास बेकार कपड़े हों, जिसे आप फेंकने वाले हैं, तो आप रुक जाइए. इन बेकार कपड़ों को संभाल कर रखें, क्योंकि यह आपके काम आ जाएगी. दरअसल गया के ग्रामीण इलाकों में इन दिनों ठंड से निजात के लिए देसी जुगाड़ के तौर पर कुछ ऐसा किया जा रहा है, जिससे काफी राहत मिलेगी. दरअसल पुराने कपड़ों से इन दिनों रूई तैयार की जा रही है. यह रूई बनाने के लिए आपको कहीं जाना नहीं पड़ेगा, बल्कि आपके घर के दरवाजे तक इसके कारीगर आपके सामने होंगे.

देसी जुगाड़ से बनता रजाई गद्दा : बिहार के गया में ठंड से निजात का देसी जुगाड़ पहली बार सामने आया है. जुगाड़ ऐसी कि कम रुपए में आपके लिए ठंड से छुटकारा देने वाली तोसक रजाई तैयार हो जायेगी. ठंड से निजात का यह देसी जुगाड़ देसी मशीन से बनाया जा रहा है. इससे बनने वाले तोसक रजाई की ग्रामीणों में होड़ लग गई है. गरीब, मध्यमवर्गीय परिवार की छोड़ दें, बड़े घर के लोग भी इस तकनीक के तोसक रजाई को बनाने में पीछे नहीं रह रहे.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX.

बड़ी काम की जुगाड़ मशीन : इन दिनों बेकार कपड़ों से तोसक रजाई बनाई जा रही है. रूई बनाने वाले घर-घर तक पहुंच रहे हैं. इससे ठंड के दिनों में काफी संख्या में लोग देसी जुगाड़ से तोसक रजाई बना रहे हैं. गया के ग्रामीण इलाकों में देखा जा रहा है, कि देसी जुगाड़ वाली मशीन लेकर कई कारीगर घर के दरवाजे तक पहुंच रहे है. ऑटो में यह मशीन लगाई गई है. एक तरफ डीजल इंजन बैठा दिया गया है, तो दूसरी ओर ऑटो वाहन के पिछले हिस्से में देसी तकनीक से बनी रील मशीन लगाई गई है.

इसी जुगाड़ मशीन में तैयार होती है बेकार कपड़े से रुई
इसी जुगाड़ मशीन में तैयार होती है बेकार कपड़े से रुई

बेकार कपड़ों की होती है धुनाई : जिस तरह से आटे की पिसाई की जाती है, ठीक उसी तरह से इस मशीन में फालतू कपड़ों की धुनाई की जाती है. फालतू कपड़ों की धुनाई इस कदर होती है, कि उससे बेहतरीन रूई बन जाता है और वह रूई जो निकलती है, वह बेहद गर्म रखने वाली होती है. बेकार कपड़ों की गांठ बनाकर उसे देसी तकनीक से बनी रील मशीन में डाला जाता है. धीरे-धीरे यह कपड़े की गांठ बढ़ती जाती है और रील में तैयार होकर बिल्कुल आटे की तरह बाहर निकलते जाती है. इस तरह देसी तकनीक से बने इस जुगाड़ मशीन से बेकार और फालतू कपड़ों की धुनाई कर उसे अच्छी खासी रूई तैयार की जा रही है.

ऑटो में सेट है धुनाई की चलती-फिरती मशीन
ऑटो में सेट है धुनाई की चलती-फिरती मशीन

ठंंड में लोग ले रहे आनंद : इस तरह बेहद कम कीमत में देसी जुगाड़ के तहत तोसक रजाई तैयार हो जा रही है. वहीं, जिनके पहुंच के यह बाहर की बात थी, अब वैसे लोग भी तोसक रजाई का आनंद लेने लगे हैं. गया जिले के कई ग्रामीण इलाकों में रोजाना ऐसे दर्जनों लोग हैं, जो इस तरह की कारीगरी के मुरीद हुए हैं. सिर्फ 400 से 500 की कारीगरी में ही इसे बना दिया जा रहा है.

गरीबों के लिए काफी राहत : इस संबंध में कारीगर मोहम्मद रिजवान बताते हैं कि भागलपुर से ऐसी मशीन बनाकर लाए हैं. इस मशीन में एक ओर जेनरेटर है तो दूसरी ओर रील मशीन है. ऑटो वाहन में ही जेनरेटर और रील मशीन को फिट कर दिया गया है. अब जहां जाना होता है, जहां बुलावा आता है, वहां- वहां लेकर पहुंच जाते हैं. वाहन के साथ मशीन में लेकर पहुंच जाने से ग्रामीणों को काफी सुविधा हो रही है.

ऑटो में सेट है धुनाई की चलती-फिरती मशीन
बेकार कपड़ों से बनती रुई

''घर के दरवाजे पर पहुंचकर उनके सामने ही बेकार कपड़ों की रूई तैयार कर उसे रजाई तोसक में भरकर दे रहे हैं. 400 से ₹500 की खर्च करने में ही तोसक रजाई का आनंद लिया जा सकता है. रूई खरीदने से अच्छा है, कि पुराने और बेकार कपड़ों से ही रूई बनवा लें, हमारी मशीन में कपड़ों को धुनाई कर रूई तैयार कर दी जाती है. वह काफी गर्म भी रखता है.''- मोहम्मद रिजवान, देसी जुगाड़ से तोसक रजाई तैयार करने वाले

ये भी पढ़ें-

बेकार कपड़ों से रजाई बनाती जुगाड़ मशीन

गया : यदि आपके पास बेकार कपड़े हों, जिसे आप फेंकने वाले हैं, तो आप रुक जाइए. इन बेकार कपड़ों को संभाल कर रखें, क्योंकि यह आपके काम आ जाएगी. दरअसल गया के ग्रामीण इलाकों में इन दिनों ठंड से निजात के लिए देसी जुगाड़ के तौर पर कुछ ऐसा किया जा रहा है, जिससे काफी राहत मिलेगी. दरअसल पुराने कपड़ों से इन दिनों रूई तैयार की जा रही है. यह रूई बनाने के लिए आपको कहीं जाना नहीं पड़ेगा, बल्कि आपके घर के दरवाजे तक इसके कारीगर आपके सामने होंगे.

देसी जुगाड़ से बनता रजाई गद्दा : बिहार के गया में ठंड से निजात का देसी जुगाड़ पहली बार सामने आया है. जुगाड़ ऐसी कि कम रुपए में आपके लिए ठंड से छुटकारा देने वाली तोसक रजाई तैयार हो जायेगी. ठंड से निजात का यह देसी जुगाड़ देसी मशीन से बनाया जा रहा है. इससे बनने वाले तोसक रजाई की ग्रामीणों में होड़ लग गई है. गरीब, मध्यमवर्गीय परिवार की छोड़ दें, बड़े घर के लोग भी इस तकनीक के तोसक रजाई को बनाने में पीछे नहीं रह रहे.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX.

बड़ी काम की जुगाड़ मशीन : इन दिनों बेकार कपड़ों से तोसक रजाई बनाई जा रही है. रूई बनाने वाले घर-घर तक पहुंच रहे हैं. इससे ठंड के दिनों में काफी संख्या में लोग देसी जुगाड़ से तोसक रजाई बना रहे हैं. गया के ग्रामीण इलाकों में देखा जा रहा है, कि देसी जुगाड़ वाली मशीन लेकर कई कारीगर घर के दरवाजे तक पहुंच रहे है. ऑटो में यह मशीन लगाई गई है. एक तरफ डीजल इंजन बैठा दिया गया है, तो दूसरी ओर ऑटो वाहन के पिछले हिस्से में देसी तकनीक से बनी रील मशीन लगाई गई है.

इसी जुगाड़ मशीन में तैयार होती है बेकार कपड़े से रुई
इसी जुगाड़ मशीन में तैयार होती है बेकार कपड़े से रुई

बेकार कपड़ों की होती है धुनाई : जिस तरह से आटे की पिसाई की जाती है, ठीक उसी तरह से इस मशीन में फालतू कपड़ों की धुनाई की जाती है. फालतू कपड़ों की धुनाई इस कदर होती है, कि उससे बेहतरीन रूई बन जाता है और वह रूई जो निकलती है, वह बेहद गर्म रखने वाली होती है. बेकार कपड़ों की गांठ बनाकर उसे देसी तकनीक से बनी रील मशीन में डाला जाता है. धीरे-धीरे यह कपड़े की गांठ बढ़ती जाती है और रील में तैयार होकर बिल्कुल आटे की तरह बाहर निकलते जाती है. इस तरह देसी तकनीक से बने इस जुगाड़ मशीन से बेकार और फालतू कपड़ों की धुनाई कर उसे अच्छी खासी रूई तैयार की जा रही है.

ऑटो में सेट है धुनाई की चलती-फिरती मशीन
ऑटो में सेट है धुनाई की चलती-फिरती मशीन

ठंंड में लोग ले रहे आनंद : इस तरह बेहद कम कीमत में देसी जुगाड़ के तहत तोसक रजाई तैयार हो जा रही है. वहीं, जिनके पहुंच के यह बाहर की बात थी, अब वैसे लोग भी तोसक रजाई का आनंद लेने लगे हैं. गया जिले के कई ग्रामीण इलाकों में रोजाना ऐसे दर्जनों लोग हैं, जो इस तरह की कारीगरी के मुरीद हुए हैं. सिर्फ 400 से 500 की कारीगरी में ही इसे बना दिया जा रहा है.

गरीबों के लिए काफी राहत : इस संबंध में कारीगर मोहम्मद रिजवान बताते हैं कि भागलपुर से ऐसी मशीन बनाकर लाए हैं. इस मशीन में एक ओर जेनरेटर है तो दूसरी ओर रील मशीन है. ऑटो वाहन में ही जेनरेटर और रील मशीन को फिट कर दिया गया है. अब जहां जाना होता है, जहां बुलावा आता है, वहां- वहां लेकर पहुंच जाते हैं. वाहन के साथ मशीन में लेकर पहुंच जाने से ग्रामीणों को काफी सुविधा हो रही है.

ऑटो में सेट है धुनाई की चलती-फिरती मशीन
बेकार कपड़ों से बनती रुई

''घर के दरवाजे पर पहुंचकर उनके सामने ही बेकार कपड़ों की रूई तैयार कर उसे रजाई तोसक में भरकर दे रहे हैं. 400 से ₹500 की खर्च करने में ही तोसक रजाई का आनंद लिया जा सकता है. रूई खरीदने से अच्छा है, कि पुराने और बेकार कपड़ों से ही रूई बनवा लें, हमारी मशीन में कपड़ों को धुनाई कर रूई तैयार कर दी जाती है. वह काफी गर्म भी रखता है.''- मोहम्मद रिजवान, देसी जुगाड़ से तोसक रजाई तैयार करने वाले

ये भी पढ़ें-

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.