गया: कहते हैं श्रद्धा से श्राद्ध होता है और यदि श्रद्धा से श्राद्ध किया जाए तो आर्थिक तंगी भी कोई मायने नहीं रखता है. विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला 2022 इन दिनों गयाजी में चल रहा है. इस दौरान देश-विदेश के पिंडदानी अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान कर्मकांड कर रहे हैं. जहां परोपकार की भावना भी देखने को मिल रही है. यहां एक निसंतान दंपत्ति को आर्थिक को पंडा द्वारा पिंडदान कराया गया (Childless couple reached Gaya to Pind Daan).
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नि:संतान दंपत्ति ने किया पिंडदान: इसी क्रम में उत्तरप्रदेश के मुजफ्फरनगर शहर के एक नि:संतान दंपत्ति आर्थिक तंगी के बावजूद अपने पूर्वजों की मोक्ष की प्राप्ति हेतु पिंडदान कर्मकांड करने गयाजी पहुंचे. लेकिन उनके पास पैसे ना रहने के कारण वे शहर के टिल्हा धर्मशाला के एक कोने में पड़े हुए थे. जैसे ही इसकी जानकारी पीतल किवाड़ वाले दुर्गा जी स्थानीय पंडा विष्णु गुप्त को मिली तो वे उक्त दंपत्ति को अपने आवास पर ले आए और नि:शुल्क पिंडदान की प्रक्रिया को संपन्न कराया. पूरे विधि विधान से फल्गु नदी के तट पर पिंडदान और तर्पण कर्मकांड किया गया.
"हमलोगों ने अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए गया में पिंडदान करने का मन बनाया. किसी तरह गया शहर आ भी गए. लेकिन पिंडदान की सामग्री खरीदने और पंडित जी को दान दक्षिणा देने के लिए हमारे पास एक फूटी कौड़ी भी नहीं थी. लेकिन स्थानीय पंडा जी को जब इसकी जानकारी मिली तो वे हमें अपने घर लाए. नए कपड़े भी दिए और पिंडदान की प्रक्रिया को संपन्न कराया. हमारा कोई संतान नहीं है. हम अपने दादा-दादी और अपने पति के माता-पिता का पिंडदान किये हैं. स्थानीय पंडा विष्णु गुप्त हमारे पुत्र बनकर पिंडदान की प्रक्रिया को संपन्न कराया है. यहां आकर बहुत ही अच्छा लग रहा है."- कांता देवी, महिला पिंडदानी
"ये दंपत्ति मुजफ्फरनगर से आकर शहर के टिल्हा धर्मशाला में रुके हुए थे. लेकिन पिंडदान करने के लिए इनके पास पैसे नहीं थे. जब हमें इसकी जानकारी मिली तो हम उक्त दंपति को अपने आवास पर लेकर आए. साथ ही इनकी पिंडदान की प्रक्रिया को निशुल्क संपन्न कराया है. इनकी आर्थिक स्थिति बहुत ही खराब है. इनके कोई संतान भी नहीं है और ना ही कोई रिश्तेदार साथ में आए हैं. हम मुजफ्फरनगर और हरियाणा के पंडा हैं. वहां से जो भी यात्री आते हैं हमारे द्वारा ही पिंडदान संपन्न कराया जाता है. वैसे तो सारे तीर्थयात्री पिंडदान के बाद दान दक्षिणा देते हैं. लेकिन इस तरह के दंपति से अगर हमें पैसे ना मिले, तो कोई बात नहीं. कहते हैं जिनका कोई नहीं होता, उनके प्रभु श्रीराम होते हैं. ऐसे में इनका बेटा बनकर पिंडदान करने में हमें बहुत खुशी हुई है. इनकी मदद करके हमें काफी अच्छा लग रहा है."- पंडित विष्णु गुप्त, स्थानीय पंडा
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