गया: सरकारें तो बदली पर बोधगया-शेरघाटी-इमामगंज होते हुए डाल्टेनगंज तक रेलमार्ग बनाने का वादा आज तक भाषणों और कागजों तक ही सीमित है. पिछले चुनाव में यह समस्या मुद्दा बनाया गया था. लेकिन, इस वर्ष के चुनावी भाषणों में से इस रेलमार्ग के विस्तारीकरण का मुद्दा सत्तापक्ष के बयानों से गौण है. तो वहीं, विपक्ष ने सरकार में आने पर इसे पूरा करने की बात कही है.
बता दें कि गया से कोसों दूर इन इलाकों में आवगमन का एकमात्र साधन सड़क मार्ग है.
नीतीश सरकार ने दिखाया था सपना
साल 1999 में तत्कालीन रेल मंत्री नीतीश कुमार ने बोधगया-शेरघाटी-इमामगंज होते हुए डाल्टेनगंज तक रेलमार्ग बिछाने की बात कही थी. उस समय यहां कार्य तेजी से होने लगा. लेकिन, फिर सुस्त पड़ गया. साल 2004 में राज्य सरकार ने इसका प्रस्ताव रेल मंत्रालय को भेजा. वर्ष 2008 में शेरघाटी के रंगलाल उच्च विद्यालय परिसर में 416 करोड़ की लागत से रेल पटरी बिछाने के लिए आधारशिला भी रखी गई. लेकिन, आज भी लोग बस सपने लेकर बैठे हैं कि कब इतनी बड़ी आबादी के लिए रेल सेवा चालू की जाएगी.
विपक्ष कर रहा बात
जिले में महागठबंधन ने संयुक्त रुप से बैठक कर इस परियोजना का जिक्र किया. कांग्रेसी नेता अवधेश कुमार सिंह ने कहा कि यदि जनता उन्हें वोट देती है तो उनकी सरकार केंद्र की योजनाओं का लाभ जिले को दिलाने की भरपूर कोशिश करेगी.
सत्तापक्ष ने नहीं किया जिक्र
प्रधानमंत्री मंगलवार को बिहार में 27 वर्षो से लंबित उत्तर कोयल परियोजना के शुरू होने पर भाषण दे रहे थे. लेकिन, इस लंबित योजना पर कुछ नहीं बोले. यहां तक की खुद बिहार के मुख्यमंत्री ने इस योजना का पहली घोषणा 1999 में की थी पर अब इसका जिक्र तक नहीं करते हैं. पिछले 10 वर्षों से गया संसदीय क्षेत्र के सांसद हरि मांझी हैं, लेकिन उन्होंने भी इस योजना की कोई खोज खबर नहीं ली. शेरघाटी में तेजस्वी और जीतन राम मांझी की चुनावी सभा में उनदोनों नेताओं ने भी इस योजना के बारे में कुछ नहीं कहा. ऐसा लग रहा है जैसे नेता तो नेता जनता को भी नहीं मालूम कि बोधगया-शेरघाटी-इमामगंज होते हुए डाल्टेनगंज रेलमार्ग बिछाने का प्रस्ताव भी है.
ज्ञात हो कि रेल मार्ग ना होने के कारण यहां के लोग सीधे दिल्ली, पटना और कोलकाता से दूर हो जाते हैं.