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दो दशकों से लंबित पड़ी है बोधगया-डाल्टेनगंज रेलमार्ग योजना, अब जनता भी छोड़ चुकी आस

मंगलवार को बिहार में 27 वर्षो से लंबित उत्तर कोयल परियोजना के शुरू होने पर भाषण दे रहे थे. लेकिन, इस लंबित योजना पर कुछ नहीं बोले. पिछले 10 वर्षों से गया संसदीय क्षेत्र के सांसद हरि मांझी हैं, लेकिन उन्होंने भी इस योजना की कोई खोज खबर नहीं ली.

कांग्रेसी नेता अवधेश कुमार सिंह
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Published : Apr 4, 2019, 8:54 AM IST

गया: सरकारें तो बदली पर बोधगया-शेरघाटी-इमामगंज होते हुए डाल्टेनगंज तक रेलमार्ग बनाने का वादा आज तक भाषणों और कागजों तक ही सीमित है. पिछले चुनाव में यह समस्या मुद्दा बनाया गया था. लेकिन, इस वर्ष के चुनावी भाषणों में से इस रेलमार्ग के विस्तारीकरण का मुद्दा सत्तापक्ष के बयानों से गौण है. तो वहीं, विपक्ष ने सरकार में आने पर इसे पूरा करने की बात कही है.
बता दें कि गया से कोसों दूर इन इलाकों में आवगमन का एकमात्र साधन सड़क मार्ग है.

संयुक्त बैठक में बोलते कांग्रेसी नेता अवधेश कुमार सिंह

नीतीश सरकार ने दिखाया था सपना
साल 1999 में तत्कालीन रेल मंत्री नीतीश कुमार ने बोधगया-शेरघाटी-इमामगंज होते हुए डाल्टेनगंज तक रेलमार्ग बिछाने की बात कही थी. उस समय यहां कार्य तेजी से होने लगा. लेकिन, फिर सुस्त पड़ गया. साल 2004 में राज्य सरकार ने इसका प्रस्ताव रेल मंत्रालय को भेजा. वर्ष 2008 में शेरघाटी के रंगलाल उच्च विद्यालय परिसर में 416 करोड़ की लागत से रेल पटरी बिछाने के लिए आधारशिला भी रखी गई. लेकिन, आज भी लोग बस सपने लेकर बैठे हैं कि कब इतनी बड़ी आबादी के लिए रेल सेवा चालू की जाएगी.

विपक्ष कर रहा बात
जिले में महागठबंधन ने संयुक्त रुप से बैठक कर इस परियोजना का जिक्र किया. कांग्रेसी नेता अवधेश कुमार सिंह ने कहा कि यदि जनता उन्हें वोट देती है तो उनकी सरकार केंद्र की योजनाओं का लाभ जिले को दिलाने की भरपूर कोशिश करेगी.

सत्तापक्ष ने नहीं किया जिक्र
प्रधानमंत्री मंगलवार को बिहार में 27 वर्षो से लंबित उत्तर कोयल परियोजना के शुरू होने पर भाषण दे रहे थे. लेकिन, इस लंबित योजना पर कुछ नहीं बोले. यहां तक की खुद बिहार के मुख्यमंत्री ने इस योजना का पहली घोषणा 1999 में की थी पर अब इसका जिक्र तक नहीं करते हैं. पिछले 10 वर्षों से गया संसदीय क्षेत्र के सांसद हरि मांझी हैं, लेकिन उन्होंने भी इस योजना की कोई खोज खबर नहीं ली. शेरघाटी में तेजस्वी और जीतन राम मांझी की चुनावी सभा में उनदोनों नेताओं ने भी इस योजना के बारे में कुछ नहीं कहा. ऐसा लग रहा है जैसे नेता तो नेता जनता को भी नहीं मालूम कि बोधगया-शेरघाटी-इमामगंज होते हुए डाल्टेनगंज रेलमार्ग बिछाने का प्रस्ताव भी है.
ज्ञात हो कि रेल मार्ग ना होने के कारण यहां के लोग सीधे दिल्ली, पटना और कोलकाता से दूर हो जाते हैं.

गया: सरकारें तो बदली पर बोधगया-शेरघाटी-इमामगंज होते हुए डाल्टेनगंज तक रेलमार्ग बनाने का वादा आज तक भाषणों और कागजों तक ही सीमित है. पिछले चुनाव में यह समस्या मुद्दा बनाया गया था. लेकिन, इस वर्ष के चुनावी भाषणों में से इस रेलमार्ग के विस्तारीकरण का मुद्दा सत्तापक्ष के बयानों से गौण है. तो वहीं, विपक्ष ने सरकार में आने पर इसे पूरा करने की बात कही है.
बता दें कि गया से कोसों दूर इन इलाकों में आवगमन का एकमात्र साधन सड़क मार्ग है.

संयुक्त बैठक में बोलते कांग्रेसी नेता अवधेश कुमार सिंह

नीतीश सरकार ने दिखाया था सपना
साल 1999 में तत्कालीन रेल मंत्री नीतीश कुमार ने बोधगया-शेरघाटी-इमामगंज होते हुए डाल्टेनगंज तक रेलमार्ग बिछाने की बात कही थी. उस समय यहां कार्य तेजी से होने लगा. लेकिन, फिर सुस्त पड़ गया. साल 2004 में राज्य सरकार ने इसका प्रस्ताव रेल मंत्रालय को भेजा. वर्ष 2008 में शेरघाटी के रंगलाल उच्च विद्यालय परिसर में 416 करोड़ की लागत से रेल पटरी बिछाने के लिए आधारशिला भी रखी गई. लेकिन, आज भी लोग बस सपने लेकर बैठे हैं कि कब इतनी बड़ी आबादी के लिए रेल सेवा चालू की जाएगी.

विपक्ष कर रहा बात
जिले में महागठबंधन ने संयुक्त रुप से बैठक कर इस परियोजना का जिक्र किया. कांग्रेसी नेता अवधेश कुमार सिंह ने कहा कि यदि जनता उन्हें वोट देती है तो उनकी सरकार केंद्र की योजनाओं का लाभ जिले को दिलाने की भरपूर कोशिश करेगी.

सत्तापक्ष ने नहीं किया जिक्र
प्रधानमंत्री मंगलवार को बिहार में 27 वर्षो से लंबित उत्तर कोयल परियोजना के शुरू होने पर भाषण दे रहे थे. लेकिन, इस लंबित योजना पर कुछ नहीं बोले. यहां तक की खुद बिहार के मुख्यमंत्री ने इस योजना का पहली घोषणा 1999 में की थी पर अब इसका जिक्र तक नहीं करते हैं. पिछले 10 वर्षों से गया संसदीय क्षेत्र के सांसद हरि मांझी हैं, लेकिन उन्होंने भी इस योजना की कोई खोज खबर नहीं ली. शेरघाटी में तेजस्वी और जीतन राम मांझी की चुनावी सभा में उनदोनों नेताओं ने भी इस योजना के बारे में कुछ नहीं कहा. ऐसा लग रहा है जैसे नेता तो नेता जनता को भी नहीं मालूम कि बोधगया-शेरघाटी-इमामगंज होते हुए डाल्टेनगंज रेलमार्ग बिछाने का प्रस्ताव भी है.
ज्ञात हो कि रेल मार्ग ना होने के कारण यहां के लोग सीधे दिल्ली, पटना और कोलकाता से दूर हो जाते हैं.

Intro:बदलती सरकार वादा तो करती गयी पर बोधगया-शेरघाटी-इमामगंज होते हुए डाल्टेनगंज तक रेलमार्ग आज तक भाषणों और कागजो तक सीमित था। पिछले चुनाव तक ये मुद्दा बनाया गया था इस वर्ष के चुनाव में रेलमार्ग बनाने का मुद्दा गौण है।


Body:नेताओ के वादों ने जनता को कितने सपने देखने को मजबूर कर दिया होगा। गया से कोसो दूर इन इलाकों में आवगमन का एक साधन सड़क मार्ग है। 1999 में तत्कालीन रेल मंत्री नीतीश कुमार ने बोधगया-शेरघाटी-इमामगंज होते हुए डाल्टेनगंज तक रेलमार्ग बिछाने का वादा किये थे,उस वक़्त कुछ कार्य में प्रगति हुआ फिर ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। 2004 में राज्य सरकार ने इसका प्रस्ताव रेल मंत्रालय को भेजा था । 2008 में 416 करोड़ की लागत से रेल बिछाने के लिए आधारशिला भी रखा गया था। लेकिन आज भी लोग टोह लगाकर बैठे हैं कब इतनी बड़ी आबादी के लिए रेल सेवा चालू किया जाएगा।

दो दशक से हो रहा है इंतजार, सिर्फ वादे,घोषणा और शिलान्यास के भरोसे बोधगया-शेरघाटी-इमामगंज होते हुए डाल्टेनगंज का रेलमार्ग बिछाने का प्रस्ताव हैं। चुनावी काल मे ये मुद्दा नेता और जनता से गायब होगया हैं। लोकसभा चुनाव 2019 में गया लोकसभा क्षेत्र के प्रत्याशी और जनता द्वारा एक बार भी इसका जिक्र नही किया गया है। इतनी बड़ी योजना आज लोग के जेहन और सपने से कोसो दूर रेल मंत्रालय के किसी फाइल में पड़ा है।

प्रधानमंत्री कल 27 वर्षो से लंबित कोयल परियोजना को शुरू होने पर भाषण दे रहे थे। इस लंबित योजना पर कुछ नही बोले। खुद बिहार के मुख्यमंत्री ने इस योजना का पहली घोषणा 1999 में किया था उन्होंने भी जिक्र नही किया। 10 सालो से गया संसदीय क्षेत्र के सांसद हरि मांझी हैं उन्होंने भी इसका जिक्र तक नही किया। शेरघाटी में तेजस्वी और जीतन राम मांझी का चुनावी सभा उनदोनो नेताओं ने भी इस योजना का जिक्र नही किया।
नेता तो नेता जनता को भी नही मालूम बोधगया-शेरघाटी-इमामगंज होते हुए डाल्टेनगंज रेलमार्ग बिछाने का प्रस्ताव भी हैं।


Conclusion:2004 में तत्कालीन राज सरकार बोधगया-शेरघाटी- इमामगंज होते हुए झारखंड के डाल्टेनगंज तक रेलमार्ग बिछाने का प्रस्ताव दिया था ।यह प्रस्ताव पास भी कर दी गई थी। वर्ष 2008 में गया से शेरघाटी होते हुए झारखंड के चतरा तक 416 करोड़ की लागत से रेल लाइन बिछाने प्रस्ताव आया, तत्कालीन रेल मंत्री ने शेरघाटी के रंगलाल उच्च विद्यालय परिसर में आयोजित समारोह में इसकी आधारशिला भी रखी थी। लोगों में उम्मीद की किरण जगी कि अब तो पटरी बिछ जाएगी लेकिन उम्मीद भी टूट गया आज तक इस योजना में कुछ काम नही हुआ। रेल मार्ग ना बन जाने से यहां के लोग सीधे दिल्ली पटना और कोलकाता से दूर हों जाते हैं।
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