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गया का बदहाल बस स्टैंड, मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसते कर्मचारी से लेकर यात्री - Gaya

बिहार सरकार (Bihar Government) एक तरफ दावा करती है कि बीते 16 सालों में राज्य में विकास हुआ है. 2005 से पहले वाली तस्वीर बिहार की बदल गयी है. यहां की बदहाल स्थिति की तस्वीर सरकार के दावों को झूठ साबित कर रही हैं. देखें रिपोर्ट..

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Published : Aug 21, 2021, 10:53 PM IST

गया: बिहार के गया (Gaya) में जिला स्तरीय बस पड़ाव की तस्वीर राज्य सरकार (State Government) के विकास के दावों को मुंह चिढ़ाती हैं. इस बस पड़ाव में यात्रियों के लिए मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं. वहीं, कर्मचारी भी खंडहर हुए भवन में जान हथेली पर रखकर काम करते हैं.

ये भी पढ़ें- गया: हसनपुर गांव विकास से महरूम, बरसात में कच्ची सड़कें बन जाती हैं तालाब, रेलवे ट्रैक ही सहारा

दरअसल, बिहार राज्य पथ परिवहन निगम का जिला स्तरीय बस स्टैंड सरकार को हर माह लाखों का राजस्व देता है, लेकिन सरकार उस राजस्व का 1% भी यात्रियों की सुविधाओं और कर्मचारियों के हित में खर्च नहीं करती है. हालात यह है कि बस स्टैंड के नाम पर एक खंडहरनुमा भवन है और झील में तब्दील बस पड़ाव है. यहां एक यात्री शेड भी बना है, वहां बरसात में खड़ा होना भी मुश्किल है. यात्री शेड में ना बिजली है, ना ही लाइट और पंखा है.

अगर इसके सबसे आवश्यक मूलभूत सुविधाएं की बात करें तो बस स्टैंड पर पुरुष और महिलाओं के लिए शौचालय है, लेकिन गंदगी इतनी की जानवर भी वहां जाने से कतराए. पेयजल की सुविधा के लिए एक बोरिंग है, जो केवल बस कर्मचारियों के लिए है, यात्रियों को बोतलबंद पानी पीना पड़ता है. कर्मचारियों को भी जान हथेली पर रखकर काम करना पड़ता है. बरसात के दिनों में बारिश से बचाने के लिए फाइल को प्लास्टिक से ढंका गया है.

ये भी पढ़ें- दूसरे जगह का हाल छोड़िए नीतीश जी, आपके पटना में ही दम तोड़ रही 'हर घर नल जल' योजना

''मुझे पटना जाना है. मैं पिछले 2 घंटे से बस स्टैंड में इंतजार कर रहा हूं. मैं शौचालय गया था, लेकिन शौचालय में इतनी गंदगी है कि वहां सिर्फ बीमारी मिल सकती है. यहां पानी पीने तक की व्यवस्था नहीं है. पेट्रोल के बढ़ते दामों को लेकर किराया बढ़ाया गया है, लेकिन सुविधाएं कुछ नहीं मिलती है.''- सत्येंद्र कुमार, यात्री

देखें रिपोर्ट

बिहार राज पथ परिवहन निगम के मगध प्रमंडल के रीजनल मैनेजर अशोक कुमार सिंह ने बताया कि ''जर्जर बिल्डिंग की जगह नई बिल्डिंग बनाने का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है. प्रस्ताव स्वीकृत नहीं किया गया है. प्रस्ताव स्वीकृत होने के बाद ही यहां सुविधाएं मिलने लगेंगी. शौचालय के लिए यहां दिव्यांग शौचालय बनाया जा रहा है. उसे अभी लोग यूज करेंगे. पानी के लिए एक बोरिंग है, नलकूप की संख्या बढ़ाई जाएगी. मुझे उम्मीद है कि दो से तीन माह तक यहां विकास दिखने लगेगा.''

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बता दें कि सरकारी बस पड़ाव में जहां यात्रियों के लिए सुविधाओं में कमी है. वहीं, यहां के कर्मियों के लिए बहुत कुछ नहीं है. कार्यालय का पूरा भवन ही जर्जर हाल में है. बारिश के दिनों में सभी कमरों से पानी टपकता है. यहां कुल 18 कमरे हैं और सभी कमरों की स्थिति बदहाल है. यहां तक कि क्षेत्रीय प्रबंधक का कक्ष भी खस्ताहाल है.

गया: बिहार के गया (Gaya) में जिला स्तरीय बस पड़ाव की तस्वीर राज्य सरकार (State Government) के विकास के दावों को मुंह चिढ़ाती हैं. इस बस पड़ाव में यात्रियों के लिए मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं. वहीं, कर्मचारी भी खंडहर हुए भवन में जान हथेली पर रखकर काम करते हैं.

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दरअसल, बिहार राज्य पथ परिवहन निगम का जिला स्तरीय बस स्टैंड सरकार को हर माह लाखों का राजस्व देता है, लेकिन सरकार उस राजस्व का 1% भी यात्रियों की सुविधाओं और कर्मचारियों के हित में खर्च नहीं करती है. हालात यह है कि बस स्टैंड के नाम पर एक खंडहरनुमा भवन है और झील में तब्दील बस पड़ाव है. यहां एक यात्री शेड भी बना है, वहां बरसात में खड़ा होना भी मुश्किल है. यात्री शेड में ना बिजली है, ना ही लाइट और पंखा है.

अगर इसके सबसे आवश्यक मूलभूत सुविधाएं की बात करें तो बस स्टैंड पर पुरुष और महिलाओं के लिए शौचालय है, लेकिन गंदगी इतनी की जानवर भी वहां जाने से कतराए. पेयजल की सुविधा के लिए एक बोरिंग है, जो केवल बस कर्मचारियों के लिए है, यात्रियों को बोतलबंद पानी पीना पड़ता है. कर्मचारियों को भी जान हथेली पर रखकर काम करना पड़ता है. बरसात के दिनों में बारिश से बचाने के लिए फाइल को प्लास्टिक से ढंका गया है.

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''मुझे पटना जाना है. मैं पिछले 2 घंटे से बस स्टैंड में इंतजार कर रहा हूं. मैं शौचालय गया था, लेकिन शौचालय में इतनी गंदगी है कि वहां सिर्फ बीमारी मिल सकती है. यहां पानी पीने तक की व्यवस्था नहीं है. पेट्रोल के बढ़ते दामों को लेकर किराया बढ़ाया गया है, लेकिन सुविधाएं कुछ नहीं मिलती है.''- सत्येंद्र कुमार, यात्री

देखें रिपोर्ट

बिहार राज पथ परिवहन निगम के मगध प्रमंडल के रीजनल मैनेजर अशोक कुमार सिंह ने बताया कि ''जर्जर बिल्डिंग की जगह नई बिल्डिंग बनाने का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है. प्रस्ताव स्वीकृत नहीं किया गया है. प्रस्ताव स्वीकृत होने के बाद ही यहां सुविधाएं मिलने लगेंगी. शौचालय के लिए यहां दिव्यांग शौचालय बनाया जा रहा है. उसे अभी लोग यूज करेंगे. पानी के लिए एक बोरिंग है, नलकूप की संख्या बढ़ाई जाएगी. मुझे उम्मीद है कि दो से तीन माह तक यहां विकास दिखने लगेगा.''

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बता दें कि सरकारी बस पड़ाव में जहां यात्रियों के लिए सुविधाओं में कमी है. वहीं, यहां के कर्मियों के लिए बहुत कुछ नहीं है. कार्यालय का पूरा भवन ही जर्जर हाल में है. बारिश के दिनों में सभी कमरों से पानी टपकता है. यहां कुल 18 कमरे हैं और सभी कमरों की स्थिति बदहाल है. यहां तक कि क्षेत्रीय प्रबंधक का कक्ष भी खस्ताहाल है.

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