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'नदियों पर बांध बनाने की पढ़ाई तो होती है लेकिन यह धरती क्या चाहती है कोई नहीं पढ़ाता' - jal jan joro Campaign Program

विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित समाजिक कार्यकर्ता राजेंद्र सिंह ने कहा कि पहले लोगों की पानी संबंधी जरूरतें नदियों व तालाबों से पूरी हो जाती थी. लेकिन अब ये स्रोत प्रदूषित हो गए हैं या खत्म हो चुके हैं.

जल पुरुष राजेंद्र सिंह
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Published : Oct 18, 2019, 11:47 AM IST

मोतिहारीः बाढ़ और सुखाड़ से बचने के लिए धरती की प्रकृति को समझना होगा, जिस पर आम लोगों का ध्यान नहीं जाता. नदियों पर बांध बनाने की पढ़ाई तो होती है. लेकिन यह धरती क्या चाहती है, यह कोई नहीं पढ़ाता. यह बातें मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने गांधी संग्रहालय में आयोजित एक विचार गोष्ठी में कही.

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गोष्ठी में बोलते हुए जल पुरुष राजेंद्र सिंह

'जल जन जोड़ो अभियान' कार्यक्रम का आयोजन
महात्मा गांधी की 150 वीं जयन्ती के अवसर पर जल जन जोड़ो अभियान कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. इसके तहत 17 अक्टूबर से 19 अक्टूबर तक बाढ़ सुखाड़ चेतना यात्रा मोतिहारी से गया तक की जाएगी. इस यात्रा की शुरुआत मोतिहारी से जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने किया. बिहार की अक्षरा फाउंडेशन और हरियाणा की ग्रीन इंडिया फाउंडेशन के जरिए आयोजित इस यात्रा की सहयोगी गेल इंडिया भी है.

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महात्मा गांधी की मूर्ति पर मालायर्पण करते जल पुरुष राजेंद्र सिंह व अन्य

'भूजल पर निर्भर हो गए हैं लोग'
सुखाड़ चेतना यात्रा से पहले गांधी संग्रहालय में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया. विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित समाजिक कार्यकर्ता राजेंद्र सिंह ने कहा कि पहले लोगों की पानी संबंधी जरूरतें नदियों व तालाबों से पूरी हो जाती थी. लेकिन अब ये स्रोत प्रदूषित हो गए हैं या खत्म हो चुके हैं. ऐसे में भूजल पर निर्भरता लोगों की पहली जरूरत बन गई है. लिहाजा, सरकार को जल संरक्षण के लिए कानून बनाकर उसे लागू करना होगा.

महात्मा गांधी की मूर्ति पर मालायर्पण करते जल पुरुष राजेंद्र सिंह व अन्य

गांधी की मूर्ति पर चढ़ाई गई सूत की माला
इस मौके पर गांधी संग्रहालय के सचिव गांधीवादी व्रज किशोर सिंह, चम्पारण संघर्ष मोर्चा के संस्थापक अध्यक्ष राय सुंदर देव शर्मा सहित कई लोग मौजूद थे. जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने गांधी संग्रहालय में महात्मा गांधी की मूर्ति पर खादी के सूत की माला चढ़ाई और उन्हें नमन किया.

मोतिहारीः बाढ़ और सुखाड़ से बचने के लिए धरती की प्रकृति को समझना होगा, जिस पर आम लोगों का ध्यान नहीं जाता. नदियों पर बांध बनाने की पढ़ाई तो होती है. लेकिन यह धरती क्या चाहती है, यह कोई नहीं पढ़ाता. यह बातें मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने गांधी संग्रहालय में आयोजित एक विचार गोष्ठी में कही.

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गोष्ठी में बोलते हुए जल पुरुष राजेंद्र सिंह

'जल जन जोड़ो अभियान' कार्यक्रम का आयोजन
महात्मा गांधी की 150 वीं जयन्ती के अवसर पर जल जन जोड़ो अभियान कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. इसके तहत 17 अक्टूबर से 19 अक्टूबर तक बाढ़ सुखाड़ चेतना यात्रा मोतिहारी से गया तक की जाएगी. इस यात्रा की शुरुआत मोतिहारी से जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने किया. बिहार की अक्षरा फाउंडेशन और हरियाणा की ग्रीन इंडिया फाउंडेशन के जरिए आयोजित इस यात्रा की सहयोगी गेल इंडिया भी है.

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महात्मा गांधी की मूर्ति पर मालायर्पण करते जल पुरुष राजेंद्र सिंह व अन्य

'भूजल पर निर्भर हो गए हैं लोग'
सुखाड़ चेतना यात्रा से पहले गांधी संग्रहालय में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया. विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित समाजिक कार्यकर्ता राजेंद्र सिंह ने कहा कि पहले लोगों की पानी संबंधी जरूरतें नदियों व तालाबों से पूरी हो जाती थी. लेकिन अब ये स्रोत प्रदूषित हो गए हैं या खत्म हो चुके हैं. ऐसे में भूजल पर निर्भरता लोगों की पहली जरूरत बन गई है. लिहाजा, सरकार को जल संरक्षण के लिए कानून बनाकर उसे लागू करना होगा.

महात्मा गांधी की मूर्ति पर मालायर्पण करते जल पुरुष राजेंद्र सिंह व अन्य

गांधी की मूर्ति पर चढ़ाई गई सूत की माला
इस मौके पर गांधी संग्रहालय के सचिव गांधीवादी व्रज किशोर सिंह, चम्पारण संघर्ष मोर्चा के संस्थापक अध्यक्ष राय सुंदर देव शर्मा सहित कई लोग मौजूद थे. जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने गांधी संग्रहालय में महात्मा गांधी की मूर्ति पर खादी के सूत की माला चढ़ाई और उन्हें नमन किया.

Intro:मोतिहारी।महात्मा गांधी के 150 वीं जयन्ती के अवसर पर जल जन जोड़ो अभियान कार्यक्रम का आयोजन किया गया।जिस अभियान के तहत 17 अक्टूबर से 19 अक्टूबर तक बापू की कर्म भूमि से बुद्ध की ज्ञान भूमि गया तक बाढ़ सुखाड़ चेतना यात्रा आयोजित की गई है।बाढ़ सुखाड़ चेतना यात्रा की शुरुआत मोतिहारी से जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने किया।बिहार की अक्षधा फाउंडेशन और हरियाणा की ग्रीन इंडिया फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस यात्रा का सहयोगी गेल इंडिया भी है।Body:बाढ़ सुखाड़ चेतना यात्रा के पूर्व एक विचार गोष्ठी का आयोजन गांधी संग्रहालय में किया गया।विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित जल-पुरुष राजेंद्र सिंह ने कहा कि पहले लोगों की पानी संबंधी जरूरतें नदियों व तालाबों से पूरी हो जाती थी। लेकिन अब ये स्रोत प्रदूषित हो गए हैं या खत्म हो चुके हैं। ऐसे में भूजल पर निर्भरता लोगों की पहली जरूरत बन गई है।लिहाजा,सरकार को जल संरक्षण के लिए कानून बनाकर उसे लागू करना होगा।राजेंद्र सिंह ने नदियों पर बने तटबंधों के औचित्य पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि नदियों पर बांध बनाने की बात पढ़ाई जाती है।लेकिन यह धरती क्या चाहती है।यह कोई नहीं पढ़ाता है।हमें बाढ़ और सुखाड़ से बचने के लिए धरती के प्रकृति को समझना होगा।जिसपर आमलोगों का ध्यान नहीं जाता है और सरकार का ध्यान तो बिल्कुल हीं नहीं जाता है।Conclusion:गांधी संग्रहालय से बाढ़ सुखाड़ चेतना यात्रा की शुरुआत हुई।इस मौके पर गांधी संग्रहालय के सचिव गांधीवादी व्रज किशोर सिंह,चम्पारण संघर्ष मोर्चा के संस्थापक अध्यक्ष राय सुंदर देव शर्मा समेत कई लोग मौजूद थे।जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने गांधी संग्रहालय में महात्मा गांधी के मूर्ति पर खादी के सूत का माला चढ़ाया और उन्हे नमन किया।
बाईट.....राजेंद्र सिंह.....जल पुरुष
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