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बिहार के इस गांव में है शांति माई मंदिर, मिट्टी के बर्तन में प्रसाद पका कर चढ़ाने से पूरी होती है मन्नत

चंद्रावत नदी के किनारे स्थित होने के कारण मंदिर की शोभा और भी बढ़ जाती है. मंदिर के चारों तरफ जंगल है. श्रद्धालु पूजा और मेला देखने चंद्रावत नदी पार कर पहुंचते हैं.

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Published : Apr 13, 2019, 5:14 PM IST

शांति देवी मंदिर

बेतिया : जिले में धूमधाम से रामनवमी का पावन त्योहार मनाया जा रहा है. वहीं, शांति माई देवी स्थल पर बड़ी तदाद में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी हुई है. बता दें कि इस मंदिर की खास बात ये है कि यहां मिट्टी के बर्तन में प्रसाद बनाया जाता है. चंद्रावत नदी के समीप स्थित शांति माई मंदिर अपनी आस्था और मान्यता के कारण प्रसिद्ध है.

shanti devi mandir in bihar
मंदिर का मुख्य द्वार

रामनवमी के अवसर पर बेतिया के पश्चिमी करगहिया के शांति माई देवी मंदिर परिषद में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी हुई है. हजारों की संख्या में दूर-दूर से श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए पहुंचे हुए हैं. जिला मुख्यालय से करीब 5 किलोमीटर दूर शांति माई स्थान मंदिर कई वर्षों पुराना है.

शोभा बढ़ाते जंगल और चंद्रावत नदी
चंद्रावत नदी के किनारे स्थित होने के कारण मंदिर की शोभा और भी बढ़ जाती है. मंदिर के चारों तरफ जंगल है. श्रद्धालु पूजा और मेला देखने चंद्रावत नदी पार कर पहुंचते हैं. मां की एक झलक पाने के लिए भक्तों में होड़ मची रही. भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस और स्थानीय पूजा समिति की ओर से पुख्ता सुरक्षा के प्रबंध किया गया है.

मंदिर परिसर में लगा मेला

मन्नत पूरी होने पर विशेष प्रसाद
श्रद्धालुओं की माने तो यहां, जो भी श्रद्धाभाव से जो भी मन्नत मांगी जाती है. माई उसे अवश्य पूरी करती हैं. मां के दरबार में जिसकी मुराद पूरी होती है, वो यहां आकर पूजा पाठ करता है और मिट्टी के बर्तन में प्रसाद बना कर माता को चढ़ाता है.

लगता है मेला
हर साल की भांति इस साल भी रामनवमी के अवसर पर शांति माई स्थान मंदिर परिसर में मेले का आयोजन किया गया. इस मेले में लगाए गए विभिन्न झूले बच्चों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हैं. मंदिर के पुजारी का कहना है कि श्रद्धालु खासकर चैत्र नवमी के दिन यहां माई के दर्शन करने के लिए आते हैं. ऐसा माना जाता है कि माता के दरबार से कोई खाली नहीं लौटता. उनकी मुराद अवश्य पूरी होती है.

shanti devi mandir in bihar
मंदिर परिसर में पूजा पाठ करते श्रद्धालु

पहले हुआ करता था शमशान
बता दें कि रामनवमी में खासकर पश्चिमी करगहिया में स्थित शांति माई स्थान पर श्रद्धालुओं की भीड़ दर्शन के लिए आती है. पहले मंदिर के चारों तरफ शमशान घाट हुआ करता था.यह बेतिया का एक मात्र शमशान घाट था. जहां दूर-दूर से लोग आते थे.

बेतिया : जिले में धूमधाम से रामनवमी का पावन त्योहार मनाया जा रहा है. वहीं, शांति माई देवी स्थल पर बड़ी तदाद में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी हुई है. बता दें कि इस मंदिर की खास बात ये है कि यहां मिट्टी के बर्तन में प्रसाद बनाया जाता है. चंद्रावत नदी के समीप स्थित शांति माई मंदिर अपनी आस्था और मान्यता के कारण प्रसिद्ध है.

shanti devi mandir in bihar
मंदिर का मुख्य द्वार

रामनवमी के अवसर पर बेतिया के पश्चिमी करगहिया के शांति माई देवी मंदिर परिषद में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी हुई है. हजारों की संख्या में दूर-दूर से श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए पहुंचे हुए हैं. जिला मुख्यालय से करीब 5 किलोमीटर दूर शांति माई स्थान मंदिर कई वर्षों पुराना है.

शोभा बढ़ाते जंगल और चंद्रावत नदी
चंद्रावत नदी के किनारे स्थित होने के कारण मंदिर की शोभा और भी बढ़ जाती है. मंदिर के चारों तरफ जंगल है. श्रद्धालु पूजा और मेला देखने चंद्रावत नदी पार कर पहुंचते हैं. मां की एक झलक पाने के लिए भक्तों में होड़ मची रही. भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस और स्थानीय पूजा समिति की ओर से पुख्ता सुरक्षा के प्रबंध किया गया है.

मंदिर परिसर में लगा मेला

मन्नत पूरी होने पर विशेष प्रसाद
श्रद्धालुओं की माने तो यहां, जो भी श्रद्धाभाव से जो भी मन्नत मांगी जाती है. माई उसे अवश्य पूरी करती हैं. मां के दरबार में जिसकी मुराद पूरी होती है, वो यहां आकर पूजा पाठ करता है और मिट्टी के बर्तन में प्रसाद बना कर माता को चढ़ाता है.

लगता है मेला
हर साल की भांति इस साल भी रामनवमी के अवसर पर शांति माई स्थान मंदिर परिसर में मेले का आयोजन किया गया. इस मेले में लगाए गए विभिन्न झूले बच्चों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हैं. मंदिर के पुजारी का कहना है कि श्रद्धालु खासकर चैत्र नवमी के दिन यहां माई के दर्शन करने के लिए आते हैं. ऐसा माना जाता है कि माता के दरबार से कोई खाली नहीं लौटता. उनकी मुराद अवश्य पूरी होती है.

shanti devi mandir in bihar
मंदिर परिसर में पूजा पाठ करते श्रद्धालु

पहले हुआ करता था शमशान
बता दें कि रामनवमी में खासकर पश्चिमी करगहिया में स्थित शांति माई स्थान पर श्रद्धालुओं की भीड़ दर्शन के लिए आती है. पहले मंदिर के चारों तरफ शमशान घाट हुआ करता था.यह बेतिया का एक मात्र शमशान घाट था. जहां दूर-दूर से लोग आते थे.

Intro:बेतिया : धूमधाम से मनाई गई रामनवमी । शांति माई स्थान पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़। मिट्टी के बर्तन में बनाई जाती है प्रसाद।


Body:रामनवमी के अवसर पर बेतिया के पश्चिमी करगहिया के शांति माई स्थान मंदिर परिषद में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी हुई है। हजारों की संख्या में दूर-दूर से इस शांति माई स्थान पर श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए पहुंचे। जिला मुख्यालय से करीब 5 किलोमीटर दूर शांति माई स्थान मंदिर कई वर्षों पुरानी है। चंद्रावत नदी के कारण मंदिर की शोभा और भी बढ़ जाती है। मंदिर के चारों तरफ जंगल है । श्रद्धालु पूजा और मेला देखने चंद्रावत नदी पार कर पहुंचते हैं। मां की एक झलक पाने के लिए भक्त गुणों में होड़ मची रही। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस व स्थानीय पूजा समिति की ओर से पुख्ता सुरक्षा के प्रबंध किए गए थे। श्रद्धालुओं की माने तो यह जो भी मन्नत पूरी श्रद्धा से मांगी जाती है वह अवश्य ही पूरी होती है। मां के दरबार में जिस की मुराद पूरी होती है, वह यहां आकर पूजा पाठ करते हैं और मिट्टी के बर्तन में प्रसाद बना कर माता को चढ़ाते हैं।

बाइट श्रद्धालु

हर साल की भांति इस साल भी रामनवमी के अवसर पर शांति माई स्थान मंदिर परिसर में मेले का आयोजन किया गया। इस मेले में लगाए गए विभिन्न झूले बच्चों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहा। मंदिर के पुजारी का कहना है कि श्रद्धालु खास का चैत नवमी में यह माता के दर्शन को आते हैं ।ऐसा माना जाता है कि माता के दरबार से कोई खाली नहीं लौटता। उनकी मुराद अवश्य पूरी होती है।

बाइट- पुजारी, शांति माई स्थान,मंदिर


Conclusion:बता दें कि चैत नवमी में खासकर पश्चिमी करगहिया में स्थित शांति माई स्थान पर श्रद्धालुओं की भीड़ दर्शन के लिए आती है। पहले मंदिर के चारों तरफ शमशान घाट हुआ करता था । यह बेतिया का एक मात्र श्मशान घाट था । जहां दूर-दूर से लोग आते थे।

जितेन कुमार गुप्ता
ईटीवी भारत, बेतिया
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