मोतिहारी: पूर्वी चंपारण जिला में सरस्वती पूजा (Saraswati Puja 2023) श्रद्धा और भक्ति के माहौल में मनाई जा रही है. माघ शुक्लपक्ष के पंचमी तिथि को विद्या की देवी माता सरस्वती की पूजा की जाती है. जिला के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में माता सरस्वती की पूजा की गई. साथ ही कई छात्रों ने अपने घरों के अलावा मुहल्लों में भी माता की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की. वैदिक मंत्रोचार से वातावरण भक्तिमय बना हुआ है.
धूमधाम से मनाई जा रही सरस्वती पूजा: वेद विद्यालय में भी पूरे वैदिक रीति रिवाज के साथ शुरु सरस्वती पूजा का आयोजन किया गया. वेद विद्यालय के प्राचार्य सुशील पांडे ने बताया कि माघ शुक्ल पंचमी को वागीश्वरी जयंती मनाते हैं. जिसे वाणी पूजा और वसंतोत्सव के रुप में भी मनाया जाता है. आज के दिन व्रत रखकर माता सरस्वती की पूजा करने से वाणी में विनम्रता, स्मरण शक्ति तीव्र और विद्या में कुशलता प्राप्त होती है.
माता को वीणावादिनी भी कहा जाता: बता दें कि माता सरस्वती कई नामों से जानी जाती है. हाथों में वीणा और पुस्तक धारण करने वाली माता विद्या, कला और संगीत की देवी के रूप में जानी जाती है. ज्ञान और विद्या की देवी मां शारदा के एक हाथ में पुस्तक है. इनकी पुस्तक लोगों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए प्रेरित करती है. देवी के दूसरे हाथ में वीणा है. इसलिए माता को वीणावादिनी भी कहा जाता है. वीणा का अर्थ खुश रहने और खुशी बांटने से है. जन्म के बाद माता सरस्वती ने वीणा के तार छेड़ा था तो संसार आनंद से चहक उठा था.
"माघ शुक्ल पंचमी को वागीश्वरी जयंती मनाते हैं. जिसे वाणी पूजा और वसंतोत्सव के रुप में भी मनाई जाती है. आज के दिन व्रत रखकर माता सरस्वती की पूजा करने से वाणी में विनम्रता, स्मरण शक्ति तीव्र और विद्या में कुशलता प्राप्त होती है."- सुशील पांडे, प्रधानाचार्य, वेद विद्यालय