मोतिहारी: बिहार के मोतिहारी जिले में प्रकाश पर्व दीपावली (Diwali Puja 2022) पर मिट्टी का काम करने वाले 200 कुम्हार परिवारों के घर को पूर्वी चंपारण जिले का तुरकौलिया गांधी आश्रम और हस्तकला केंद्र रौशन करने में लगा है. हस्तकला केंद्र के माध्यम से इन परिवारों के जीवन को मिट्टी के बने दीये से प्रकाशित करने की कोशिश की जा रही है. डिजायनर दीयों की मांग देश के विभिन्न राज्यों के अलावा विदेशों में भी है. कलस्टर बनाकर इनसे काम कराया जा रहा है, इन्हें इलेक्ट्रॉनिक चाक उपलब्ध कराया गया है. ये कारीगर केवल दीया नहीं बना रहे हैं, बल्कि मूर्ति समेत मिट्टी की कई वस्तुओं को बना रहे हैं.
पढ़ें-राजधानी में पटना में सड़क किनारे सजा दिवाली का बाजार, खरीदारों की बढ़ी भीड़
महापर्व छठ के लिए भी बन रहा है सामान: आस्था के महापर्व छठ में इस्तेमाल होने वाले मिट्टी के सामानों को भी कारीगर बनाने में जुटे हैं. कलस्टर के माध्यम से काम कर रहे इन परिवारों के बने सामानों की अच्छी डिमांड होने से इनकी कमाई भी अच्छी हो रही है. इन परिवारों के बने सामानों को बाजार तक हस्तकला केंद्र पहुंचा रहा है. कलस्टर से जुड़े हरसिद्धि प्रखंड के मठलोहियार पंचायत के रहने वाले कारीगर रामायण पंडित का कहना है कि, उनके वार्ड के 50 लोग मिट्टी के काम से जुड़े हैं.
"वार्ड के 50 लोग मिट्टी के काम से जुड़े हैं. मिट्टी से बने जिस तरह के सामान का ऑर्डर आता है, उसे बनाकर उसकी आपूर्ति की जाती है. अभी दीपावली को लेकर तरह-तरह के दीपक को बनाया जा रहा है. सामान्य दीपक से लेकर डिजायनर दीपक बनाए जा रहे हैं. जिसकी डिमांड ज्यादा है."- रामायण पंडित, कारीगर
"मिट्टी के काम से जो कमाई हो रही है, उससे परिवार चल रहा है. मिट्टी के बहुत से सामान बनाए जाते हैं. इससे ग्लास, हड़िया, ढ़कना, सुराही, घड़ा सहित बहुत चीजें बनती है. अभी दीपावली और छठ का समय है, इसलिए दीया के अलावा छठ का सामान भी बन रहा है."- जोखिया देवी, कारीगर
कलस्टर बनाकर किया जा रहा है काम: तुरकौलिया गांधी आश्रम के सचिव रंजीत कुमार यादव ने बताया कि यह राज्य सरकार प्रायोजित योजना है. जिसके तहत कलस्टर बनाकर हस्तकला केंद्र तुरकौलिया, पिपराकोठी और हरसिद्धि के मिट्टी के काम करने वाले सैकड़ों परिवारों को एकसाथ लाया गया है. वहीं कोरोना काल में बाहर से लौट कर आए मिट्टी के करीगरों को इस योजना के तहत रोजगार मुहैया कराया गया है, जिससे उन्हें आमदनी का जरिया मिल सके है. डिमांड के अनुसार मिट्टी के हर तरह के सामान यहां के कारीगर बनाते हैं. योजना के तहत इन कारीगरों को घर पर रहकर अच्छी आमदनी हो रही है.
"यहां राज्य सरकार से प्रायोजित योजना के तहत काम किया जा रहा है. कलस्टर बनाकर हस्तकला केंद्र तुरकौलिया, पिपराकोठी और हरसिद्धि के मिट्टी के काम करने वाले सैकड़ों परिवारों को जोड़ा गया है. साथ हीं कोरोना काल में बाहर से लौटकर आए मिट्टी के करीगरों को इस योजना से जोड़ कर उन्हें रोजगार मुहैया कराया गया है, जिससे उन्हें अच्छी आमदनी हो रही है. इस योजना से जिले के अन्य प्रखंडों के मिट्टी के कारीगरों को जोड़ा जाएगा. ताकि अन्य दूसरे कुम्हार परिवार भी इस योजना से जुड़कर अपनी आमदनी बढ़ा सकें."-रंजीत कुमार यादव, सचिव, हस्तकला केंद्र
कोविड के बाद बढ़ी डिमांड: कोविड के कारण पिछले दो साल तक दीया और मिट्टी से बने सामानों का बाजार काफी प्रभावित रहा है. लेकिन इस साल दीपावली और छठ के मौके पर सामान्य और डिजायनर दीया का काफी डिमांड में है. लिहाजा सरकारी सहायता से हस्तकला केंद्र के कलस्टर से जुटे कुम्हारों को अच्छी आमदनी होने की उम्मीद है. एक साल पूर्व यह केंद्र अस्तित्व में आया है जिसे सरकार ने दस लाख रुपये दिए थे.
इस साल 10 लाख बने दिये: पिछले साल कम मात्रा में डिजायनर दिए बने थे, इसलिए बाहर ज्यादा सप्लाई नहीं हो सकी थी, लेकिन इस साल अभी तक लगभग 10 लाख दीये बने हैं ताकि उन्हें यूपी, दिल्ली, नेपाल और पटना समेत राज्य के अनेक जिले में भेजे जा सके. एक दिन में लगभग दो हजार दीयों का निर्माण हो रहा है. प्रति टेलर मिट्टी और जलावन का दाम बढ़ने से लागत बढ़ी है. बावजूद इसके जिस तरह से डिमांड आई है, कलस्टर से जुड़े कुम्हारों को अच्छी आमदनी होने की उम्मीद है.
पढ़ें-Chhath Puja 2022: बिहार में छठ पूजा सामग्री की ऑनलाइन बिक्री शुरू, डाक विभाग की पहल