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मोतिहारी: बाढ़ ने हजारों एकड़ की फसलों को किया बर्बाद, किसान मायूस - मोतिहारी के बंजरिया प्रखंड

बाढ़ के पानी में बंजरिया प्रखंड के हजारों एकड़ की फसलें डूब गई हैं. इस क्षेत्र से सितंबर महीने के अंत में पानी निकलता है, जिससे खरीफ की फसलों के उपज की संभावना खत्म हो गई है.

जलमग्न
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Published : Jul 24, 2020, 5:33 AM IST

मोतिहारी: पूर्वी चंपारण जिले का बंजरिया प्रखंड में आई बाढ़ से पूरा क्षेत्र जलम्रन हो गया है. दूर-दूर तक खेतों में पानी ही दिख रहा है. इस क्षेत्र के किसान आनंद प्रकाश ने बताया कि पूरे बंजरिया प्रखंड में बांगर मिट्टी है, जो खेती के लिए सबसे ज्यादा उपजाऊ मिट्टी मानी जाती है. लेकिन सरकार के तरफ से इस क्षेत्र में अब तक जल प्रबंधन की के लिए कोई योजना नहीं बनाई गई है, जिससे तीन से चार महीना तक ये पूरा क्षेत्र पानी में डूबा रहता है.

आनंद प्रकाश के अनुसार उन्होंने पांच साल पहले जल संसाधन विभाग को पत्र भेजकर इस क्षेत्र में जल प्रबंधन के लिए कार्य योजना बनाने का आग्रह किया था, जिससे इस क्षेत्र के किसानों को बाढ़ से राहत मिल सके और किसान एक साल में कई फसल उपजा सके. लेकिन विभाग के तरफ से कोई जबाब नहीं आया. आनंद प्रकाश ने बताया कि बंजरिया में हर साल आने वाले बाढ़ के पानी का निकासी की व्यवस्था हो. जल प्रबंधन की ओर से कार्य योजना बनाकर इस पानी का दूसरे सूखाग्रस्त क्षेत्रों में उपयोग किया जा सकता है.

पेश है रिपोर्ट

खरीफ फसल बर्बाद

बाढ़ के पानी में बंजरिया प्रखंड के हजारों एकड़ की फसलें डूब गई है. इस क्षेत्र से सितंबर महीने के अंत में पानी निकलता है. जिससे खरीफ की फसल इस क्षेत्र में अब संभव नहीं है. आनंद प्रकाश बताते हैं कि खरीफ के फसल पानी में सब डूब गए हैं और बर्बाद हो गए. अब केवल रबी की फसलों पर ही आश है. जब तक इस क्षेत्र से पानी निकलेगा, तब तक खरीफ के फसलों के लिए काफी देर हो चुकी होगी. इस लिए गेहूं, मसूर, चना, मटर, सरसों सहित आलू की खेती पर ही आश बची है.

मोतिहारी: पूर्वी चंपारण जिले का बंजरिया प्रखंड में आई बाढ़ से पूरा क्षेत्र जलम्रन हो गया है. दूर-दूर तक खेतों में पानी ही दिख रहा है. इस क्षेत्र के किसान आनंद प्रकाश ने बताया कि पूरे बंजरिया प्रखंड में बांगर मिट्टी है, जो खेती के लिए सबसे ज्यादा उपजाऊ मिट्टी मानी जाती है. लेकिन सरकार के तरफ से इस क्षेत्र में अब तक जल प्रबंधन की के लिए कोई योजना नहीं बनाई गई है, जिससे तीन से चार महीना तक ये पूरा क्षेत्र पानी में डूबा रहता है.

आनंद प्रकाश के अनुसार उन्होंने पांच साल पहले जल संसाधन विभाग को पत्र भेजकर इस क्षेत्र में जल प्रबंधन के लिए कार्य योजना बनाने का आग्रह किया था, जिससे इस क्षेत्र के किसानों को बाढ़ से राहत मिल सके और किसान एक साल में कई फसल उपजा सके. लेकिन विभाग के तरफ से कोई जबाब नहीं आया. आनंद प्रकाश ने बताया कि बंजरिया में हर साल आने वाले बाढ़ के पानी का निकासी की व्यवस्था हो. जल प्रबंधन की ओर से कार्य योजना बनाकर इस पानी का दूसरे सूखाग्रस्त क्षेत्रों में उपयोग किया जा सकता है.

पेश है रिपोर्ट

खरीफ फसल बर्बाद

बाढ़ के पानी में बंजरिया प्रखंड के हजारों एकड़ की फसलें डूब गई है. इस क्षेत्र से सितंबर महीने के अंत में पानी निकलता है. जिससे खरीफ की फसल इस क्षेत्र में अब संभव नहीं है. आनंद प्रकाश बताते हैं कि खरीफ के फसल पानी में सब डूब गए हैं और बर्बाद हो गए. अब केवल रबी की फसलों पर ही आश है. जब तक इस क्षेत्र से पानी निकलेगा, तब तक खरीफ के फसलों के लिए काफी देर हो चुकी होगी. इस लिए गेहूं, मसूर, चना, मटर, सरसों सहित आलू की खेती पर ही आश बची है.

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