मोतिहारी: कोरोना संकट और लॉकडाउन ने पूर्वी चंपारण जिले के कृषि को भी प्रभावित किया है. रबी फसल के नुकसान से आहत किसानों ने खरीफ फसल की बुआई की तैयारी अभी से शुरू कर दी है. खेतों की जुताई शुरू हो गई है. किसान खेतों को धान का बिचड़ा गिराने के लिए तैयार कर रहे हैं. सरकारी मदद के दावों को खारिज करते हुए किसानों ने धान के अलावा अन्य फसलों की बुआई की तैयारी भी शुरू कर दी है.
लॉकडाउन के कारण खेत खाली करने में हुई देरी
ट्रैक्टर से खेतों की जुताई करवा रहे किसान मो. एकरामुद्दीन ने बताया कि गेहूं पक जाने बाद लॉकडाउन के कारण फसल कटाई के लिए मजदूर नहीं मिल रहे थे. उसी दौरान बारिश भी खुब हुई, जिससे खेत खाली करने में विलम्ब हुआ और गेहूं की फसल भी बर्बाद हो गई. उन्होंने कहा कि अब वे धान का बिचड़ा गिराने के लिए खेत तैयार कर रहे हैं.
खरीफ फसल की बुआई चल रही है पीछे
वहीं, एक अन्य किसान आनंद प्रकाश ने कहा कि लॉकडाउन के कारण खरीफ फसल की बुआई की तैयारी काफी पीछे चल रही है. उन्होंने बताया कि उनका खेत तैयार है. लेकिन, सरकार की तरफ से अभी तक बीज नहीं मिली है. लॉकडाउन के बीच बाजार अब खुलने लगा है तो वह अब धान का बिचड़ा तैयार करने के लिए बाजार से बीज खरीदेंगे.
किसान बिचड़ा के लिए खरीद रहे हैं धान की बीज-डीएओ
जिला कृषि पदाधिकारी ओंकार नाथ सिंह ने बताया कि खरीफ फसल की बुआई को लेकर किसानों ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है. किसान धान का बिचड़ा डालने के लिए खेत तैयार कर रहे हैं. उन्होने बताया कि लॉकडाउन के बीच खाद-बीज की दुकाने अब खुलने लगी है और किसान खेतों में बिचड़ा के लिए धान की बीज खरीद रहे हैं.
सरकार से धान अच्छादन का नहीं प्राप्त हुआ है लक्ष्य
बता दें कि खरीफ की मुख्य फसल धान के अच्छादन का लक्ष्य जिले को अभी सरकार से प्राप्त नहीं हुआ है. लेकिन उम्मीद जताई जा रही है कि पिछले वर्ष के लक्ष्य के अनुसार ही जिले को इस साल भी धान के अच्छादन का लक्ष्य मिलेगा. पिछले साल धान के अच्छादन का लक्ष्य एक लाख 83 हजार हेक्टेयर था. अब यह सरकार के उपर निर्भर करता है कि कोरोना संकट और लॉकडाउन के बीच वह जिले में धान के अच्छादन के लिए कितना हेक्टेयर का लक्ष्य देती है.