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आज से शुरू होगा विराट रामायण मंदिर का निर्माण, दिल्ली और ओडिशा से मंगाई गई हैं आधुनिक मशीनें - etv bharat

पूर्वी चंपारण के केसरिया प्रखंड स्थित कैथवलिया में टावर ऑफ टैम्पल्स की परिकल्पना को विराट रामायण मंदिर (Virat Ramayana temple) का निर्माण कार्य आज से आरंभ हो रहा है. इसे रामेश्वर मंदिर के तर्ज पर उतारा जायेगा. इसमें 15 शिखर होंगे. सबसे ऊंची शिखर 270 फुट की होगी. यह देश ही नहीं बल्कि दुनिया के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र होगा. यह पर्यटन की दृष्टि से भी कारगर होगा. पढ़ें पूरी खबर.

आचार्य किशोर कुणाल, धार्मिक न्यास बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष
आचार्य किशोर कुणाल, धार्मिक न्यास बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष
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Published : May 3, 2022, 10:04 AM IST

मोतिहारी: पूर्वी चंपारण के केसरिया प्रखंड स्थित कैथवलिया में प्रस्तावित विराट रामायण मंदिर के निर्माण कार्य (Construction of Virat Ramayana temple in East Champaran) की शुरुआत आज से हो रहा है. केसरिया के कैथवलिया में 'टावर ऑफ टैम्पल्स' की परिकल्पना 'विराट रामायण मंदिर' के रtप में धरातल पर उतरेगी. इसमें 15 शिखर होगी. सबसे उंची शिखर 270 फीट की होगी. आगामी ढ़ाई साल में मंदिर भव्य रुप लेगा जो देश और दुनिया के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का सबसे बड़ा केंद्र बनेगा.

ये भी पढ़ें: बिहार में मंदिर के लिए मुस्लिम परिवार ने दान कर दी अपनी ढाई करोड़ की जमीन

मंदिर के मुख्य द्वार पर स्थापित होगा शिवलिंग: जब मंदिर बनकर तैयार होगा, तब यह श्रद्धालुओं के अलावा पर्यटकों को भी आकर्षित करेगा. मंदिर निर्माण के शुरुआत में विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग का स्थापना किया जाएगा. शिवलिंग का निर्माण कन्याकुमारी से ब्लैक ग्रेनाइट के 250 मीट्रिक टन के एक ही चट्टान को खरीद कर चेन्नई के महाबलीपुरम भेजा गया है. उस चट्टान को तराश कर 200 मीट्रिक टन के सहस्त्र लिंगम का आकार लेगा. इसमें 1008 शिवलिंग विराजमान रहेंगे. इसे मंदिर के मुख्य द्वार पर स्थापित किया जाएगा.

1400 वर्षों के बाद सहस्त्र लिंगम की स्थापना: धार्मिक न्यास बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष आचार्य किशोर कुणाल (Acharya Kishore Kunal) के अनुसार 800 ईसवीं तक सहस्त्र लिंगम बनती थी. लेकिन 1400 वर्षों के बाद सहस्त्र लिंगम की स्थापना एक बार फिर से की जा रही है. केसरिया के कैथवलिया में ही दुनिया के सबसे बड़े मंदिर निर्माण के बारे में किशोर कुणाल ने बताया कि पटना के हनुमान जी की विराट स्थल पर विराट रूप धारण करने की इच्छा हुई क्योंकि महावीर मंदिर में बहुत संकीर्ण जगह है. इसलिए हनुमान जी के विराट स्वरूप की स्थापना के लिए हाजीपुर और सीतामढ़ी में जगह देखी गई लेकिन हनुमान जी को अपने विराट स्वरुप के लिए केसरिया के कैथवलिया में जगह मिली.

जारी होगा कूपन और बैंक एकाउंट: उन्होंने बताया कि मंदिर के लिए कोई चंदा नहीं लिया गया है. पहले जो स्थिति थी, उसके हिसाब से श्री हनुमान मंदिर ट्रस्ट के पैसे से मंदिर की संरचना खड़ी हो जाती लेकिन जिस तरह निर्माण सामग्री की महंगाई है, उस कारण आने वाले समय में लोगों से चंदा लिया जाएगा. इसके लिए कूपन और बैंक एकाउंट जारी किया जाएगा. मंदिर के लिए जमीन अधिग्रहण में आई समस्या के बारे में जानकारी देते हुए किशोर कुणाल ने बताया कि वह चलती रहेगी लेकिन मंदिर निर्माण का कार्य अब नहीं रुकेगा. किशोर कुणाल के अनुसार मंदिर में जमीन दान करने वाले, बेचने वाले और बदलेन करने वालों के अलावा दान करने वालों के नाम कृति स्तम्भ में अंकित होंगे.

ढाई साल में प्रोजेक्ट पूरा करने का लक्ष्य: आचार्य किशोर कुणाल ने मंदिर के बारे में बताया कि रामेश्वरम की तरह हीं रामायण मंदिर का निर्माण होगा. सबसे आगे शिवलिंग स्थापित होगा. साथ में एक तालाब का भी निर्माण किया जाएगा जिसकी लंबाई 800 फीट और चौड़ाई 400 फीट होगी. इसे गंगा सागर के नाम से जाना जाएगा. इस मंदिर निर्माण को लेकर दिल्ली व ओडिशा सहित आधा दर्जन राज्यों से आधुनिक मशीनें मंगाई जा रही हैं. प्रोजेक्ट को ढाई साल में पूरा कर लेने का लक्ष्य है.

उसके पीछे भगवान श्रीराम पूजा करने के मुद्रा में रहेंगे. दाहिनी ओर हनुमान जी झुके हुए भगवान श्री राम को पूजा सामग्री देने की मुद्रा में और बायीं ओर लक्ष्मण जी सावधान की मुद्रा में रहेंगे. उसके साथ इन मुर्तियों से 200 फीट सामने अशोक वाटिका जैसा मंदिर होगा. जिसमें माता सीता विराजमान रहेंगी. उन्होंने बताया कि मंदिर के निर्माण की परिकल्पना सीता जी को लंका से वापस लाने के लिए रामेश्वरम पूजा की तरह की है. आचार्य किशोर कुणाल के अनुसार मंदिर निर्माण के लिए सीएम नीतीश कुमार के साथ डीएम और सभी अधिकारियों का सहयोग मिल रहा है.

21 जून 2012 को हुआ था भूमि पूजन: बता दें कि कैथवलिया में दुनिया का सबसे बड़ा विराट रामायण मंदिर का निर्माण हो रहा है. इस मंदिर का निर्माण पटना के श्री महावीर स्थान न्यास समिति के द्वारा किया जा रहा है. इसका भूमि पूजन आचार्य किशोर कुणाल ने 21 जून 2012 किया था. रामायण मंदिर परिसर की लम्बाई 2800 फीट और चौडाई 1500 फीट होगी. मुख्य मंदिर 1240 फीट लंबा, 1150 फीट चौड़ा और 270 फीट उंचा होगा. मंदिर में 18 देवता घर एवं 18 शिखर होंगे. इस मंदिर में भगवान रामजी के साथ-साथ सीता जी, लव-कुश एवं महर्षि वाल्मीकि की मूर्ति होगी. अन्य मंदिरों में अन्य हिन्दू देवी देवता प्रतिष्ठित होंगे.

ये भी पढ़ें- पूर्वी चंपारण में होगा विश्व का सबसे ऊंचा शिवलिंग का निर्माण: आचार्य किशोर कुणाल

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मोतिहारी: पूर्वी चंपारण के केसरिया प्रखंड स्थित कैथवलिया में प्रस्तावित विराट रामायण मंदिर के निर्माण कार्य (Construction of Virat Ramayana temple in East Champaran) की शुरुआत आज से हो रहा है. केसरिया के कैथवलिया में 'टावर ऑफ टैम्पल्स' की परिकल्पना 'विराट रामायण मंदिर' के रtप में धरातल पर उतरेगी. इसमें 15 शिखर होगी. सबसे उंची शिखर 270 फीट की होगी. आगामी ढ़ाई साल में मंदिर भव्य रुप लेगा जो देश और दुनिया के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का सबसे बड़ा केंद्र बनेगा.

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मंदिर के मुख्य द्वार पर स्थापित होगा शिवलिंग: जब मंदिर बनकर तैयार होगा, तब यह श्रद्धालुओं के अलावा पर्यटकों को भी आकर्षित करेगा. मंदिर निर्माण के शुरुआत में विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग का स्थापना किया जाएगा. शिवलिंग का निर्माण कन्याकुमारी से ब्लैक ग्रेनाइट के 250 मीट्रिक टन के एक ही चट्टान को खरीद कर चेन्नई के महाबलीपुरम भेजा गया है. उस चट्टान को तराश कर 200 मीट्रिक टन के सहस्त्र लिंगम का आकार लेगा. इसमें 1008 शिवलिंग विराजमान रहेंगे. इसे मंदिर के मुख्य द्वार पर स्थापित किया जाएगा.

1400 वर्षों के बाद सहस्त्र लिंगम की स्थापना: धार्मिक न्यास बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष आचार्य किशोर कुणाल (Acharya Kishore Kunal) के अनुसार 800 ईसवीं तक सहस्त्र लिंगम बनती थी. लेकिन 1400 वर्षों के बाद सहस्त्र लिंगम की स्थापना एक बार फिर से की जा रही है. केसरिया के कैथवलिया में ही दुनिया के सबसे बड़े मंदिर निर्माण के बारे में किशोर कुणाल ने बताया कि पटना के हनुमान जी की विराट स्थल पर विराट रूप धारण करने की इच्छा हुई क्योंकि महावीर मंदिर में बहुत संकीर्ण जगह है. इसलिए हनुमान जी के विराट स्वरूप की स्थापना के लिए हाजीपुर और सीतामढ़ी में जगह देखी गई लेकिन हनुमान जी को अपने विराट स्वरुप के लिए केसरिया के कैथवलिया में जगह मिली.

जारी होगा कूपन और बैंक एकाउंट: उन्होंने बताया कि मंदिर के लिए कोई चंदा नहीं लिया गया है. पहले जो स्थिति थी, उसके हिसाब से श्री हनुमान मंदिर ट्रस्ट के पैसे से मंदिर की संरचना खड़ी हो जाती लेकिन जिस तरह निर्माण सामग्री की महंगाई है, उस कारण आने वाले समय में लोगों से चंदा लिया जाएगा. इसके लिए कूपन और बैंक एकाउंट जारी किया जाएगा. मंदिर के लिए जमीन अधिग्रहण में आई समस्या के बारे में जानकारी देते हुए किशोर कुणाल ने बताया कि वह चलती रहेगी लेकिन मंदिर निर्माण का कार्य अब नहीं रुकेगा. किशोर कुणाल के अनुसार मंदिर में जमीन दान करने वाले, बेचने वाले और बदलेन करने वालों के अलावा दान करने वालों के नाम कृति स्तम्भ में अंकित होंगे.

ढाई साल में प्रोजेक्ट पूरा करने का लक्ष्य: आचार्य किशोर कुणाल ने मंदिर के बारे में बताया कि रामेश्वरम की तरह हीं रामायण मंदिर का निर्माण होगा. सबसे आगे शिवलिंग स्थापित होगा. साथ में एक तालाब का भी निर्माण किया जाएगा जिसकी लंबाई 800 फीट और चौड़ाई 400 फीट होगी. इसे गंगा सागर के नाम से जाना जाएगा. इस मंदिर निर्माण को लेकर दिल्ली व ओडिशा सहित आधा दर्जन राज्यों से आधुनिक मशीनें मंगाई जा रही हैं. प्रोजेक्ट को ढाई साल में पूरा कर लेने का लक्ष्य है.

उसके पीछे भगवान श्रीराम पूजा करने के मुद्रा में रहेंगे. दाहिनी ओर हनुमान जी झुके हुए भगवान श्री राम को पूजा सामग्री देने की मुद्रा में और बायीं ओर लक्ष्मण जी सावधान की मुद्रा में रहेंगे. उसके साथ इन मुर्तियों से 200 फीट सामने अशोक वाटिका जैसा मंदिर होगा. जिसमें माता सीता विराजमान रहेंगी. उन्होंने बताया कि मंदिर के निर्माण की परिकल्पना सीता जी को लंका से वापस लाने के लिए रामेश्वरम पूजा की तरह की है. आचार्य किशोर कुणाल के अनुसार मंदिर निर्माण के लिए सीएम नीतीश कुमार के साथ डीएम और सभी अधिकारियों का सहयोग मिल रहा है.

21 जून 2012 को हुआ था भूमि पूजन: बता दें कि कैथवलिया में दुनिया का सबसे बड़ा विराट रामायण मंदिर का निर्माण हो रहा है. इस मंदिर का निर्माण पटना के श्री महावीर स्थान न्यास समिति के द्वारा किया जा रहा है. इसका भूमि पूजन आचार्य किशोर कुणाल ने 21 जून 2012 किया था. रामायण मंदिर परिसर की लम्बाई 2800 फीट और चौडाई 1500 फीट होगी. मुख्य मंदिर 1240 फीट लंबा, 1150 फीट चौड़ा और 270 फीट उंचा होगा. मंदिर में 18 देवता घर एवं 18 शिखर होंगे. इस मंदिर में भगवान रामजी के साथ-साथ सीता जी, लव-कुश एवं महर्षि वाल्मीकि की मूर्ति होगी. अन्य मंदिरों में अन्य हिन्दू देवी देवता प्रतिष्ठित होंगे.

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