बेतिया: जंगल में दिनों-दिन बढ़ रहे अपराध पर नकेल कसने के लिए आज वाल्मीकि नगर के वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना स्थित वन सभागार एक कार्यशाला आोयजित हुई. इसमें वन विभाग के कर्मचारियों, कस्टम विभाग, पुलिस-प्रशासन व एसएसबी के वरीय पदाधिकारी मौजूद रहे. यह कार्यक्रम दो दिवसीय होगा.
इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य वन्य जीव जन्तुओं व वन्य सम्पदाओं का संरक्षण कर वन तस्करों एवं वन्य अपराधियों से निजात दिलाना है.
क्यों शुरु की जा रही कवायद
भारत में वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना को काफी संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है. इस टाइगर रिजर्व में अनेक विलुप्त प्रजातियों के जीव-जंतु देखने को मिलते हैं. जिन पर वन तस्करों व वन अपराधियों की कुदृष्टि हमेशा से रही है. ऐसे में जंगल मे बढ़ रहे अपराध पर नियंत्रण लगाना अति आवश्यक है. इसी बाबत कार्यशाला आोयजित की जा रही है.
यह बोले अतिथि प्रबंधक
तमिलनाडु से वर्कशॉप में आए एक प्रबंधक ने बताया कि वन क्षेत्र में हो रहे अपराधों पर अंकुश लगाना सिर्फ वन विभाग का काम नहीं है, इसके लिए एसएसबी, कस्टम विभाग, स्थानीय पुलिस-प्रशासन की सहभागिता भी जरूरी है.
वर्ल्ड वाइड इंस्टीट्यूट के प्रबंधक सी.पी.शर्मा ने संवाददाताओं को बताया कि वन विभाग से जुड़े अपराधियों को उचित सजा दिलवाने व लम्बित मुकदमों को कैसे वैज्ञानिक तरीके से डिफेन्स किया जा सकता है, इन्हीं मुद्दों के बाबत कार्यशाला में अधिकारियों के साथ विचार विमर्श किया जाएगा.
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व की खासियत
गौरतलब हो कि वाल्मीकि टाइगर रिजर्व बिहार का इकलौता टाइगर रिजर्व है, जहां बहुमूल्य जड़ी-बूटियों सहित विलुप्त प्रजाति के जीव-जंतु भी देखने को मिलते हैं. इसी वजह से यह क्षेत्र वन अपराधियों का सॉफ्ट टारगेट बना हुआ है. ऐसे में इंडो नेपाल बॉर्डर पर तमाम विभागों के अधिकारियों के साथ आयोजित इस कार्यशाला से वन क्षेत्र में हो रहे अपराध पर कितना अंकुश लगेगा, ये तो आने वाला वक्त बताएगा.