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मोतिहारी: बाढ़ के पानी में घिरा केसरिया बौद्ध स्तूप, परिसर में है 5 फिट तक पानी - Motihari Buddhist Stupa Flood

केसरिया में स्थित बौद्ध स्तूप परिसर में गंडक नदी के कारण बाढ़ का पानी घुस गया है. पूरे परिसर में ढ़ाई से लेकर पांच फीट तक पानी जमा है. दुनिया का सबसे उंचा बौद्ध स्तूप पानी के बीच खड़ा एक टीला नजर आता है.

Buddhist Stupa surrounded by flood water in Motihari
Buddhist Stupa surrounded by flood water in Motihari
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Published : Aug 7, 2020, 7:11 AM IST

मोतिहारी: गंडक नदी पर बना तटबंध चंपारण के पास टूटने से कई प्रखंडों में बाढ़ ने तबाही मचाई है. संग्रामपुर में तांडव मचाने के बाद गंडक का पानी केसरिया प्रखंड में चारों तरफ फैला हुआ है. दुनिया का सबसे उंचा बौद्ध स्तूप भी गंडक के तांडव का मूक गवाह बना हुआ है. बौद्ध स्तूप परिसर के अंदर और बाहर बाढ़ का पानी फैला हुआ है.

Buddhist Stupa surrounded by flood water in Motihari
बौद्ध स्तूप

बता दें कि गंडक के पानी में जहां संग्रामपुर और केसरिया प्रखंड पानी में डूबा हुआ है. वहीं, बौद्ध स्तूप परिसर में ढ़ाई से लेकर पांच फीट तक पानी है. जगह-जगह पुरातात्विक विभाग की ओर से खुदाई किए जाने के कारण परिसर के अंदर कहीं-कहीं पांच से सात फीट तक पानी है. बौद्ध स्तूप सिर्फ पानी के बीच खड़ा एक टीला नजर आता है.

Buddhist Stupa surrounded by flood water in Motihari
केसरिया स्तूप

धार्मिक और ऐतिहासिक महत्त्व का है बौद्ध स्तूप
यह बौद्ध स्तूप दुनिया का सबसे उंचा बौद्ध स्तूप माना जाता है. जिसकी उंचाई 104 फीट है. यहां बौद्ध धर्म को मानने वाले देश और विदेश से बौद्ध धर्मावलंबी आते हैं और प्रार्थना करते हैं. इतिहासकारों के अनुसार वैशाली से कुशीनगर जाने के क्रम में महात्मा बुद्ध एक रात यहां रुके थे और अपना भिक्षापात्र वैशाली के बौद्ध भिक्षुओं को देकर कुशीनगर की ओर बढ़ गए थे. ऐतिहासिक और धार्मिक महत्त्व से इस बौद्ध स्तूप का विशेष महत्व है. लेकिन गंड़क नदी के कारण अभी बाढ़ की चपेट में है.

पेश है रिपोर्ट

'हरेक साल नहीं आती है बाढ़'
कोरोना संक्रमण के कारण पहले से ही बौद्ध स्तूप परिसर में पर्यटकों और आम लोगों के आने पर रोक लगा दी गयी थी. अब इसकी देख-रेख करने वाले पुरातात्विक विभाग के कर्मी और सुरक्षा गार्ड भी परिसर में बाढ़ आ जाने पर पलायन कर चुके हैं. स्थानीय युवक राजन गुप्ता ने बताया कि बौद्ध स्तूप परिसर में पहले केवल बारिश का पानी थोड़ा-बहुत जमा हो जाता था. लेकिन इस साल गंडक का पानी यहां प्रवेश गया है और परिसर तालाब बना हुआ है. ऐसे हरेक साल नहीं होता. इस साल चंपारण बांध टूटने के कारण यहां बाढ़ आई है.

मोतिहारी: गंडक नदी पर बना तटबंध चंपारण के पास टूटने से कई प्रखंडों में बाढ़ ने तबाही मचाई है. संग्रामपुर में तांडव मचाने के बाद गंडक का पानी केसरिया प्रखंड में चारों तरफ फैला हुआ है. दुनिया का सबसे उंचा बौद्ध स्तूप भी गंडक के तांडव का मूक गवाह बना हुआ है. बौद्ध स्तूप परिसर के अंदर और बाहर बाढ़ का पानी फैला हुआ है.

Buddhist Stupa surrounded by flood water in Motihari
बौद्ध स्तूप

बता दें कि गंडक के पानी में जहां संग्रामपुर और केसरिया प्रखंड पानी में डूबा हुआ है. वहीं, बौद्ध स्तूप परिसर में ढ़ाई से लेकर पांच फीट तक पानी है. जगह-जगह पुरातात्विक विभाग की ओर से खुदाई किए जाने के कारण परिसर के अंदर कहीं-कहीं पांच से सात फीट तक पानी है. बौद्ध स्तूप सिर्फ पानी के बीच खड़ा एक टीला नजर आता है.

Buddhist Stupa surrounded by flood water in Motihari
केसरिया स्तूप

धार्मिक और ऐतिहासिक महत्त्व का है बौद्ध स्तूप
यह बौद्ध स्तूप दुनिया का सबसे उंचा बौद्ध स्तूप माना जाता है. जिसकी उंचाई 104 फीट है. यहां बौद्ध धर्म को मानने वाले देश और विदेश से बौद्ध धर्मावलंबी आते हैं और प्रार्थना करते हैं. इतिहासकारों के अनुसार वैशाली से कुशीनगर जाने के क्रम में महात्मा बुद्ध एक रात यहां रुके थे और अपना भिक्षापात्र वैशाली के बौद्ध भिक्षुओं को देकर कुशीनगर की ओर बढ़ गए थे. ऐतिहासिक और धार्मिक महत्त्व से इस बौद्ध स्तूप का विशेष महत्व है. लेकिन गंड़क नदी के कारण अभी बाढ़ की चपेट में है.

पेश है रिपोर्ट

'हरेक साल नहीं आती है बाढ़'
कोरोना संक्रमण के कारण पहले से ही बौद्ध स्तूप परिसर में पर्यटकों और आम लोगों के आने पर रोक लगा दी गयी थी. अब इसकी देख-रेख करने वाले पुरातात्विक विभाग के कर्मी और सुरक्षा गार्ड भी परिसर में बाढ़ आ जाने पर पलायन कर चुके हैं. स्थानीय युवक राजन गुप्ता ने बताया कि बौद्ध स्तूप परिसर में पहले केवल बारिश का पानी थोड़ा-बहुत जमा हो जाता था. लेकिन इस साल गंडक का पानी यहां प्रवेश गया है और परिसर तालाब बना हुआ है. ऐसे हरेक साल नहीं होता. इस साल चंपारण बांध टूटने के कारण यहां बाढ़ आई है.

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