दरभंगा: मैथिली फिल्म अकादमी दरभंगा की ओर से आयोजित दो दिवसीय मैथिली लघु फिल्म फेस्टिवल का समापन रविवार हो गया. इसमें कुल पांच लघु फिल्में 'फेर हेतइ भोर', 'एमबीए कनिया सीए बर', 'गोरकी', 'कवि कल्पना', 'और 'पुनर्जन्म' दिखाई गई. अंतिम दिन मैथिली फिल्म निर्माण को बढ़ावा देने के लिये प्रयासों और नयी तकनीक के प्रयोग पर भी चर्चा हुई. इस कार्यक्रम में कई मैथिली फिल्मकारों, कलाकारों और लेखकों ने शिरकत की.
'मैथिली सिनेमा का भविष्य उज्ज्वल है'
मैथिली फिल्म अभिनेत्री गीता मिश्रा ने कहा कि मैथिली सिनेमा का भविष्य उज्ज्वल है. मैथिली समाज में अभी भी दहेज और भ्रूण हत्या जैसी कई कुरीतियां मौजूद हैं. ऐसे विषयों पर छोटी-छोटी संदेशपरक फिल्में बनाई जा सकती हैं, जिन्हें लोग यूट्यूब जैसी वेबसाइट पर देख सकते हैं. बस जरूरत है ईमानदार प्रयास की.
'भोजपुरी फिल्मों प्रचार-प्रसार बहुत ज्यादा है'
निर्माता-निर्देशक और लेखक अमर ज्योति झा ने कहा कि अधिकतर मैथिली फिल्में बनी-बनाई लकीर पर बन रही हैं. इसलिए लोग इन्हें कम देखते हैं. भोजपुरी पर हम लाख अश्लीलता का आरोप लगाए, उसका प्रचार-प्रसार बहुत ज्यादा है. आज कि सिनेमा तकनीक, स्क्रिप्ट और अभिनय में नए-नए प्रयोग किए जा रहे है. मैथिली फिल्मकारों को भी उसे अपनाना होगा.