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बैंक की नौकरी छोड़ सुगत ने पाला देसी गाय, 100 रुपये किलो A2 दूध बेचकर करते हैं हजारों की कमाई - ऑर्गेनिक दूध

दरभंगा जिले के सुगत दास साहिवाल नस्ल की गायों के ए 2 दूध का उत्पादन करते हैं. वह पहले पुणे में बैंक में नौकरी करते थे. पिता को हार्ट अटैक आया तो डॉक्टर ने ए 2 दूध देने को कहा. उन्होंने पटना के बिहटा से दूध खरीदकर बीमार पिता को दिया. वह स्वस्थ्य हो गए. इससे सुगत को ए 2 दूध के उत्पादन के लिए अपना डेयरी खोलने का आइडिया आया.

a 2 cow milk production in darbhanga
A2 दूध का उत्पादन
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Published : Apr 11, 2021, 5:38 PM IST

दरभंगा: मिथिलांचल में पहली बार साहिवाल नस्ल की गायों के ए 2 दूध का उत्पादन शुरू हुआ है. इसकी शुरुआत की कहानी भी खास है. दरभंगा जिले के केवटी प्रखंड के इटहरवा-दरिमा गांव के सुगत दास पहले पुणे में रहते थे और पीएनबी मेटलाइफ में नौकरी करते थे. सुगत को ए 2 दूध के उत्पादन का आइडिया पिता सुमन कुमार दास को हार्ट अटैक आने के बाद आया.

यह भी पढ़ें- ग्राउंड रिपोर्ट: मुजफ्फरपुर में 1 हजार करोड़ का शहद कारोबार 100 करोड़ में सिमटा, जानें वजह

इलाज के दौरान डॉक्टर ने उनके पिता को साहिवाल गाय का ए 2 दूध पीने की सलाह दी थी ताकि हार्ट ब्लॉकेज को रोका जा सके. सुगत पहले तो पटना के अपने घर में बिहटा से ए 2 दूध मंगाते थे. बाद में उन्होंने दरभंगा के अपने गांव में खुद ही साहिवाल गाय की डेयरी शुरू करने का फैसला कर लिया. दिसंबर 2020 में उन्होंने 'दूधु डेयरी' के ब्रांड नाम से साहिवाल नस्ल की गायों की ऑर्गेनिक डेयरी फार्म की शुरुआत की.

देखें रिपोर्ट

क्यों खास है ए 2 दूध
दूध में पाया जाने वाला प्रोटीन बी-केसीन (B-casein) होता है. यह मुख्य रूप से दो तरह का होता है ए 1 और ए 2. दोनों तरह के प्रोटीन में अमीनो एसिड (जिससे प्रोटीन बनता है) की संरचना अलग-अलग होती है. क्रॉस और जर्सी नस्ल की गाय के दूध में अधिकतर ए 1 टाइप का बी-केसीन प्रोटीन होता है. वहीं, साहिवाल और कुछ अन्य देसी नस्ल की गाय के दूध में ए 2 टाइप का बी-केसीन प्रोटीन होता है. इसलिए इसे ए 2 दूध कहते हैं. यह आसानी से पचता है और यह पोषक तत्वों से भरपूर होता है. ए 2 प्रोटीन वाले दूध को मां के दूध के समान संतुलित आहार माना गया है.

a 2 cow milk production in darbhanga
ईटीवी भारत इन्फोग्राफिक्स

रोज 75 लीटर दूध का होता है उत्पादन
फिलहाल सुगत के डेयरी में गाय-बछड़ों समेत 27 गोवंश हैं. इनसे हर दिन सुबह-शाम करीब 75 लीटर दूध का उत्पादन होता है. 60 लीटर दूध वह घर-घर जाकर देते हैं. 15 लीटर दूध से दही, छांछ, घी और पनीर जैसे उत्पाद बनाते हैं. ए 2 दूध के अधिकतर ग्राहक डॉक्टर हैं.

a 2 cow milk production in darbhanga
ईटीवी भारत इन्फोग्राफिक्स

ऑर्गेनिक चारा खाती हैं गाय
सुगत अपनी गायों को ऑर्गेनिक ढंग से उपजाए गए गेहूं और मक्का का दाना खिलाते हैं. वह गायों के लिए हरा चारा भी बिना किसी रासायनिक खाद का इस्तेमाल किए उपजाते हैं. इसके अलावा सुगत ऑर्गेनिक सब्जियों का उत्पादन करते हैं, जिसे लोग हाथोंहाथ खरीदते हैं. इनके खेतों में भिंडी, पत्ता गोभी, फूलगोभी, टमाटर, बैंगन, कद्दू समेत साग भी उपजता है. सुगत ने अपने डेयरी में गांव के वैसे 8 लोगों को रोजगार दिया है जो पिछले साल लॉकडाउन में अपनी रोजी-रोटी गंवाकर लौटे थे.

"मैंने दिसंबर 2020 में 5 गायों से डेयरी की शुरुआत की थी. मैं अपने खेत में ऑर्गेनिक सब्जी भी उगा रहा हूं. इसे दूध खरीदने वाले ग्राहक खरीद लेते हैं. मेरा उद्देश्य लोगों को ऑर्गेनिक दूध, अनाज और फल सब्जियों का इस्तेमाल और उत्पादन करने के लिए प्रेरित करना है ताकि लोग स्वस्थ्य जीवन जी सकें. रासायनिक खाद और कीटनाशकों के इस्तेमाल से उगाए जाने वाले अनाज, फल और सब्जियों के खाने से लोग बीमारियों के शिकार हो रहे हैं."- सुगत दास, डेयरी संचालक

"मैं दिल्ली में मजदूरी करता था. कोरोना के चलते पिछले साल लॉकडाउन लगा तो रोजी-रोटी गंवाकर घर लौटना पड़ा. मेरे पास कोई काम नहीं था. यहां जब डेयरी की शुरुआत हुई तो मुझे काम मिला. मैं खुश हूं कि अपने गांव में रोजगार मिला है."- रामबाबू, डेयरी कर्मचारी

"मुझे खुशी है कि मेरे बेटे ने गांव के 8 बेरोजगार लोगों को रोजगार दिया है. जहरीले रासायनिक खाद के बजाए ऑर्गेनिक ढंग से उत्पादित खाने-पीने के चीजों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए."- सुमन कुमार दास, सुगत के पिता

"ए 2 दूध मां के दूध के समान प्राकृतिक संतुलित आहार है. इसके उपयोग से डायबिटीज और हृदय रोग के अलावा कई बीमारियों में फायदा होता है. यह दूध कोलेस्ट्रॉल पर नियंत्रण करता है. हार्ट ब्लॉकेज रोकता है. ऑर्गेनिक दूध और फल-सब्जियों का प्रयोग कर लोग स्वस्थ रह सकते हैं."- डॉ. एनके लाल, प्रभारी चिकित्सक, केवटी सीएचसी

यह भी पढ़ें- पूर्णिया: स्वतंत्रता सेनानी का परिवार दूध बेचकर कर रहा गुजारा, जमीन पर भू माफियाओं का कब्जा

यह भी पढ़ें- सुशासन बाबू के ड्रीम प्रोजेक्ट हर घर नल-जल योजना की सच्चाई, नदी और जोरिया से प्यास बुझाने को मजबूर हैं ग्रामीण

दरभंगा: मिथिलांचल में पहली बार साहिवाल नस्ल की गायों के ए 2 दूध का उत्पादन शुरू हुआ है. इसकी शुरुआत की कहानी भी खास है. दरभंगा जिले के केवटी प्रखंड के इटहरवा-दरिमा गांव के सुगत दास पहले पुणे में रहते थे और पीएनबी मेटलाइफ में नौकरी करते थे. सुगत को ए 2 दूध के उत्पादन का आइडिया पिता सुमन कुमार दास को हार्ट अटैक आने के बाद आया.

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इलाज के दौरान डॉक्टर ने उनके पिता को साहिवाल गाय का ए 2 दूध पीने की सलाह दी थी ताकि हार्ट ब्लॉकेज को रोका जा सके. सुगत पहले तो पटना के अपने घर में बिहटा से ए 2 दूध मंगाते थे. बाद में उन्होंने दरभंगा के अपने गांव में खुद ही साहिवाल गाय की डेयरी शुरू करने का फैसला कर लिया. दिसंबर 2020 में उन्होंने 'दूधु डेयरी' के ब्रांड नाम से साहिवाल नस्ल की गायों की ऑर्गेनिक डेयरी फार्म की शुरुआत की.

देखें रिपोर्ट

क्यों खास है ए 2 दूध
दूध में पाया जाने वाला प्रोटीन बी-केसीन (B-casein) होता है. यह मुख्य रूप से दो तरह का होता है ए 1 और ए 2. दोनों तरह के प्रोटीन में अमीनो एसिड (जिससे प्रोटीन बनता है) की संरचना अलग-अलग होती है. क्रॉस और जर्सी नस्ल की गाय के दूध में अधिकतर ए 1 टाइप का बी-केसीन प्रोटीन होता है. वहीं, साहिवाल और कुछ अन्य देसी नस्ल की गाय के दूध में ए 2 टाइप का बी-केसीन प्रोटीन होता है. इसलिए इसे ए 2 दूध कहते हैं. यह आसानी से पचता है और यह पोषक तत्वों से भरपूर होता है. ए 2 प्रोटीन वाले दूध को मां के दूध के समान संतुलित आहार माना गया है.

a 2 cow milk production in darbhanga
ईटीवी भारत इन्फोग्राफिक्स

रोज 75 लीटर दूध का होता है उत्पादन
फिलहाल सुगत के डेयरी में गाय-बछड़ों समेत 27 गोवंश हैं. इनसे हर दिन सुबह-शाम करीब 75 लीटर दूध का उत्पादन होता है. 60 लीटर दूध वह घर-घर जाकर देते हैं. 15 लीटर दूध से दही, छांछ, घी और पनीर जैसे उत्पाद बनाते हैं. ए 2 दूध के अधिकतर ग्राहक डॉक्टर हैं.

a 2 cow milk production in darbhanga
ईटीवी भारत इन्फोग्राफिक्स

ऑर्गेनिक चारा खाती हैं गाय
सुगत अपनी गायों को ऑर्गेनिक ढंग से उपजाए गए गेहूं और मक्का का दाना खिलाते हैं. वह गायों के लिए हरा चारा भी बिना किसी रासायनिक खाद का इस्तेमाल किए उपजाते हैं. इसके अलावा सुगत ऑर्गेनिक सब्जियों का उत्पादन करते हैं, जिसे लोग हाथोंहाथ खरीदते हैं. इनके खेतों में भिंडी, पत्ता गोभी, फूलगोभी, टमाटर, बैंगन, कद्दू समेत साग भी उपजता है. सुगत ने अपने डेयरी में गांव के वैसे 8 लोगों को रोजगार दिया है जो पिछले साल लॉकडाउन में अपनी रोजी-रोटी गंवाकर लौटे थे.

"मैंने दिसंबर 2020 में 5 गायों से डेयरी की शुरुआत की थी. मैं अपने खेत में ऑर्गेनिक सब्जी भी उगा रहा हूं. इसे दूध खरीदने वाले ग्राहक खरीद लेते हैं. मेरा उद्देश्य लोगों को ऑर्गेनिक दूध, अनाज और फल सब्जियों का इस्तेमाल और उत्पादन करने के लिए प्रेरित करना है ताकि लोग स्वस्थ्य जीवन जी सकें. रासायनिक खाद और कीटनाशकों के इस्तेमाल से उगाए जाने वाले अनाज, फल और सब्जियों के खाने से लोग बीमारियों के शिकार हो रहे हैं."- सुगत दास, डेयरी संचालक

"मैं दिल्ली में मजदूरी करता था. कोरोना के चलते पिछले साल लॉकडाउन लगा तो रोजी-रोटी गंवाकर घर लौटना पड़ा. मेरे पास कोई काम नहीं था. यहां जब डेयरी की शुरुआत हुई तो मुझे काम मिला. मैं खुश हूं कि अपने गांव में रोजगार मिला है."- रामबाबू, डेयरी कर्मचारी

"मुझे खुशी है कि मेरे बेटे ने गांव के 8 बेरोजगार लोगों को रोजगार दिया है. जहरीले रासायनिक खाद के बजाए ऑर्गेनिक ढंग से उत्पादित खाने-पीने के चीजों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए."- सुमन कुमार दास, सुगत के पिता

"ए 2 दूध मां के दूध के समान प्राकृतिक संतुलित आहार है. इसके उपयोग से डायबिटीज और हृदय रोग के अलावा कई बीमारियों में फायदा होता है. यह दूध कोलेस्ट्रॉल पर नियंत्रण करता है. हार्ट ब्लॉकेज रोकता है. ऑर्गेनिक दूध और फल-सब्जियों का प्रयोग कर लोग स्वस्थ रह सकते हैं."- डॉ. एनके लाल, प्रभारी चिकित्सक, केवटी सीएचसी

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