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Darbhanga News: डीएमसीएच में बच्ची की मौत पर परिजनों का हंगामा, इलाज में लापरवाही का आरोप - दरभंगा के डीएमसीएच में बच्ची की मौत

दरभंगा के डीएमसीएच में बच्ची की मौत पर परिजनों ने आरोप लगाया है कि वो अपने नवजात बच्ची को लेकर इलाज करवाने के लिए शिशु रोग विभाग आये. जहां डॉक्टरों की लापरवाही के करण बच्ची ने एम्बुलेंस में ही अपना दम तोड़ दिया. आगे पढ़ें पूरी खबर...

डीएमसीएच में बच्ची की मौत
डीएमसीएच में बच्ची की मौत
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Published : Jul 19, 2023, 2:19 PM IST

दरभंगा: बिहार के दरभंगा में डीएमसीएच के शिशु रोग विभाग में एक बार फिर लापरवाही का मामला सामने आया है. बहादुरपुर थाना क्षेत्र के गंगापटी निवासी अपनी पत्नी के साथ एक महीने की नवजात बच्ची का इलाज कराने निजी एम्बुलेंस डीएमसीएच के शिशु रोग विभाग आए. जहां शिशु रोग विभाग में उपस्थित डॉक्टरों और कर्मियों से इलाज करने के लिए काफी आग्रह किया गया. वहां मौजूद कर्मी ने कभी ऑक्सीजन की कमी तो कभी शिशु विभाग में बेड नहीं होने का बहाना बनाया. इस दौरान बच्ची की हालत बिगड़ती चली गई और उसकी मौत हो गई. मौत के बाद आक्रोशित परिजनों ने जजमकर हंगामा किया.

पढ़ें-Darbhanga Crime: DMCH से गायब डेढ़ साल के मासूम को पुलिस ने खोज निकाला, CCTV से खुला भेद

बच्ची को वेंटिलेटर युक्त निजी एम्बुलेंस लाए परिजन: वहीं मृत बच्ची के पिता धनंजय गुप्ता ने बताया कि वो काफी पैसा खर्च कर अपनी बच्ची को वेंटिलेटर युक्त निजी एम्बुलेंस से ऑक्सीजन लगाकर डीएमसीएच लाए थे. काउंटर से पर्ची भी कटा ली थी लेकिन वहां पर मौजद कर्मी और डॉक्टर बच्ची को देखने के लिए तैयार नहीं थे. इस बीच बच्ची ने इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया. वहीं उन्होंने डॉक्टरों पर आरोप लगाते हुए कहा कि अगर इलाज सही समय से हो गया होता तो बच्ची की जान बच सकती थी.

"मैं अपनी बच्ची को वेंटिलेटर युक्त निजी एम्बुलेंस से ऑक्सीजन लगाकर लाया था. जिसके बाद अस्पताल में पर्ची कटाने के बाद वहां के कर्मी कभी ऑक्सीजन की कमी बताते तो कभी शिशु विभाग में बेड खाली नहीं रहने का बहाना बना कर टाल मटोल करते रहे. उनकी लापरवाही की वजह से मेरी बेटी की मौत हो गई."- धनंजय गुप्ता, बच्ची के पिता

अस्पताल प्रशासन ने आरोप को बताया बेबुनियाद: वहीं शिशु रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अशोक कुमार ने कहा कि परिजनों का सारा आरोप बेबुनियाद है. बच्ची को काफी गंभीर अवस्था में किसी निजी क्लिनिक से रेफर कराकर लाया गया था. बच्ची एम्बुलेंस में ही वेंटिलेटर पर थी. चिकित्सक ने एम्बुलेंस में ही जाकर जांच किया उसकी सांस हल्की-हल्की चल रही थी. वेंटिलेटर से हटाते ही उसकी जान जा सकती थी. इस कारण एम्बुलेंस में ही इलाज शुरू कर उसे स्टेबल करने की कोशिश की गई लेकिन उसे नहीं बचाया जा सका.

"बच्ची के परिजनों का आरोप बेबुनियाद है. उसे एम्बुलेंस में गंभीर हालत में लाया गया था. इससे पहले उसे किसी निजी अस्पताल से रेफर किया गया था. वेंटिलेटर से हटाते ही उसकी मौत हो जाती इसलिए डॉक्टरों ने एम्बुलेंस में ही इलाज शुरू कर उसे स्टेबल करने की कोशिश की थी."-डॉ अशोक कुमार, विभागाध्यक्ष, डीएमसीएच

दरभंगा: बिहार के दरभंगा में डीएमसीएच के शिशु रोग विभाग में एक बार फिर लापरवाही का मामला सामने आया है. बहादुरपुर थाना क्षेत्र के गंगापटी निवासी अपनी पत्नी के साथ एक महीने की नवजात बच्ची का इलाज कराने निजी एम्बुलेंस डीएमसीएच के शिशु रोग विभाग आए. जहां शिशु रोग विभाग में उपस्थित डॉक्टरों और कर्मियों से इलाज करने के लिए काफी आग्रह किया गया. वहां मौजूद कर्मी ने कभी ऑक्सीजन की कमी तो कभी शिशु विभाग में बेड नहीं होने का बहाना बनाया. इस दौरान बच्ची की हालत बिगड़ती चली गई और उसकी मौत हो गई. मौत के बाद आक्रोशित परिजनों ने जजमकर हंगामा किया.

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बच्ची को वेंटिलेटर युक्त निजी एम्बुलेंस लाए परिजन: वहीं मृत बच्ची के पिता धनंजय गुप्ता ने बताया कि वो काफी पैसा खर्च कर अपनी बच्ची को वेंटिलेटर युक्त निजी एम्बुलेंस से ऑक्सीजन लगाकर डीएमसीएच लाए थे. काउंटर से पर्ची भी कटा ली थी लेकिन वहां पर मौजद कर्मी और डॉक्टर बच्ची को देखने के लिए तैयार नहीं थे. इस बीच बच्ची ने इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया. वहीं उन्होंने डॉक्टरों पर आरोप लगाते हुए कहा कि अगर इलाज सही समय से हो गया होता तो बच्ची की जान बच सकती थी.

"मैं अपनी बच्ची को वेंटिलेटर युक्त निजी एम्बुलेंस से ऑक्सीजन लगाकर लाया था. जिसके बाद अस्पताल में पर्ची कटाने के बाद वहां के कर्मी कभी ऑक्सीजन की कमी बताते तो कभी शिशु विभाग में बेड खाली नहीं रहने का बहाना बना कर टाल मटोल करते रहे. उनकी लापरवाही की वजह से मेरी बेटी की मौत हो गई."- धनंजय गुप्ता, बच्ची के पिता

अस्पताल प्रशासन ने आरोप को बताया बेबुनियाद: वहीं शिशु रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अशोक कुमार ने कहा कि परिजनों का सारा आरोप बेबुनियाद है. बच्ची को काफी गंभीर अवस्था में किसी निजी क्लिनिक से रेफर कराकर लाया गया था. बच्ची एम्बुलेंस में ही वेंटिलेटर पर थी. चिकित्सक ने एम्बुलेंस में ही जाकर जांच किया उसकी सांस हल्की-हल्की चल रही थी. वेंटिलेटर से हटाते ही उसकी जान जा सकती थी. इस कारण एम्बुलेंस में ही इलाज शुरू कर उसे स्टेबल करने की कोशिश की गई लेकिन उसे नहीं बचाया जा सका.

"बच्ची के परिजनों का आरोप बेबुनियाद है. उसे एम्बुलेंस में गंभीर हालत में लाया गया था. इससे पहले उसे किसी निजी अस्पताल से रेफर किया गया था. वेंटिलेटर से हटाते ही उसकी मौत हो जाती इसलिए डॉक्टरों ने एम्बुलेंस में ही इलाज शुरू कर उसे स्टेबल करने की कोशिश की थी."-डॉ अशोक कुमार, विभागाध्यक्ष, डीएमसीएच

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