दरभंगा: एनएमसी बिल को लेकर पूरे देश के डॉक्टर लगातार विरोध कर रहे हैं. इसी कड़ी में जिले के इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष बीबी शाही ने आईएमए भवन में प्रेस वार्ता कर कहा कि नेशनल कमीशन बिल के खिलाफ 8 अगस्त को देश के सभी सरकारी और प्राइवेट अस्पताल की सभी ओपीडी और इमरजेंसी सेवाएं बंद रहेंगी.
कई संस्थाओं का समर्थन प्राप्त
सरकार जो बिल ला रही है वह बिल डॉक्टर और मरीजों के हितों में नहीं है. उनहोनें कहा कि इस बिल के खिलाफ पिछले दो सालों से शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं, ताकि इस बिल में सुधार हो सके. वो लोग इस बिल में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत कर, लोगों को अच्छी गुणवत्ता की सेवाएं दी जाने की मांग कर रहे है. उनका आरोप है कि सरकार झोलाछाप डॉक्टरों को इलाज करने का लाइसेंस देकर अपनी जिम्मेदारी से पिछा छुड़ाना चाहती है. उन्होंने कहा कि इस प्रकार की बंदी बहुत दिनों के बाद यहां हो रही है. इस बंदी में भाषा, जेडीए, पेन इंडिया, पेन हेल्थ सेक्टर, ड्रग्स एसोसिएशन सहित कई संस्थाओं का समर्थन प्राप्त है.
बिल में गलत क्लॉज बदलने की मांग
यह हड़ताल 8 अगस्त के सुबह के 6 बजे से शुरू होकर 9 अगस्त के सुबह 6 बजे तक के लिए होगी. इस दौरान सरकारी और प्राइवेट हॉस्पिटल के ओपीडी, इंडोर और इमरजेंसी सहित सभी सेवाएं बंद रहेंगी. वही उन्होंने कहा कि इस बंद की जानकारी IMA दरभंगा के द्वारा यहां के जिलाधिकारी, अस्पताल के प्राचार्य, अधीक्षक सहित सिविल सर्जन को दे दी गई. ताकि उस दिन के लिए अल्टरनेटिव इमरजेंसी का व्यवस्था कर ली जाए, नही तो मरीजों को मुश्किल हो जायेगी. उन्होंने कहा कि सरकार से उनकी यही मांग है कि इस बिल में जो गलत क्लॉज हैं उसको बदल दिया जाए. फिर वे लोग हड़ताल वापस ले लेंगे.
1975 में हो चुकी है इस तरह की हड़ताल
IMA अध्यक्ष ने कहा कि इस प्रकार की हड़ताल इससे पहले 1975 ई. में हुई थी. उस समय भी देश भर में इमरजेंसी और आउटडोर सेवा बाधित थी. जो 21 दिनों तक चली थी. संयोग ऐसा था कि उसी दौरान रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र समस्तीपुर रेलवे स्टेशन पर बम ब्लास्ट में घायल हो गए. उस बम ब्लास्ट में ललित नारायण मिश्र को छोड़कर जितने भी घायल थे सभी को इलाज के लिए दरभंगा लाया गया था.डॉ नवाब के आवास पर अतिरिक्त व्यवस्था कर के एक इमरजेंसी चालू कर सभी का इलाज किया गया. ललित नारायण मिश्र रेल मंत्री थे तो उन्हें बेहतर इलाज के लिए पीएमसीएच पटना ले जाया गया. दुर्भाग्यवश उन्हें बचाया नहीं जा सका.