दरभंगा: जब से नागरिकता संशोधन कानून लागू किया गया है, तब से अलग-अलग जगहों पर इसके विरोध में प्रदर्शन जारी है. खासकर मुस्लिम समाज के लोगों में इसको लेकर नाराजगी है. उनमें इस बात को लेकर डर भी है कि आने वाले वक्त में एनआरसी के जरिए उनसे नागरिकता प्रमाणित करने को कहा जा सकता है. हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ कर दिया है फिलहाल एनआरसी को लेकर कोई प्रस्ताव नहीं है, लेकिन इन सबके बीच दरभंगा में इन कानूनों के खौफ का आलम यह है कि लोगों में नागरिकता प्रमाणित करने वाले दस्तावेज बनवाने की भी होड़ लगी है. लोग जन्म प्रमाण-पत्र, वंशावली और जमीन के पुराने दस्तावेज निकलवाने के लिए सरकारी दफ्तरों में पहुंच रहे हैं.
सरकारी दफ्तरों का चक्कर काट रहे अल्पसंख्यक
सिंहवाड़ा से जमीन के कागजात निकलवाने आए अब्दुल मन्नान का कहना है कि उनके पास जमीन के नाम पर बस एक घरारी है. उसका भी कोई दस्तावेज नहीं है. इसलिए वह सरकारी दफ्तरों का चक्कर काट रहे हैं. उनका कहना है कि भले ही पीएम उन लोगों से नहीं घबराने की अपील कर रहे हैं. लेकिन मन में डर बैठ गया है. इसलिए वे नागरिकता साबित करने का दस्तावेज बनवाकर निश्चिंत हो जाना चाहते हैं. साथ ही कहा कि कोई भी दस्तावेज बनवाने में 500 से 4000 तक रुपये लग रहे हैं. ऐसे में लोग कर्ज लेकर, मजदूरी कर, गहने गिरवी रखकर दस्तावेज के लिए चक्कर लगा रहे हैं.
'सीएए को लेकर विपक्ष फैला रहा भ्रम'
समाहरणालय के कर्मचारी विजयकांत ठाकुर ने कहा कि जन्म प्रमाण पत्र, वंशावली और जमीन के कागजात निकालने के लिए उनके यहां शपथ पत्र बनाया जाता है. इन दिनों ऐसे शपथ पत्र बनवाने वालों की संख्या में चार गुना बढ़ोतरी हुई है. इनमें 90 फीसदी अल्पसंख्यक समुदाय के लोग हैं. 40-50 साल के अल्पसंख्यक भी अब जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के लिए यहां आ रहे हैं. वहीं, बीजेपी विधायक संजय सरावगी कहते हैं कि विपक्ष नागरिकता संशोधन कानून को लेकर भ्रम फैला रहा है. अल्पसंख्यकों को इससे डरने की जरूरत नहीं है. सीएए और नागरिकता छीनने का कानून नहीं है बल्कि नागरिकता देने का कानून है. उन्होंने अल्पसंख्यकों से किसी के बहकावे में नहीं आने की अपील की है.