दरभंगा: 10 अक्टूबर से बिहार में लागू नये जमाबंदी कानून की वजह से लोगों की मुसीबत बढ़ गयी है. इस कानून के अनुसार अब जमीन वही बेच सकेगा जिसके नाम पर जमीन की जमाबंदी है. साथ ही पैतृक संपत्ति के बंटवारे के बिना कोई भी किसी को जमीन नहीं बेच सकता है. ऐसे में जमीन की खरीद- बिक्री में लोगों को काफी परेशानी हो रही है.
इस कानून की वजह से जमीन खरीद-बिक्री तकरीबन बंद है. रजिस्ट्री कार्यालयों में सन्नाटा पसरा है. आकड़ों के अनुसार जिला निबंधन कार्यालय दरभंगा में 9 से लेकर 12 अक्टूबर के बीच महज 5 रजिस्ट्री हुई है. नये कानून लागू होने से पहले यह आंकड़ा हर दिन 70-75 का रहा है.
जमाबंदी होने के बावजूद भी नहीं हो रही जमीन की रजिस्ट्री
जमीन बेचने आये लोगों का कहना है कि उन्होंने काफी मशक्कत के बाद जमीन का दाखिल खारिज कराकर जमाबंदी अपने नाम करवाई थी. लेकिन कर्मचारी ने उसमें खाता-खसरा नंबर नहीं डाला. इस वजह से जमाबंदी होने के बावजूद भी रजिस्ट्री नहीं हो रही है.
जमाबंदी कानून लागू होने से लोगों की बढ़ी परेशानी
जमीन खरीदने आये लोगों ने इस कानून को सरकार का तुगलकी फरमान बताया. लोगों का कहना है कि इस कानून में बदलाव को सरकार ने आनन-फानन में लागू कर दिया है. इस वजह से आम लोगों की परेशानी काफी बढ़ गई है. आम लोगों की सरकार से मांग है कि जमाबंदी कायम कराने के लिए कुछ समय दिया जाए. तब तक पुराने तरीके से जमीन की रजिस्ट्री बहाल की जाए.
क्या कहते हैं निबंधन कार्यालय के रजिस्ट्रार
वहीं, जिला निबंधन कार्यालय के रजिस्ट्रार मुनींद्र झा ने कहा कि यह कानून ऐतिहासिक है. इससे प्रदेश में जमीन विवाद के मामलों में कमी आएगी और शांति का माहौल बनेगा. उन्होंने कहा कि अगर जमाबंदी विक्रेता के नाम से होगी तभी वह जमीन बेच सकता है. पैतृक संपत्ति के मामलों में उन्होंने कहा कि सभी पक्षों को सीओ के पास जाकर बंटवारे की प्रक्रिया पूरी करनी होगी तभी जमाबंदी उनके नाम से होगी.