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दरभंगा: नये जमाबंदी कानून ने बढ़ाई लोगों की मुसीबत, जमीन की खरीद-बिक्री में आई कमी - निबंधन कार्यालय के रजिस्ट्रार

नये जमाबंदी कानून लागू होने के बाद लोगों की परेशानी बढ़ गई है. लोगों का कहना है कि इस कानून में बदलाव को सरकार में आनन-फानन में लागू कर दिया है. सरकार से इनकी मांग है कि जमाबंदी कायम कराने के लिए कुछ समय दिया जाए. तब तक पुराने तरीके से जमीन की रजिस्ट्री बहाल की जाए.

जमाबंदी कानून ने बढ़ाई लोगों की मुसीबत
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Published : Oct 14, 2019, 3:01 PM IST

दरभंगा: 10 अक्टूबर से बिहार में लागू नये जमाबंदी कानून की वजह से लोगों की मुसीबत बढ़ गयी है. इस कानून के अनुसार अब जमीन वही बेच सकेगा जिसके नाम पर जमीन की जमाबंदी है. साथ ही पैतृक संपत्ति के बंटवारे के बिना कोई भी किसी को जमीन नहीं बेच सकता है. ऐसे में जमीन की खरीद- बिक्री में लोगों को काफी परेशानी हो रही है.

इस कानून की वजह से जमीन खरीद-बिक्री तकरीबन बंद है. रजिस्ट्री कार्यालयों में सन्नाटा पसरा है. आकड़ों के अनुसार जिला निबंधन कार्यालय दरभंगा में 9 से लेकर 12 अक्टूबर के बीच महज 5 रजिस्ट्री हुई है. नये कानून लागू होने से पहले यह आंकड़ा हर दिन 70-75 का रहा है.

darbhanga
जमीन की खरीद-बिक्री में आई कमी

जमाबंदी होने के बावजूद भी नहीं हो रही जमीन की रजिस्ट्री
जमीन बेचने आये लोगों का कहना है कि उन्होंने काफी मशक्कत के बाद जमीन का दाखिल खारिज कराकर जमाबंदी अपने नाम करवाई थी. लेकिन कर्मचारी ने उसमें खाता-खसरा नंबर नहीं डाला. इस वजह से जमाबंदी होने के बावजूद भी रजिस्ट्री नहीं हो रही है.

जमाबंदी कानून लागू होने से लोगों की बढ़ी परेशानी
जमीन खरीदने आये लोगों ने इस कानून को सरकार का तुगलकी फरमान बताया. लोगों का कहना है कि इस कानून में बदलाव को सरकार ने आनन-फानन में लागू कर दिया है. इस वजह से आम लोगों की परेशानी काफी बढ़ गई है. आम लोगों की सरकार से मांग है कि जमाबंदी कायम कराने के लिए कुछ समय दिया जाए. तब तक पुराने तरीके से जमीन की रजिस्ट्री बहाल की जाए.

पेश है रिपोर्ट

क्या कहते हैं निबंधन कार्यालय के रजिस्ट्रार
वहीं, जिला निबंधन कार्यालय के रजिस्ट्रार मुनींद्र झा ने कहा कि यह कानून ऐतिहासिक है. इससे प्रदेश में जमीन विवाद के मामलों में कमी आएगी और शांति का माहौल बनेगा. उन्होंने कहा कि अगर जमाबंदी विक्रेता के नाम से होगी तभी वह जमीन बेच सकता है. पैतृक संपत्ति के मामलों में उन्होंने कहा कि सभी पक्षों को सीओ के पास जाकर बंटवारे की प्रक्रिया पूरी करनी होगी तभी जमाबंदी उनके नाम से होगी.

दरभंगा: 10 अक्टूबर से बिहार में लागू नये जमाबंदी कानून की वजह से लोगों की मुसीबत बढ़ गयी है. इस कानून के अनुसार अब जमीन वही बेच सकेगा जिसके नाम पर जमीन की जमाबंदी है. साथ ही पैतृक संपत्ति के बंटवारे के बिना कोई भी किसी को जमीन नहीं बेच सकता है. ऐसे में जमीन की खरीद- बिक्री में लोगों को काफी परेशानी हो रही है.

इस कानून की वजह से जमीन खरीद-बिक्री तकरीबन बंद है. रजिस्ट्री कार्यालयों में सन्नाटा पसरा है. आकड़ों के अनुसार जिला निबंधन कार्यालय दरभंगा में 9 से लेकर 12 अक्टूबर के बीच महज 5 रजिस्ट्री हुई है. नये कानून लागू होने से पहले यह आंकड़ा हर दिन 70-75 का रहा है.

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जमीन की खरीद-बिक्री में आई कमी

जमाबंदी होने के बावजूद भी नहीं हो रही जमीन की रजिस्ट्री
जमीन बेचने आये लोगों का कहना है कि उन्होंने काफी मशक्कत के बाद जमीन का दाखिल खारिज कराकर जमाबंदी अपने नाम करवाई थी. लेकिन कर्मचारी ने उसमें खाता-खसरा नंबर नहीं डाला. इस वजह से जमाबंदी होने के बावजूद भी रजिस्ट्री नहीं हो रही है.

जमाबंदी कानून लागू होने से लोगों की बढ़ी परेशानी
जमीन खरीदने आये लोगों ने इस कानून को सरकार का तुगलकी फरमान बताया. लोगों का कहना है कि इस कानून में बदलाव को सरकार ने आनन-फानन में लागू कर दिया है. इस वजह से आम लोगों की परेशानी काफी बढ़ गई है. आम लोगों की सरकार से मांग है कि जमाबंदी कायम कराने के लिए कुछ समय दिया जाए. तब तक पुराने तरीके से जमीन की रजिस्ट्री बहाल की जाए.

पेश है रिपोर्ट

क्या कहते हैं निबंधन कार्यालय के रजिस्ट्रार
वहीं, जिला निबंधन कार्यालय के रजिस्ट्रार मुनींद्र झा ने कहा कि यह कानून ऐतिहासिक है. इससे प्रदेश में जमीन विवाद के मामलों में कमी आएगी और शांति का माहौल बनेगा. उन्होंने कहा कि अगर जमाबंदी विक्रेता के नाम से होगी तभी वह जमीन बेच सकता है. पैतृक संपत्ति के मामलों में उन्होंने कहा कि सभी पक्षों को सीओ के पास जाकर बंटवारे की प्रक्रिया पूरी करनी होगी तभी जमाबंदी उनके नाम से होगी.

Intro:दरभंगा। 10 अक्टूबर से बिहार में लागू नये जमाबंदी कानून की वजह से राज्य के लोगों की मुसीबत बढ़ गयी है। इस कानून के अनुसार अब जमीन वही व्यक्ति बेच सकेगा जिसके नाम पर ज़मीन की जमाबंदी है। साथ ही पैतृक संपत्ति के बंटवारे के बिना उसे किसी को बेचा नहीं जा सकेगा। दिक्कत ये भी है कि पैतृक ज़मीन अब तक बाप-दादाओं के नाम पर ही हैं। इस कानून की वजह से ज़मीन खरीद-बिक्री तकरीबन बंद है। इसने 2016 के नोटबन्दी कानून से भी बुरी स्थिति ला दी है। इसकी वजह से रजिस्ट्री कार्यालयों में एकबारगी सन्नाटा पसर गया है। जिला निबंधन कार्यालय दरभंगा में 9 से लेकर 12 अक्टूबर के बीच महज 5 रजिस्ट्री हुई है। यहां नया कानून लागू होने के पहले का आंकड़ा हर दिन 70-75 रजिस्ट्री का रहा है। ई टीवी भारत संवाददाता ने स्थिति का जायजा लिया और लोगों की परेशानी जानने की कोशिश की।


Body:ज़मीन बेचने आये ब्रजेश कुमार ठाकुर ने कहा कि उन्होंने काफी मशक्कत के बाद ज़मीन का दाखिल-खारिज करवा कर ज़मीन की जमाबंदी अपने नाम करवाई थी, लेकिन कर्मचारी ने उसमे खाता-खेसरा नंबर नहीं डाला। इस वजह से जमाबंदी होने के बावजूद रजिस्ट्री नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने बिना व्यवस्था को ठीक किये नया कानून लागू कर दिया है। इसकी वजह से बहुत परेशानी हो गयी है।

वहीं, मो. एहसानुल हक़ ने कहा कि उनकी बेटी की शादी है। ज़मीन बिके बिना उन्हें पैसे नहीं मिलेंगे। सरकार ने आम लोगों को जागरूक किये बिना ये कानून लागू कर दिया है। वो पुणे में रहते हैं। पिछले छह महीनों से दरभंगा में बैठे हैं। ज़मीन का दाखिल-खारिज़ करवाने के लिए राजस्व कर्मचारी का चक्कर लगा रहे हैं लेकिन नहीं हो रहा है।

वहीं, ज़मीन खरीदने आये सुबोध नारायण पाठक ने इस कानून को सरकार का तुगलकी फरमान बताया। उन्होंने कहा कि ये नोटबन्दी से भी बुरी स्थिति है। उसमें तो लोगों को नोट बदलने का समय मिला था लेकिन इस कानून में बदलाव को सरकार में आनन-फानन में लागू कर दिया है। लोगों को समय रहते बताया ही नहीं गया। इसकी वजह से आम लोगों को बहुत परेशानी हो रही है।

वहीं, कातिब शिवेंद्र कुमार लाल ने कहा कि नए कानून से रजिस्ट्री का आंकड़ा गिर गया है। उन लोगों के सामने बेरोजगारी की स्थिति तो है ही, आम लोग भी मुसीबत में पड़ गए हैं। वे सरकार से मांग करेंगे कि लोगों को जमाबंदी कायम करवाने के लिए कुछ समय दिया जाए। तब तक पुराने तरीके से ज़मीन की रजिस्ट्री बहाल की जाए।

वहीं, जिला निबंधन कार्यालय के रजिस्ट्रार मुनींद्र झा ने कहा कि यह कानून ऐतिहासिक है। इससे प्रदेश में जमीन विवाद के मामलों में कमी होगी। शांति का माहौल बनेगा। उन्होंने कहा कि अब जमाबंदी विक्रेता के नाम से होगी तभी वह ज़मीन बेच सकता है। पैतृक संपत्ति के मामलों में उन्होंने कहा कि सभी पक्षों को सीओ के पास जाकर बटवारे की प्रक्रिया पूरी करनी होगी तभी जमाबंदी उनके नाम से होगी।


Conclusion:बता दें कि बिहार में राजस्व कर्मियों की भारी कमी है। एक-एक राजस्व कर्मचारी के पास 5-7 पंचायतों का प्रभार है। अंचल कार्यालयों में भी कर्मी बहुत कम है। अमीनों की भी कमी है। ऐसे में ज़मीन की रसीद कटवाने से लेकर दाखिल-खारिज़ तक के लिए लोगों को महीनों और सालों चक्कर लगाने पड़ते हैं। इसके अलावा लोगों की आम शिकायत होती है कि बिना रिश्वत लिए कोई काम नहीं होता। लोगों का कहना है कि सरकार को जमाबंदी कानून में बदलाव के पहले व्यवस्था को दुरुस्त करना चाहिए था।


बाइट 1- ब्रजेश कुमार ठाकुर, स्थानीय
बाइट 2- मो. एहसानुल हक, स्थानीय
बाइट 3- सुबोध नारायण पाठक, स्थानीय
बाइट 4- शिवेंद्र कुमार लाल, कातिब
बाइट 5- मुनींद्र झा, रजिस्ट्रार, जिला निबंधन कार्यालय, दरभंगा


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विजय कुमार श्रीवास्तव
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