दरभंगा: शौचालय आवंटन घोटाला (Toilet Allotment Scam Case) में दोषी पाए जाने पर नगर विकास विभाग ने दरभंगा नगर निगम (Darbhanga Municipal Corporation) के मेयर, डिप्टी मेयर और सशक्त स्थायी समिति के सात पार्षदों को पदमुक्त कर दिया गया था. उसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने जिला प्रशासन को 12 जनवरी को नए महापौर और उपमहापौर का चुनाव कराने का निर्देश दिया था. उसी निर्देश के आलोक में समाहरणालय स्थित अंबेडकर सभागार में महापौर का चुनाव संपन्न हुआ. जिसमें राजद समर्थित उम्मीदवार मुन्नी देवी मेयर और बीजेपी समर्थित उम्मीदवार भरत कुमार सहनी (Bharat Kumar Sahni became Darbhanga deputy mayor ) उप मेयर चुने गए हैं.
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मेयर पद की उम्मीदवार मुन्नी देवी ने अपने नजदीकी प्रतिद्वंदी पूजा मंडल को 4 वोट से हराकर मेयर के सीट पर कब्जा कर लिया है. 38 पार्षद के मतदान में मुन्नी देवी को 21 मत और पूजा मंडल को मिले 17 मत मिले. वहीं जीत के बाद मुन्नी देवी ने कहा कि, मैं दरभंगा नगर निगम विकास के लिए सदैव तत्पर रहूंगी औरा जो भी जिम्मेदारी सरकार के द्वारा मुझे दी जाएगी, उसे ईमानदारी और लगन के साथ संपन्न करूंगी.
वहीं दरभंगा नगर निगम के नए उप मेयर भाजपा समर्थित उम्मीदवार भरत कुमार सहनी बने हैं. उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी जीतन खातून को 21 मतों से पराजित किया है. 37 पार्षद के मतदान में भरत कुमार सहनी को 29 मत और जीनत खातून को 8 मत मिले. यह पहला मौका है जब केवल 4 महीने के बचे कार्यकाल के लिए मेयर व डिप्टी मेयर का चुनाव हुआ है.
दरअसल महापौर और उपमहापौर पद के लिए हुए वोट में दरभंगा नगर निगम के 48 में से केवल 40 पार्षद को ही वोट देने का अधिकार है. सात सदस्यों की सदस्यता पूर्व में ही नगर आवास एवं विकास विभाग ने रद्द कर दी है. जबकि वार्ड संख्या 3 की पार्षद का कुछ महीने पूर्व ही निधन हो जाने से सीट खाली है.
बताते चले कि, 8 दिसंबर 2021 को बिहार सरकार के नगर विकास विभाग ने कार्रवाई करते हुए दरभंगा नगर निगम की महापौर बैजयंती देवी खेड़िया, उप महापौर बदरुज्जमा खान और सशक्त स्थायी समिति के 7 पार्षदों को पदमुक्त कर दिया था. इन सभी पर शौचालय आवंटन मामले में गैरकानूनी ढंग से 27 लाख से ज्यादा की राशि में छूट देने का आरोप था. इन सभी से 15 दिनों के भीतर 27 लाख रुपये की वसूली का भी निर्देश जारी किया गया था.
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इसको लेकर वार्ड पार्षद मधुबाला सिन्हा समेत कई लोगों ने 25 जुलाई 2018 को दरभंगा कमिश्नर को लिखित शिकायत दी थी. कमिश्नर ने अपनी जांच में सभी आरोपों की पुष्टि की और इन सभी को दोषी पाया. कमिश्नर की रिपोर्ट के बाद नगर विकास विभाग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए इन सभी को पदमुक्त कर दिया था. हालांकि इस निर्णय के विरोध में सभी ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है.
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