दरभंगा: अपने बीमार पिता को साइकिल पर बिठाकर गुरुग्राम से दरभंगा करीब 1300 किमी का सफर तय कर गांव लाने वाली 13 साल की बच्ची ज्योति की प्रशंसा हर जगह हो रही है. इसी कड़ी में स्वयंसेवी संस्था डॉ. प्रभात दास फाउंडेशन की ओर से मंगलवार को ज्योति को 'मिथिला वीरांगना सम्मान' प्रदान किया गया. इसके तहत ज्योति को प्रशस्ति पत्र, मोमेंटो और प्रोत्साहन राशि दी गई. सम्मान पाकर ज्योति के साथ उसके परिजन भी बेहद खुश दिखें.
डॉ. प्रभात दास फाउंडेशन के सचिव मुकेश कुमार झा ने कहा कि ज्योति ने मिथिला की महिलाओं की जोवटता को राष्ट्रीय क्षितिज पर फिर से स्थापित किया है. डॉ. प्रभात दास फाउंडेशन इसके जज्बे को सलाम करता है. उन्होंने कहा कि ज्योति जिस तरह से अपने बीमार और घायल पिता को साइकिल पर बिठाकर गुरुग्राम से अपने गांव तक लाई, उससे उसकी दिलेरी का पता चलता है. ग्रामीण क्षेत्र की लड़कियों को इससे सीख लेनी चाहिए. सचिव मुकेश ने कहा कि इस दिलेर बच्ची की संस्था की ओर से समय-समय पर हर संभव मदद की जाएगी और गरीबी को इसकी प्रगति के मार्ग में बाधक नहीं बनने दिया जाएगा.
13 साल की बेटी ने किया कमाल
बता दें कि सिंहवाड़ा ब्लॉक और कमतौल थाना क्षेत्र के सिरहुल्ली गांव निवासी मोहन पासवान की 13 साल की बेटी ज्योति लॉकडाउन की वजह से अपने पिता के साथ गुरुग्राम में फंस गई थी. उसके पिता वहां ऑटो चलाते थे. लेकिन एक एक्सीडेंट की वजह से उनका पांव गंभीर रूप से जख्मी हो गया था. ऐसी मुसीबत में उनके मकान मालिक ने उन्हें घर से निकाल दिया. ऐसे में उनके पास कोई चारा नहीं बचा था. खाने के लाले पड़ गए थे. ज्योति ने कोरोना राहत फंड से मिली राशि में से बचे 500 रुपये में एक पुरानी साइकिल खरीदी और अपने पिता को उस पर बिठाकर चल पड़ी. ज्योति ने सात दिनों में अपने पिता को गांव तक सकुशल पहुंचा दिया. ज्योति की इस बहादुरी और दिलेरी की खबर इन दिनों राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मीडिया की सुर्खीयां बनी हुई है.