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'आधुनिक व्यावसायिक शिक्षा' पर सेमिनार का आयोजन, कई विद्वान हुए शामिल

'आधुनिक व्यावसायिक शिक्षा के संदर्भ में भारतीय शिक्षा' विषय पर आयोजित कार्यक्रम में कई विद्वान शामिल हुए. उन्होंने कहा कि भारत में व्यवसायिक शिक्षा प्रणाली हज़ारों साल पुरानी है.

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Published : Jul 3, 2019, 11:27 AM IST

श्री जागेश्वर झा स्मृति व्याख्यान श्रृंखला इमेज

दरभंगा: ललित नारायण मिथिला विवि के संगीत-नाट्य विभाग में एक सेमिनार का आयोजन किया गया. जागेश्वर झा स्मृति व्याख्यान श्रृंखला के अंतर्गत 'आधुनिक व्यावसायिक शिक्षा के संदर्भ में भारतीय शिक्षा' विषय पर आयोजित कार्यक्रम में कई विद्वान शामिल हुए. इस दौरान इतिहासकार अवनींद्र झा ने कहा कि भारत में व्यवसायिक शिक्षा प्रणाली हजारों साल पुरानी है. इसका उल्लेख सम्राट अशोक और चंद्रगुप्त के काल में भी लिखित रूप से मिलता है.

प्राचीन भारत में व्यावसायिक शिक्षा का महत्व

अवनींद्र झा ने कहा कि प्राचीन भारत में व्यावसायिक शिक्षा का बहुत महत्व था. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि राजा के पुत्रों को धनुर्विद्या, दंड नीति, युद्ध नीति, सिक्के ढालने की कला और लेखा यानी अकाउंट समेत कई ज्ञान दिए जाते थे. इसी तरह सभी वर्णों के बच्चों को उनकी वृत्ति के अनुसार शिक्षा दी जाती थी. बाद में हम इस परंपरा को भूलते चले गये.

श्री जागेश्वर झा स्मृति व्याख्यान कार्यक्रम

'आधुनिक शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक शिक्षा पर बल दें'
व्याख्यान का उद्घाटन ललित नारायण मिथिला विवि के कुलपति प्रो. एसके सिंह ने किया. उन्होंने भारत की आधुनिक शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक शिक्षा के भरपूर समावेश पर बल दिया. कार्यक्रम में स्व.जागेश्वर झा के पुत्र अजय झा समेत कई गणमान्य मौजूद थे.

दरभंगा: ललित नारायण मिथिला विवि के संगीत-नाट्य विभाग में एक सेमिनार का आयोजन किया गया. जागेश्वर झा स्मृति व्याख्यान श्रृंखला के अंतर्गत 'आधुनिक व्यावसायिक शिक्षा के संदर्भ में भारतीय शिक्षा' विषय पर आयोजित कार्यक्रम में कई विद्वान शामिल हुए. इस दौरान इतिहासकार अवनींद्र झा ने कहा कि भारत में व्यवसायिक शिक्षा प्रणाली हजारों साल पुरानी है. इसका उल्लेख सम्राट अशोक और चंद्रगुप्त के काल में भी लिखित रूप से मिलता है.

प्राचीन भारत में व्यावसायिक शिक्षा का महत्व

अवनींद्र झा ने कहा कि प्राचीन भारत में व्यावसायिक शिक्षा का बहुत महत्व था. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि राजा के पुत्रों को धनुर्विद्या, दंड नीति, युद्ध नीति, सिक्के ढालने की कला और लेखा यानी अकाउंट समेत कई ज्ञान दिए जाते थे. इसी तरह सभी वर्णों के बच्चों को उनकी वृत्ति के अनुसार शिक्षा दी जाती थी. बाद में हम इस परंपरा को भूलते चले गये.

श्री जागेश्वर झा स्मृति व्याख्यान कार्यक्रम

'आधुनिक शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक शिक्षा पर बल दें'
व्याख्यान का उद्घाटन ललित नारायण मिथिला विवि के कुलपति प्रो. एसके सिंह ने किया. उन्होंने भारत की आधुनिक शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक शिक्षा के भरपूर समावेश पर बल दिया. कार्यक्रम में स्व.जागेश्वर झा के पुत्र अजय झा समेत कई गणमान्य मौजूद थे.

Intro:दरभंगा। भारत में व्यावसायिक शिक्षा प्रणाली हज़ारों साल पुरानी है। इसका उल्लेख सम्राट अशोक और चंद्रगुप्त के काल में लिखित रूप से मिलता है। ये कहना है इतिहासकार अवनींद्र झा का। वे मंगलवार की शाम श्री जागेश्वर झा स्मृति व्याख्यान श्रृंखला के अंतर्गत 'आधुनिक व्यावसायिक शिक्षा के संदर्भ में भारतीय शिक्षा' विषय पर बोल रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन ललित नारायण मिथिला विवि के संगीत-नाट्य विभाग में हुआ।


Body:अवनींद्र झा ने कहा कि प्राचीन भारत में व्यावसायिक शिक्षा का बहुत महत्व था। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि राजा के पुत्रों को धनुर्विद्या, दंड नीति, युद्ध नीति, सिक्के ढालने की कला और लेखा यानी एकाउंट समेत कई ज्ञान दिये जाते थे। इंसी तरह सभी वर्णों के बच्चों को उनकी वृत्ति के अनुसार शिक्षा दी जाती थी। बाद में हम इस परंपरा को भूलते चले गये।


Conclusion:व्याख्यान जा उद्घाटन ललित नारायण मिथिला विवि के कुलपति प्रो. एसके सिंह ने किया। उन्होंने भारत की आधुनिक शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक शिक्षा के भरपूर समावेश पर बल दिया। कार्यक्रम में स्व. जागेश्वर झा के पुत्र और अजय झा समेत कई गणमान्य लोग मौजूद थे।

बाइट 1- अवनींद्र झा, इतिहासकार

विजाग कुमार श्रीवास्तव
ई टीवी भारत
दरभंगा
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