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दरभंगा: भगवान भरोसे DMCH का आईडीएच भवन, कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा

डीएमसीएच के इंफेक्सेस डिजीज हॉस्पिटल का भवन इतना जर्जर हो चुका है कि अब इस भवन में मरीजों को रखना काफी खतरनाक है. इस भवन की बाहरी और भीतरी सूरत ही बताती है कि इसमें मरीजों को रखने की व्यवस्था क्या होगी.

डीएमसीएच के आईडीएच भवन का हाल है बदहाल
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Published : Aug 13, 2019, 10:18 AM IST

दरभंगा : उत्तर बिहार के सबसे बड़े अस्पताल डीएमसीएच के आईडीएच भवन की हालत इतनी जर्जर है कि किसी भी वक्त कोई बड़ा हादसा हो सकता है. तीस बेड के इस भवन की दीवारों पर दरारें पड़ गई हैं. छत का प्लास्टर गिर रहा है और बरसात के मौसम में कमरे की छत से पानी टपकता है. इस लचर व्यवस्था के कारण इलाजरत मरीज, परिजन और यहां पर कार्यरत कर्मियों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. आलम यह है कि इस भवन के अधिकांश दरवाजे और खिड़कियां टूट चुके हैं और शौचालय में वर्षों से एक बूंद पानी तक नहीं आया है. ऐसे में महज अनुमान लगाया जा सकता है कि यहां पर भर्ती मरीजों और उनके परिजनों को कितनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता होगा.

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डीएमसीएच क आईडीएच भवन


आवारा पशुओं का लगा रहता है जमावड़ा
दरअसल डीएमसीएच के इंफेक्सेस डिजीज हॉस्पिटल का भवन इतना जर्जर हो चुका है कि अब इस भवन में मरीजों को रखना काफी खतरनाक है. इस भवन की बाहरी और भीतरी सूरत ही बताती है कि इसमें मरीजों को रखने की व्यवस्था क्या होगी. चारों ओर आवारा पशुओं का जमावड़ा लगा रहता है और टूटी खिड़कियों से बदबू सीधे वार्ड में आती है. ऐसे में अंदाज लगाया जा सकता है कि यहां की सरकार और अस्पताल प्रशासन स्वास्थ्य व्यवस्था के प्रति कितनी जागरूक है. जबकि डीएमसीएच में ज्यादातर गरीब परिवार के लोग ही इलाज कराने के लिए आते हैं.

उत्तर बिहार के सबसे बड़े अस्पताल डीएमसीएच के आईडीएच भवन का हाल है बदहाल

क्या कहते हैं परिजन
अपने पिता का इलाज कराने आई सुलोचना देवी ने कहा कि जब से हम यहां आए हैं, हम लोगों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. शौचालय में ना तो सफाई है और ना ही पानी की व्यवस्था. जिसकी वजह से मरीज को काफी परेशानी होती है. वहीं उन्होंने कहा कि आसपास में ऐसी कोई व्यवस्था भी नहीं है कि हम लोग वहां जाकर अपना दैनिक कार्य कर सकें.

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परिजन

रात के समय नहीं रहते सुरक्षाकर्मी
वहीं, अपनी दादी का इलाज करवाने पहुंचे आलोक कुमार ने कहा कि यहां तो सिर्फ परेशानी ही परेशानी है. पूरा भवन जर्जर हो चुका है. ऐसा लगता है यह कभी भी गिर जायेगा. सबसे बड़ी बात यह है कि यहां पर पानी की व्यवस्था नहीं है और पीने का पानी लाने के लिए काफी दूर जाना पड़ता है. रात के समय यहां पर सुरक्षाकर्मी भी नहीं रहते हैं. जिसकी वजह से आवारा पशु वार्ड में घुस जाते हैं. चारों तरफ गंदगी का अंबार लगा हुआ है. अब तो हाल यह है कि मरीज के साथ रहते-रहते यही लगता है कि हम भी मरीज हो गए हैं.

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टूटी खिड़कियों से बदबू सीधे वार्ड में आती है.

पूरे छत से टपकता है पानी
आईडीएच वार्ड की नर्स लीला कहती हैं कि हम लोग अपनी जान को जोखिम में डालकर इस जर्जर भवन में काम करते हैं. कब हम लोगों के साथ क्या घटना घट जाएगी, कहा नहीं जा सकता है. जब बारिश होती है तब पूरे छत से पानी टपकने लगता है. जिसके कारण कमरे से लेकर पूरा बरामदा गीला हो जाता है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि लगातार बारिश होने पर तो मरीजों का बेड भी गिला हो जाता है. जिसकी वजह से मरीजों को भी कहीं आने-जाने में काफी कठिनाइयां होती है. इस संबंध में हम लोगों ने कई बार पत्राचार किया, लेकिन अब तक किसी प्रकार की सुनवाई नहीं हुई है.

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शौचालय में वर्षों से एक बूंद पानी तक नहीं आया.


क्या कहते हैं अधिकारी
इस संबंध में जब ईटीवी संवाददाता ने अस्पताल अधीक्षक डॉ राज रंजन प्रसाद से बात कि तो उन्होंने भी माना कि आईडीएच भवन पूरी तरह से जर्जर है. साथ ही उन्होंने कहा कि हर जगह से लीकेज है, छत भी टपकता है, खिड़की का शीशा टूटा हुआ है, दरवाजा सभी क्षतिग्रस्त है और वहां पानी भी लगा रहता है. उन्होंने कहा कि वहां की स्थिति इतनी खराब है कि इस भवन का अंदर का हिस्सा भूत बंगला जैसा नजर आता है. लेकिन जिस तरह के वहां के हालात हैं, वह बिल्कुल ठीक नहीं है. इसकी सूचना हर स्तर पर दे दी गई है. लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है.

दरभंगा : उत्तर बिहार के सबसे बड़े अस्पताल डीएमसीएच के आईडीएच भवन की हालत इतनी जर्जर है कि किसी भी वक्त कोई बड़ा हादसा हो सकता है. तीस बेड के इस भवन की दीवारों पर दरारें पड़ गई हैं. छत का प्लास्टर गिर रहा है और बरसात के मौसम में कमरे की छत से पानी टपकता है. इस लचर व्यवस्था के कारण इलाजरत मरीज, परिजन और यहां पर कार्यरत कर्मियों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. आलम यह है कि इस भवन के अधिकांश दरवाजे और खिड़कियां टूट चुके हैं और शौचालय में वर्षों से एक बूंद पानी तक नहीं आया है. ऐसे में महज अनुमान लगाया जा सकता है कि यहां पर भर्ती मरीजों और उनके परिजनों को कितनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता होगा.

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डीएमसीएच क आईडीएच भवन


आवारा पशुओं का लगा रहता है जमावड़ा
दरअसल डीएमसीएच के इंफेक्सेस डिजीज हॉस्पिटल का भवन इतना जर्जर हो चुका है कि अब इस भवन में मरीजों को रखना काफी खतरनाक है. इस भवन की बाहरी और भीतरी सूरत ही बताती है कि इसमें मरीजों को रखने की व्यवस्था क्या होगी. चारों ओर आवारा पशुओं का जमावड़ा लगा रहता है और टूटी खिड़कियों से बदबू सीधे वार्ड में आती है. ऐसे में अंदाज लगाया जा सकता है कि यहां की सरकार और अस्पताल प्रशासन स्वास्थ्य व्यवस्था के प्रति कितनी जागरूक है. जबकि डीएमसीएच में ज्यादातर गरीब परिवार के लोग ही इलाज कराने के लिए आते हैं.

उत्तर बिहार के सबसे बड़े अस्पताल डीएमसीएच के आईडीएच भवन का हाल है बदहाल

क्या कहते हैं परिजन
अपने पिता का इलाज कराने आई सुलोचना देवी ने कहा कि जब से हम यहां आए हैं, हम लोगों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. शौचालय में ना तो सफाई है और ना ही पानी की व्यवस्था. जिसकी वजह से मरीज को काफी परेशानी होती है. वहीं उन्होंने कहा कि आसपास में ऐसी कोई व्यवस्था भी नहीं है कि हम लोग वहां जाकर अपना दैनिक कार्य कर सकें.

DMCH news
परिजन

रात के समय नहीं रहते सुरक्षाकर्मी
वहीं, अपनी दादी का इलाज करवाने पहुंचे आलोक कुमार ने कहा कि यहां तो सिर्फ परेशानी ही परेशानी है. पूरा भवन जर्जर हो चुका है. ऐसा लगता है यह कभी भी गिर जायेगा. सबसे बड़ी बात यह है कि यहां पर पानी की व्यवस्था नहीं है और पीने का पानी लाने के लिए काफी दूर जाना पड़ता है. रात के समय यहां पर सुरक्षाकर्मी भी नहीं रहते हैं. जिसकी वजह से आवारा पशु वार्ड में घुस जाते हैं. चारों तरफ गंदगी का अंबार लगा हुआ है. अब तो हाल यह है कि मरीज के साथ रहते-रहते यही लगता है कि हम भी मरीज हो गए हैं.

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टूटी खिड़कियों से बदबू सीधे वार्ड में आती है.

पूरे छत से टपकता है पानी
आईडीएच वार्ड की नर्स लीला कहती हैं कि हम लोग अपनी जान को जोखिम में डालकर इस जर्जर भवन में काम करते हैं. कब हम लोगों के साथ क्या घटना घट जाएगी, कहा नहीं जा सकता है. जब बारिश होती है तब पूरे छत से पानी टपकने लगता है. जिसके कारण कमरे से लेकर पूरा बरामदा गीला हो जाता है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि लगातार बारिश होने पर तो मरीजों का बेड भी गिला हो जाता है. जिसकी वजह से मरीजों को भी कहीं आने-जाने में काफी कठिनाइयां होती है. इस संबंध में हम लोगों ने कई बार पत्राचार किया, लेकिन अब तक किसी प्रकार की सुनवाई नहीं हुई है.

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शौचालय में वर्षों से एक बूंद पानी तक नहीं आया.


क्या कहते हैं अधिकारी
इस संबंध में जब ईटीवी संवाददाता ने अस्पताल अधीक्षक डॉ राज रंजन प्रसाद से बात कि तो उन्होंने भी माना कि आईडीएच भवन पूरी तरह से जर्जर है. साथ ही उन्होंने कहा कि हर जगह से लीकेज है, छत भी टपकता है, खिड़की का शीशा टूटा हुआ है, दरवाजा सभी क्षतिग्रस्त है और वहां पानी भी लगा रहता है. उन्होंने कहा कि वहां की स्थिति इतनी खराब है कि इस भवन का अंदर का हिस्सा भूत बंगला जैसा नजर आता है. लेकिन जिस तरह के वहां के हालात हैं, वह बिल्कुल ठीक नहीं है. इसकी सूचना हर स्तर पर दे दी गई है. लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है.

Intro:उत्तर बिहार के सबसे बड़े अस्पताल डीएमसीएच का आईडीएच भवन की हालत इतनी जर्जर है कि किसी भी वक्त कोई बड़ी अनहोनी घट सकती है। तीस बेड के इस भवन की दीवारो पर दरारें पड़ गई है, छत का प्लास्टर गिर रहा है और बरसात के मौसम में कमरे की छत से पानी टपकता है। इस लचर व्यवस्था के कारण जहां पर इलाजरत मरीज, परिजन और यहां पर कार्यरत कर्मियों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। आलम यह है कि इस भवन में अधिकांश दरवाजे व खिड़कियां टूट चुके हैं और शौचालय में बरसों से एक बूंद पानी तक नहीं आया है। ऐसे में सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि यहां पर भर्ती मरीजों और उनके परिजनों को किन-किन प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता होगा।

दरअसल डीएमसीएच के इंफेक्सेस डिजीज हॉस्पिटल का भवन इतना जर्जर हो चुका है कि अब इस भवन में मरीजों के रखना काफी खतरनाक है। इस भवन की बाहरी और भीतरी सूरत ही बताती है कि इसमें मरीजों को रखने की व्यवस्था क्या होगी। चारों ओर आवारा पशुओं का जमावड़ा लगा रहता है और टूटी खिड़कियों से बदबू सीधे वार्ड में आती है। ऐसे में अंदाज लगाया जा सकता है कि यहां की सरकार और अस्पताल प्रशासन स्वास्थ्य व्यवस्था के प्रति कितनी जागरूक है। जबकि डीएमसीएच में ज्यादातर गरीब परिवार के लोग ही इलाज कराने के लिए आते हैं।


Body:वही अपने पिता का इलाज कराने आई सुलोचना देवी ने कहा कि जब से हम यहां आए हैं हम लोगों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। शौचालय में ना तो सफाई है और ना ही पानी की व्यवस्था, जिसके चलते मरीज को काफी परेशानी होता है। वहीं उन्होंने कहा कि आसपास में ऐसी कोई व्यवस्था भी नहीं है कि हम लोग वहां जाकर अपना दैनिक कार्य कर सकें। साथ ही उन्होंने बताया कि अस्पताल के तरफ से मरीज को बहुत कम ही दवा मिलता है, ज्यादातर दवा हमको बाजार से ही लाना पड़ता है।

वही अपनी दादी का इलाज करवाने पहुंचे आलोक कुमार ने कहा कि यहां तो सिर्फ परेशानी ही परेशानी है। पूरा भवन जर्जर हो चुका है, लगता है यह कभी भी गिर जायेगा। सबसे बड़ी बात यह है कि यहां पर पानी की व्यवस्था नहीं है और पीने के पानी लाने के लिए काफी दूर जाना पड़ता है। रात के समय यहां पर सुरक्षाकर्मी भी नहीं रहते हैं, जिसके चलते आवारा पशु वार्ड में घुस जाते हैं। शौचालय की स्थिति बदतर है कि मरीज को भी शौच कराने के लिए नीचे ले जाना पड़ता है। चारो तरफ गंदगी का अंबार लगा हुआ है, जिसका गंद सीधे वार्ड में आता है। अब तो हाल यह है कि मरीज के साथ रहते रहते यही लगता है कि हम भी मरीज हो गए हैं।


Conclusion:आईडीएच वार्ड की नर्स लीला कहती हैं कि हम लोग अपनी जान को जोखिम में डालकर इस जर्जर भवन में काम करते हैं। कब हम लोगों के साथ क्या घटना घटी आएगा कहा नहीं जा सकता है। जब वर्षा होता है तब पूरे छत से पानी टपकने लगता है। जिसके कारण कमरे से लेकर पूरा बरामदा गीला हो जाता है। वही उन्होंने कहा कि लगातार वर्षा होने पर तो मरीजो का बेड भी गिला हो जाता है और मरीजों को भी कहीं आने-जाने में काफी कठिनाइयां होती है। इस संबंध में हम लोगों ने कई बार पत्राचार किया, लेकिन अब तक किसी प्रकार की सुनवाई नहीं हुई है।

वही इस संबंध में जब हमने अस्पताल अधीक्षक डॉ राज रंजन प्रसाद से बात की तो उन्होंने भी माना कि आईडीएच भवन पूरी तरह से जर्जर है। साथ ही उन्होंने कहा कि हर जगह से लीकेज है, छत भी टपकता है, खिड़की का शीशा टूटा हुआ है, दरवाजा सभी क्षतिग्रस्त है और वहां पानी भी लगा रहता है। वही उन्होंने कहा कि वहां की स्थिति इतनी खराब है कि इस भवन का अंदर का हिस्सा भूत बंगला जैसा नजर आता है। वहीं उन्होंने कहा कि रात में जब मरीज लोग एडमिट होते हैं तो, कुछ लोग वहां रहते हैं। लेकिन जिस तरह के वहां के हालात हैं, वह बिल्कुल ठीक नहीं है। इसकी सूचना हर स्तर पर दे दी गई है।

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सुलोचना देवी, परिजन
आलोक कुमार, परिजन
लीला कुमारी, नर्स
डॉ राज रंजन प्रसाद, अस्पताल अधीक्षक
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