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डिजिटल होगी दरभंगा की लाइब्रेरी, पांडुलिपियों और पुरानी पुस्तकों को किया जाएगा संरक्षित

राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन ने विवि में मैनुस्क्रिप्ट कंजर्वेशन सेन्टर और मैनुस्क्रिप्ट रिसोर्स सेन्टर की स्थापना की है. जिसका उद्घाटन बिहार के तत्कालीन राज्यपाल लालजी टण्डन में इसी साल 12 मार्च को किया था.

digitisation of manuscripts and books will be done in the libraries of darbhanga
दरभंगा के पुस्तकालयों में होगा डिजिटाइजेशन
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Published : Dec 4, 2019, 9:06 AM IST

दरभंगा: नई दिल्ली के राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन की ओर से ललित नारायण मिथिला विश्व विद्यालय के पांडुलिपि संरक्षण केंद्र में 5 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा. जिसमें जिले के पुस्तकालयों के कर्मियों को पांडुलिपियों और पुस्तकों के संरक्षण और डिजिटाइजेशन की ट्रेनिंग दी जाएगी.

ट्रेनिंग में 30 पुस्तकालय कर्मी करेंगे शिरकत
महाराजाधिराज कामेश्वर सिंह सामाजिक विज्ञान संस्थान एवं शोध पुस्तकालय के निदेशक प्रो. भवेश्वर सिंह ने बताया कि इस कार्यशाला का उद्देश्य मिथिलांचल के पुस्तकालयों में नष्ट हो रही दुर्लभ पांडुलिपियों और पुस्तकों को बचाना है. साथ ही उनके डिजिटाइजेशन
को बढ़ावा देना है. यह कार्यशाला दिसंबर नहीं तो जनवरी में आयोजित की जाएगी. जिसमें 30 पुस्तकालय कर्मी शिरकत करेंगे. राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन ने इसके लिए राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों को भेजने की स्वीकृति दी है.

पुस्तकालयों में पांडुलिपियां और पुरानी पुस्तकें डिजिटाइजेशन के जरिए होंगी सुरक्षित

शोधार्थियों के लिए बहुमूल्य हैं पुरानी पुस्तकें
बता दें कि मिथिलांचल में ग्रंथ लेखन की परंपरा सातवीं सदी से है. यहां के पुस्तकालयों में सदियों पुरानी दुर्लभ पांडुलिपियां और किताबें रखी हुई हैं. शोध पुस्तकालय के निदेशक प्रो. भवेश्वर सिंह ने बताया कि यदि इनका संरक्षण कर डिजिटाइजेशन
कर दिया जाए तो यह सामग्री दुनिया भर के शोधार्थियों के लिए बहुमूल्य होगी. ऐसे में इसके लिए राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन ने विवि में मैनुस्क्रिप्ट कंजर्वेशन सेन्टर और मैनुस्क्रिप्ट रिसोर्स सेन्टर की स्थापना की है. जिसका उद्घाटन बिहार के तत्कालीन राज्यपाल लालजी टण्डन में इसी साल 12 मार्च को किया था.

दरभंगा: नई दिल्ली के राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन की ओर से ललित नारायण मिथिला विश्व विद्यालय के पांडुलिपि संरक्षण केंद्र में 5 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा. जिसमें जिले के पुस्तकालयों के कर्मियों को पांडुलिपियों और पुस्तकों के संरक्षण और डिजिटाइजेशन की ट्रेनिंग दी जाएगी.

ट्रेनिंग में 30 पुस्तकालय कर्मी करेंगे शिरकत
महाराजाधिराज कामेश्वर सिंह सामाजिक विज्ञान संस्थान एवं शोध पुस्तकालय के निदेशक प्रो. भवेश्वर सिंह ने बताया कि इस कार्यशाला का उद्देश्य मिथिलांचल के पुस्तकालयों में नष्ट हो रही दुर्लभ पांडुलिपियों और पुस्तकों को बचाना है. साथ ही उनके डिजिटाइजेशन
को बढ़ावा देना है. यह कार्यशाला दिसंबर नहीं तो जनवरी में आयोजित की जाएगी. जिसमें 30 पुस्तकालय कर्मी शिरकत करेंगे. राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन ने इसके लिए राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों को भेजने की स्वीकृति दी है.

पुस्तकालयों में पांडुलिपियां और पुरानी पुस्तकें डिजिटाइजेशन के जरिए होंगी सुरक्षित

शोधार्थियों के लिए बहुमूल्य हैं पुरानी पुस्तकें
बता दें कि मिथिलांचल में ग्रंथ लेखन की परंपरा सातवीं सदी से है. यहां के पुस्तकालयों में सदियों पुरानी दुर्लभ पांडुलिपियां और किताबें रखी हुई हैं. शोध पुस्तकालय के निदेशक प्रो. भवेश्वर सिंह ने बताया कि यदि इनका संरक्षण कर डिजिटाइजेशन
कर दिया जाए तो यह सामग्री दुनिया भर के शोधार्थियों के लिए बहुमूल्य होगी. ऐसे में इसके लिए राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन ने विवि में मैनुस्क्रिप्ट कंजर्वेशन सेन्टर और मैनुस्क्रिप्ट रिसोर्स सेन्टर की स्थापना की है. जिसका उद्घाटन बिहार के तत्कालीन राज्यपाल लालजी टण्डन में इसी साल 12 मार्च को किया था.

Intro:दरभंगा। राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन, नयी दिल्ली की ओर से ललित नारायण मिथिला विवि के पांडुलिपि संरक्षण केंद्र में 5 दिनों की एक कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। इसमें मिथिलांचल के पुस्तकालयों के कर्मियों को पांडुलिपियों और पुस्तकों के संरक्षण व डिजिटाइजेशन की ट्रेनिंग दी जाएगी।


Body:महाराजाधिराज कामेश्वर सिंह सामाजिक विज्ञान संस्थान एवं शोध पुस्तकालय के निदेशक प्रो. भवेश्वर सिंह ने बताया कि इस कार्यशाला का उद्देश्य मिथिलांचल के पुस्तकालयों में नष्ट हो रही दुर्लभ पांडुलिपियों और पुस्तकों का संरक्षण और उनके डिजिटाइजेशन को बढ़ावा देना है। यह कार्यशाला दिसंबर या जनवरी में होगी। इसमें 30 पुस्तकालय कर्मी शिरकत करेंगे। राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन ने इसके लिए राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों को भेजने की स्वीकृति दी है।


Conclusion:बता दें कि मिथिलांचल में ग्रंथ लेखन की परंपरा सातवीं सदी से है। यहां के पुस्तकालयों में सदियों पुरानी दुर्लभ पांडुलिपियां और किताबें हैं जिनका संरक्षण कर डिजिटाइजेशन कर दिया जाए तो यह सामग्री दुनिया भर के शोधार्थियों के लिए बहुमूल्य होगी। इसके लिए राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन ने विवि में मैनुस्क्रिप्ट कंजर्वेशन सेन्टर और मैनुस्क्रिप्ट रिसोर्स सेन्टर की स्थापना की है। इसका उद्घाटन बिहार के तत्कालीन राज्यपाल लालजी टण्डन में इसी साल 12 मार्च को किया था। दोनों केंद्र इस क्षेत्र में बेहतर काम कर रहे हैं।

बाइट 1- प्रो. भवेश्वर सिंह, निदेशक, पांडुलिपि संरक्षण केंद्र.

विजय कुमार श्रीवास्तव
ई टीवी भारत
दरभंगा

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