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बाबा मधेश्वरनाथ पर जलाभिषेक के लिए लगा शिवभक्तों का तांता

मधेश्वरनाथ महादेव की महिमा अपरंपार है. इसकी ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है, यूं तो वर्षों भर इन के दरबार में भक्तों की भीड़ लगी रहती है. लेकिन महाशिवरात्रि के मौके पर भक्त इनके दरबार में अपना हाजिरी लगाना नहीं भूलते.

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Published : Mar 4, 2019, 11:50 AM IST

मधेश्वरनाथ महादेव मंदीर

दरभंगाः शहर से लेकर गांव तक महाशिवरात्रि की धूम है. शिवालय में भक्तों का उल्लास देखते बनता है. शहर के श्यामा मंदिर परिसर स्थित माधेश्वर स्थान, गंगा सागर स्थित शिवालय, पंडासराय स्थित भूतनाथ महादेव सहित अन्य शिवालयों में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी है.

दरभंगा राज परिसर स्थित मधेश्वरनाथ महादेव की महिमा अपरंपार है. इसकी ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है, यूं तो वर्षों भर इन के दरबार में भक्तों की भीड़ लगी रहती है. लेकिन महाशिवरात्रि के मौके पर भक्त इनके दरबार में अपना हाजिरी लगाना नहीं भूलते. भक्तों का मानना है कि यहां शिवलिंग की अर्चना कर शिवभक्त काशीविश्वनाथ के दर्शन जैसा फल पाते हैं.

मधेश्वरनाथ महादेव

कब हुआ थानिर्माण

दरअसल, यह शिव मंदिर दरभंगा राज परिसर की श्मशान भूमि पर बना हुआ है. इसका निर्माण महाराजा माधव सिंह ने 1775 से 1807 के आस पास में करवाया था. इसीलिए इस परिसर को लोग औघड़दानी मधेश्वरनाथ के नाम से संबोधित करते हैं. वैसे मंदिर के ऊपर मिथिला अक्षर में शिलापट्ट लगा हुआ है. लेकिन इसे पढ़ना सहज नहीं होने के कारण मंदिर का निर्माण समय स्पष्ट नहीं हो सका है.

दरभंगाः शहर से लेकर गांव तक महाशिवरात्रि की धूम है. शिवालय में भक्तों का उल्लास देखते बनता है. शहर के श्यामा मंदिर परिसर स्थित माधेश्वर स्थान, गंगा सागर स्थित शिवालय, पंडासराय स्थित भूतनाथ महादेव सहित अन्य शिवालयों में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी है.

दरभंगा राज परिसर स्थित मधेश्वरनाथ महादेव की महिमा अपरंपार है. इसकी ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है, यूं तो वर्षों भर इन के दरबार में भक्तों की भीड़ लगी रहती है. लेकिन महाशिवरात्रि के मौके पर भक्त इनके दरबार में अपना हाजिरी लगाना नहीं भूलते. भक्तों का मानना है कि यहां शिवलिंग की अर्चना कर शिवभक्त काशीविश्वनाथ के दर्शन जैसा फल पाते हैं.

मधेश्वरनाथ महादेव

कब हुआ थानिर्माण

दरअसल, यह शिव मंदिर दरभंगा राज परिसर की श्मशान भूमि पर बना हुआ है. इसका निर्माण महाराजा माधव सिंह ने 1775 से 1807 के आस पास में करवाया था. इसीलिए इस परिसर को लोग औघड़दानी मधेश्वरनाथ के नाम से संबोधित करते हैं. वैसे मंदिर के ऊपर मिथिला अक्षर में शिलापट्ट लगा हुआ है. लेकिन इसे पढ़ना सहज नहीं होने के कारण मंदिर का निर्माण समय स्पष्ट नहीं हो सका है.

Intro:शहर से लेकर गांव तक महाशिवरात्रि की धूम है और शिवालय में भक्तों का उल्लास चरम पर है। ऐसी मान्यता है कि शिवरात्रि के अवसर पर जो कोई भी निस्वार्थ भाव से भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करते हैं उनकी मनचाही मुरादे पूरी होती है। जिसको लेकर अहले सुबह से ही शिवालयों में शिवलिंग पर जलाभिषेक करने को शिव भक्तों की भीड़ जुट रही है। शहर के श्यामा मंदिर परिसर स्थित माहेश्वर स्थान, गंगा सागर स्थित शिवालय, पंडासराय स्थित भूतनाथ महादेव सहित अन्य शिवालयों में भक्तों की भीड़ उमर पड़ी है।

दरभंगा राज परिसर स्थित मधेश्वरनाथ महादेव की महिमा अपरंपार है। इसकी ख्याति दूर दूर तक फैली हुई है, यूं तो सालों भर इन के दरबार में भक्तों की भीड़ लगी रहती है। लेकिन महाशिवरात्रि के मौके पर भक्तिन के दरबार में अपना हाजिरी लगाना नहीं भूलते। भक्तों का मानना है कि इस ग्रेनाइट पत्थर के शिवलिंग की अर्चना कर शिवभक्त काशी विश्वनाथ के दर्शन के का फल पाते हैं।

दरअसल यह शिव मंदिर दरभंगा राज परिसर की शमशान भूमि पर बना हुआ है और इसका निर्माण महाराजा माधव सिंह में 1775 से 1807 इसवी के आस पास में करवाया था। इसीलिए इस परिसर को लोग औढरदानी मधेश्वरनाथ के नाम से संबोधित करते हैं। वैसे मंदिर के ऊपर मिथिला अक्षर में खुदी शिलापट्ट लगा हुआ है। लेकिन इसे पढ़ना सहज नहीं होने के कारण मंदिर का निर्माण का समय स्पष्ट नहीं है।


ऐसी मान्यता है कि मिथिलांचल के लोग पहले जीवन के अंतिम समय में काशी जाते थे। इसी को देखते हुए महाराजा माधव सिंह ने इस मंदिर का निर्माण कराया था कि कोई व्यक्ति किसी कारणवश काशी नहीं जा सके तो उन्हें यही यही वह फल प्राप्त हो। इधर महाशिवरात्रि को लेकर जगह-जगह शिवालयों पर जिला प्रशासन के द्वारा विशेष व्यवस्था की गई है।

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गौरी शंकर झा, भक्त
सुखचंद्र झा, पंडित




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