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दरभंगा सीट पर महागठबंधन की अंदरूनी कलह बढ़ा रही है मुश्किलें

महागठबंधन में दरभंगा सीट को लेकर मामला सुलझता नहीं दिख रहा है. इस सीट को लेकर कीर्ति आज़ाद और मो अली अशरफ फातमी महागठबंधन से नाराज हैं.

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Published : Apr 4, 2019, 10:18 PM IST

महागठबंधन

दरभंगा: महागठबंधन में दरभंगा सीट को लेकर मामला सुलझता नहीं दिख रहा है. राजद के अब्दुल बारी सिद्दीकी इस सीट से मैदान में हैं. लेकिन इस सीट को लेकर कीर्ति आज़ाद और मो अली अशरफ फातमी महागठबंधन से नाराज हैं. अब्दुल बारी सिद्दीकी को इस सीट पर भितरघात का सामना करना पड़ सकता है.

कीर्ति आज़ाद दरभंगा सीट के लिए ही एनडीए का साथ छोड़ दिया था. इसके बाद भी महागठबंधन ने उन्हे वहां से प्रत्याशी नहीं बनाया. इससे नाराज कांग्रेस सेवा दल के जिलाध्यक्ष जमाल हसन ने सिद्दीकी के खिलाफ चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी. वहीं, अली अशरफ फातमी ने अपने टिकट काटे जाने का जिम्मेवार सिद्दीकी को ही मानते हैं. फातमी के समर्थक भी सिद्दीकी के नुकसान पहुंचा सकते हैं.

महागठबंधन में दरभंगा सीट को लेकर बयानबाजी

कमज़ोर प्रत्याशी समझने की भूल ना करें -सिद्दीकी

हालांकि अब्दुल बारी सिद्दीकी सीधी लड़ाई में एनडीए के गोपालजी ठाकुर से है. अब्दुल बारी सिद्दीकी ने कहा कि लोग उन्हें कमज़ोर प्रत्याशी समझने की भूल कर रहे हैं. अर्जुन की तरह उनकी नजर चिड़िया की आंख के पुतली पर है. वे संविधान तोड़क तत्वों को हराएंगे. अपार बहुमत से चुनाव जीतेंगे. सिद्दीकी फातमी का टिकट कटवाने के बात को इंकार कर रहे हैं.

सिद्दीकी के लिए हैं कई मुश्किलें

अब्दुल बारी सिद्दीकी की लड़ाई एनडीए के गोपालजी ठाकुर से है. इसके साथ ही महागठबंधन में बागी नेताओं के वजह से यह लड़ाई मुश्किल हो गयी है. सिद्दीकी को भितरघात खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. हालांकि यह 23 मई को ही तय हो सकेगा.

दरभंगा: महागठबंधन में दरभंगा सीट को लेकर मामला सुलझता नहीं दिख रहा है. राजद के अब्दुल बारी सिद्दीकी इस सीट से मैदान में हैं. लेकिन इस सीट को लेकर कीर्ति आज़ाद और मो अली अशरफ फातमी महागठबंधन से नाराज हैं. अब्दुल बारी सिद्दीकी को इस सीट पर भितरघात का सामना करना पड़ सकता है.

कीर्ति आज़ाद दरभंगा सीट के लिए ही एनडीए का साथ छोड़ दिया था. इसके बाद भी महागठबंधन ने उन्हे वहां से प्रत्याशी नहीं बनाया. इससे नाराज कांग्रेस सेवा दल के जिलाध्यक्ष जमाल हसन ने सिद्दीकी के खिलाफ चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी. वहीं, अली अशरफ फातमी ने अपने टिकट काटे जाने का जिम्मेवार सिद्दीकी को ही मानते हैं. फातमी के समर्थक भी सिद्दीकी के नुकसान पहुंचा सकते हैं.

महागठबंधन में दरभंगा सीट को लेकर बयानबाजी

कमज़ोर प्रत्याशी समझने की भूल ना करें -सिद्दीकी

हालांकि अब्दुल बारी सिद्दीकी सीधी लड़ाई में एनडीए के गोपालजी ठाकुर से है. अब्दुल बारी सिद्दीकी ने कहा कि लोग उन्हें कमज़ोर प्रत्याशी समझने की भूल कर रहे हैं. अर्जुन की तरह उनकी नजर चिड़िया की आंख के पुतली पर है. वे संविधान तोड़क तत्वों को हराएंगे. अपार बहुमत से चुनाव जीतेंगे. सिद्दीकी फातमी का टिकट कटवाने के बात को इंकार कर रहे हैं.

सिद्दीकी के लिए हैं कई मुश्किलें

अब्दुल बारी सिद्दीकी की लड़ाई एनडीए के गोपालजी ठाकुर से है. इसके साथ ही महागठबंधन में बागी नेताओं के वजह से यह लड़ाई मुश्किल हो गयी है. सिद्दीकी को भितरघात खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. हालांकि यह 23 मई को ही तय हो सकेगा.

Intro:दरभंगा। यूं यो दरभंगा लोकसभा सीट पर इस चुनाव में फिर से दो पुराने अलाइंस एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधी टक्कर होती दिख रही है, लेकिन भीतर से यह बहुकोणीय बन चुकी है। एनडीए ने भाजपा के गोपालजी ठाकुर को मैदान में उतारा है जबकि महागठबंधन से राजद के अब्दुल बारी सिद्दीकी मैदान में हैं। एनडीए जहां एकजुट दिख रहा है वहीं महागठबंधन अपने ही भीतर उथल-पुथल का शिकार है। ऐसे में अब्दुल बारी सिद्दीकी के सामने जीत के लिये ढेर सारी चुनौतियां हैं।


Body:दरभंगा सीट पर इस बार एनडीए से जदयू के संजय झा प्रबल दावेदार थे तो भाजपा से पाला बदल कर कांग्रेस में गये कीर्ति आजाद को विश्वास था कि उन्हें विपक्ष का उम्मीदवार बनाया जायेगा। लेकिन, आश्चर्यजनक रूप से दोनों को लड़ाई से बाहर कर दिया गया। संजय झा तो बिना ना-नुकुर किये मैदान से निकल गये लेकिन कीर्ति आज़ाद के समर्थकों ने इसे अपमानजनक माना है और वे भीतर से अपने बूते सिद्दीकी को नुकसान पहुंचाने की हर सम्भव कोशिश करेंगे। कांग्रेस सेवा दल के जिलाध्यक्ष जमाल हसन ने तो कीर्ति को टिकट नहीं दिये जाने पर सिद्दीकी के खिलाफ चुनाव लड़ने की घोषणा तक कर दी है। उधर, दरभंगा छोड़ कर मधुबनी से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे मो. अली अशरफ फ़ातमी का भी टिकट काट दिया गया। फ़ातमी इसका जिम्मेवार सिद्दीकी को ठहरा रहे हैं। इतना ही नहीं वे पिछले लोकसभा चुनाव में अपनी हार का जिम्मेवार भी सिद्दीकी को ही मानते हैं। फ़ातमी के समर्थक दरभंगा में सिद्दीकी को सबक सिखाने को तैयार बैठे हैं।


Conclusion:हालांकि अब्दुल बारी सिद्दीकी सीधी लड़ाई में एनडीए के गोपालजी ठाकुर से खुद को कम नहीं आंकते। उनके समर्थन में जुटी भारी भीड़ से उनकी ताकत का अंदाज़ा भी होता है। उनका कहना है कि लोग उन्हें कमज़ोर प्रत्याशी समझने की भूल कर रहे हैं। उनकी आंख चिड़िया की आंख पर है और वे संविधान तोड़क तत्वों को हराएंगे। वे अपार बहुमत से चुनाव जीतेंगे। सिद्दीकी फ़ातमी का टिकट कटवाने या उन्हें पिछले चुनाव में हरवाने की कोशिश से भी इंकार करते हैं।

कुल मिलाकर देखें तो सिद्दीकी की राह एनडीए के गोपालजी ठाकुर की वजह से कम,बल्कि अपने ही महागठबंधन के नेताओं की वजह से ज़्यादा चुनौती भरी हो गयी है। सिद्दीकी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। हालांकि हार-जीत का फैसला तो 23 मई को ही होगा।


बाइट 1- अब्दुल बारी सिद्दीकी, महागठबंधन प्रत्याशी
बाइट 2- मो. अली अशरफ़ फ़ातमी, राजद के बागी नेता
बाइट 3- डॉ. जमाल हसन, जिलाध्यक्ष, कांग्रेस सेवा दल


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विजय कुमार श्रीवास्तव
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