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दरभंगा: सात सूत्री मांगों को लेकर CPM का एक दिवसीय धरना

सीपीएम जिला कमिटी की ओर से प्रवासियों की समस्याओं को लेकर एक दिवसीय धरना दिया गया. इस दौरान कार्यकर्ताओं ने बेरोजगार हुए प्रवासियों को रोजगार देने की मांग की.

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Published : Jun 16, 2020, 6:42 PM IST

एक दिवसीय धरना
एक दिवसीय धरना

दरभंगा: सीपीएम जिला कमिटी की ओर से समाहरणालय परिसर में सात सूत्री मांगों को लेकर एक दिवसीय धरना दिया गया. इस दौरान आयकर सीमा से बाहर रहने वाले सभी को 7500 रुपये देने और हर परिवार को प्रति व्यक्ति को 6 महीने तक 10 किलो अनाज देने की मांग की गई. साथ ही मनरेगा में 200 दिन काम देने और मनरेगा मजदूरी 500 रुपये करने, सरकारी संपत्तियों के निजीकरण पर रोक लगाने, श्रम कानून में हो रहे बदलाव पर रोक लगाने की भी मांग की गई. कार्यकर्ताओं ने खगड़िया जिले के सीपीएम नेता जगदीश चंद्र बसु के हत्यारे को अभिलंब गिरफ्तार करने की मांग को लेकर अपनी आवाज को बुलंद की.

मनरेगा में रोजगार के साथ 500 रुपये करें मजदूरी
सीपीएम के राज्य सचिव मंडल सदस्य ललन चौधरी ने कहा कि कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण काम बंद रहने के चलते आर्थिक संकट बढ़ गई है. इस संकट को दूर करने के लिए आयकर दायरे से बाहर रहने वाले सभी परिवार को तत्काल 7500 रुपये 6 महीने तक दिया जाए. उन्होंने कहा कि सरकारी गोदामों में रखे लाखों टन अनाज सड़ रहे हैं, लेकिन सरकार गरीबों में इसे नहीं बांट रही है. उन्होंने मांग की है कि तत्काल सरकार गरीब परिवार के सभी सदस्यों को 10 किलो अनाज देने की गारंटी करें. साथ ही कहा कि बड़े पैमाने पर प्रवासी मजदूर अपने घर आए हैं. इन्हें मनरेगा योजना का विस्तार और फंड आवंटित कर शहरी और ग्रामीण इलाके में इस योजना को युद्ध स्तर पर चलाकर सभी को काम दें. मनरेगा मजदूरी 204 रुपये से बढ़ाकर 500 रुपये किए जाए.

कोरोना महामारी को रोकने में सरकार विफल
सीपीएम के राज्य सचिव मंडल सदस्य श्याम भारती ने कहा कि श्रम कानून में तेजी से बदलाव हो रहा है. किसानों की खेती चौपट हो रही है. भूख और बेरोजगारी बढ़ रही है. केंद्र और राज्य सरकार महामारी से उत्पन्न संकट कोरोना को रोकने में विफल हो रही है. सरकार ने लॉकडाउन के पहले किसी भी तरह की तैयारी नहीं की थी. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के बाद लाखों लोग बेरोजगार हुए, उन्हें सरकार काम की गारंटी देंऔर तत्काल बेरोजगारी भत्ता दें.

दरभंगा: सीपीएम जिला कमिटी की ओर से समाहरणालय परिसर में सात सूत्री मांगों को लेकर एक दिवसीय धरना दिया गया. इस दौरान आयकर सीमा से बाहर रहने वाले सभी को 7500 रुपये देने और हर परिवार को प्रति व्यक्ति को 6 महीने तक 10 किलो अनाज देने की मांग की गई. साथ ही मनरेगा में 200 दिन काम देने और मनरेगा मजदूरी 500 रुपये करने, सरकारी संपत्तियों के निजीकरण पर रोक लगाने, श्रम कानून में हो रहे बदलाव पर रोक लगाने की भी मांग की गई. कार्यकर्ताओं ने खगड़िया जिले के सीपीएम नेता जगदीश चंद्र बसु के हत्यारे को अभिलंब गिरफ्तार करने की मांग को लेकर अपनी आवाज को बुलंद की.

मनरेगा में रोजगार के साथ 500 रुपये करें मजदूरी
सीपीएम के राज्य सचिव मंडल सदस्य ललन चौधरी ने कहा कि कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण काम बंद रहने के चलते आर्थिक संकट बढ़ गई है. इस संकट को दूर करने के लिए आयकर दायरे से बाहर रहने वाले सभी परिवार को तत्काल 7500 रुपये 6 महीने तक दिया जाए. उन्होंने कहा कि सरकारी गोदामों में रखे लाखों टन अनाज सड़ रहे हैं, लेकिन सरकार गरीबों में इसे नहीं बांट रही है. उन्होंने मांग की है कि तत्काल सरकार गरीब परिवार के सभी सदस्यों को 10 किलो अनाज देने की गारंटी करें. साथ ही कहा कि बड़े पैमाने पर प्रवासी मजदूर अपने घर आए हैं. इन्हें मनरेगा योजना का विस्तार और फंड आवंटित कर शहरी और ग्रामीण इलाके में इस योजना को युद्ध स्तर पर चलाकर सभी को काम दें. मनरेगा मजदूरी 204 रुपये से बढ़ाकर 500 रुपये किए जाए.

कोरोना महामारी को रोकने में सरकार विफल
सीपीएम के राज्य सचिव मंडल सदस्य श्याम भारती ने कहा कि श्रम कानून में तेजी से बदलाव हो रहा है. किसानों की खेती चौपट हो रही है. भूख और बेरोजगारी बढ़ रही है. केंद्र और राज्य सरकार महामारी से उत्पन्न संकट कोरोना को रोकने में विफल हो रही है. सरकार ने लॉकडाउन के पहले किसी भी तरह की तैयारी नहीं की थी. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के बाद लाखों लोग बेरोजगार हुए, उन्हें सरकार काम की गारंटी देंऔर तत्काल बेरोजगारी भत्ता दें.

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