दरभंगा : जिले में भाकपा माले का मिथिलांचल स्तरीय दो दिवसीय अध्ययन शिविर का समापन हो गया. इस शिविर के बाद प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए पार्टी पोलित ब्यूरो सदस्य सह मिथिलांचल प्रभारी धीरेन्द्र झा ने कहा कि खेती-किसानी को मोदी सरकार अम्बानी-अडाणी सरीखे कॉरपोरेटरों के हाथों सुपुर्द कर देना चाहती है. इसी उद्देश्य से तीनों किसान विरोधी कानून बनाये गए हैं. मौजूदा किसान आंदोलन कम्पनीराज के खिलाफ राष्ट्रीय जागरण है. खेती किसानी के क्षेत्र में पूंजीपतियों का वर्चस्व हो, यह देश कतई बर्दाश्त नहीं करेगा, इसलिए किसान जान गंवाकर आंदोलन में डटे हैं.
धीरेन्द्र झा ने आगे कहा कि सरकार को तत्काल तीनों कानून वापस लेकर सम्मानजनक हल निकालना चाहिए. उन्होंने कहा कि किसान संघर्ष समिति के साथ मिलकर महागठबंधन की पार्टियां किसान आंदोलन के पक्ष में मजबूती से उतरेगी. जिलों में धारावाहिक किसान आंदोलन शुरू होगा और गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर 25 जनवरी को ऐतिहासिक मानव श्रृंखला बनायी जाएगी. जल्द ही इस मुद्दा पर महागठबंधन दलों की बैठक पटना में होगी. बिहार से भाकपा माले विधायकों का दल धारावाहिक रूप से दिल्ली के बॉर्डर पर जमे किसान जत्थों में उपस्थित होकर एकजुटता प्रदर्शित कर रहे हैं.
'वोट की राजनीति कर रही है बीजेपी'
धीरेन्द्र झा ने कहा कि मिथिलांचल की साझी संस्कृति और विकास के एजेंडा को भाजपा ने तहस-नहस करने का काम किया है. बाढ़-सुखाड़ की समस्या से तबाही लगातार बढ़ रही है लेकिन दिल्ली-पटना की सरकार मौन बनी हुई है. इस अंचल में कृषि आधारित उद्योगों-चीनी, पटसन, कागज, सुता, खादी ग्रामोद्योग की जाल बिछी थी. लेकिन उसे मरने के लिए छोड़ दिया गया है. केंद्रीय विश्वविद्यालय की मांगों को ठुकरा दिया गया है. घृणा और विभाजन की राजनीति के जरिये वोट की राजनीति भाजपा कर रही है, इसका मुकाबला जनमुद्दे की राजनीति के जरिये भाकपा माले करेगी. सभी जिलों में जिला कार्यकर्ता सम्मेलन आहूत कर जमीनी आंदोलन को तेज किया जाएगा.