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Bihar Flood: दरभंगा में बाढ़ से गांव के गांव बने टापू, सड़क पर जिंदगी गुजारने को मजबूर लोग - People upset due to flood in Darbhanga

बिहार के दरभंगा (Darbhanga) जिले में बाढ़ (Flood) ने सबसे ज्यादा केवटी प्रखंड में कहर बरपा रखा है. लोगों ने अपने आशियाने को छोड़कर सड़क पर शरण ले रखी है. ईटीवी भारत ने बाढ़ पीड़ितों के बीच पहुंचकर हालात का जायजा लिया. देखिए ये ग्राउंड रिपोर्ट..

दरभंगा
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Published : Jul 13, 2021, 5:15 PM IST

दरभंगा: नेपाल के तराई में हो रही भारी बारिश (Heavy Rain) की वजह से दरभंगा (Darbhanga) जिले से होकर बहने वाली नदियां उफान पर (Rivers in Spate) हैं. कमला, बागमती, कमला बलान और कोसी नदी का बाढ़ (Flood) का पानी दरभंगा जिले के 18 में से 7 प्रखंडों को प्रभावित कर चुका है. इसकी वजह से एक बड़ी आबादी बाढ़ से विस्थापित हो चुकी है.

ये भी पढ़ें- Muzaffarpur Flood: बाढ़ ने उड़ाई ग्रामीणों की नींद, पूरी रात जगकर कर रहे बांध की पहरेदारी

गांव के गांव टापू बन गए हैं. लोगों के घरों में पानी घुस चुका है. लोग माल, मवेशियों और बच्चों के साथ घर छोड़कर सड़क पर शरण लिए हुए हैं. जिला प्रशासन की ओर से कम्युनिटी किचन चलाए जाने और लोगों को राहत पहुंचाने का दावा किया जा रहा है, लेकिन यह दावा धरातल पर कम और कागज पर ही ज्यादा दिखता है.

देखिए ग्राउंड रिपोर्ट

बाढ़ से पीड़ित सविता देवी ने कहा कि उनके घर में पानी घुसा हुआ है. इसकी वजह से वो पूरे परिवार के साथ घर छोड़कर सड़क पर शरण ली हुई है. उन्होंने कहा कि हर साल बाढ़ आती है और उनका घर इसमें ध्वस्त हो जाता है, लेकिन किसी भी साल सरकार की तरफ से कोई मुआवजा नहीं मिलता है. सड़क पर रहते हुए कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

एक अन्य बाढ़ पीड़ित सागो देवी ने कहा कि उनके घर में इतना पानी घुस चुका है कि उसमें रहने की स्थिति नहीं है. उन्होंने कहा कि घर का चापाकल डूब चुका है, जिसकी वजह से पीने के पानी का भी संकट है. घर में सांप और कई तरह के जहरीले कीड़े-मकोड़े घुस आए हैं. इसकी वजह से वे सभी लोग घर छोड़कर सड़क पर शरण लिए हुए हैं. सड़क पर रहते हुए भी काफी डर लगता है, लेकिन सभी परिवार एक ही साथ बैठकर गुजारा करते हैं.

बाढ़ पीड़ित संजय यादव ने कहा कि 4 दिन से वे लोग सड़क पर हैं. लेकिन, न तो सरकार का कोई अधिकारी और न ही कोई जनप्रतिनिधि उन्हें पूछने आया है. पशुओं के चारे से लेकर इंसान के खाने-पीने तक की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. सड़क पर शरण लेने के लिए एक प्लास्टिक शीट तक अब तक सरकार की तरफ से नहीं मिला है.बाढ़ पीड़ित शिल्पा देवी ने कहा कि हर साल उनके गांव में बाढ़ आती है और वे माल-मवेशियों और बाल बच्चों के साथ सड़क पर शरण लेने के लिए चले आते हैं.

उन्होंने कहा कि एक महीने से भी ज्यादा सड़क पर उनकी जिंदगी गुजरती है. सड़क पर रहते हुए भारी वाहनों से दुर्घटना का खतरा बना रहता है, लेकिन उनके पास दूसरा कोई चारा नहीं है. हर साल बाढ़ के समय यही मुसीबत झेलनी पड़ती है, लेकिन उनकी समस्या का स्थायी समाधान नहीं होता है.

ये भी पढ़ें- गोपालगंज: गांव के चारों ओर बहते पानी के बीच रहते बाढ़ पीड़ित, नहीं पहुंच रही प्रशासनिक मदद

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ये भी पढ़ें- Weather Alert: मौसम पर बड़ा अपडेट... बिहार के इन जिलों में वज्रपात के साथ भारी बारिश की संभावना

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गांव के गांव टापू बन गए हैं. लोगों के घरों में पानी घुस चुका है. लोग माल, मवेशियों और बच्चों के साथ घर छोड़कर सड़क पर शरण लिए हुए हैं. जिला प्रशासन की ओर से कम्युनिटी किचन चलाए जाने और लोगों को राहत पहुंचाने का दावा किया जा रहा है, लेकिन यह दावा धरातल पर कम और कागज पर ही ज्यादा दिखता है.

देखिए ग्राउंड रिपोर्ट

बाढ़ से पीड़ित सविता देवी ने कहा कि उनके घर में पानी घुसा हुआ है. इसकी वजह से वो पूरे परिवार के साथ घर छोड़कर सड़क पर शरण ली हुई है. उन्होंने कहा कि हर साल बाढ़ आती है और उनका घर इसमें ध्वस्त हो जाता है, लेकिन किसी भी साल सरकार की तरफ से कोई मुआवजा नहीं मिलता है. सड़क पर रहते हुए कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

एक अन्य बाढ़ पीड़ित सागो देवी ने कहा कि उनके घर में इतना पानी घुस चुका है कि उसमें रहने की स्थिति नहीं है. उन्होंने कहा कि घर का चापाकल डूब चुका है, जिसकी वजह से पीने के पानी का भी संकट है. घर में सांप और कई तरह के जहरीले कीड़े-मकोड़े घुस आए हैं. इसकी वजह से वे सभी लोग घर छोड़कर सड़क पर शरण लिए हुए हैं. सड़क पर रहते हुए भी काफी डर लगता है, लेकिन सभी परिवार एक ही साथ बैठकर गुजारा करते हैं.

बाढ़ पीड़ित संजय यादव ने कहा कि 4 दिन से वे लोग सड़क पर हैं. लेकिन, न तो सरकार का कोई अधिकारी और न ही कोई जनप्रतिनिधि उन्हें पूछने आया है. पशुओं के चारे से लेकर इंसान के खाने-पीने तक की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. सड़क पर शरण लेने के लिए एक प्लास्टिक शीट तक अब तक सरकार की तरफ से नहीं मिला है.बाढ़ पीड़ित शिल्पा देवी ने कहा कि हर साल उनके गांव में बाढ़ आती है और वे माल-मवेशियों और बाल बच्चों के साथ सड़क पर शरण लेने के लिए चले आते हैं.

उन्होंने कहा कि एक महीने से भी ज्यादा सड़क पर उनकी जिंदगी गुजरती है. सड़क पर रहते हुए भारी वाहनों से दुर्घटना का खतरा बना रहता है, लेकिन उनके पास दूसरा कोई चारा नहीं है. हर साल बाढ़ के समय यही मुसीबत झेलनी पड़ती है, लेकिन उनकी समस्या का स्थायी समाधान नहीं होता है.

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